प्रश्न. शासन में सत्यनिष्ठा से आप क्या समझते हैं? इस शब्द के संदर्भ में अपनी समझ के आधार पर, सरकार में सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के उपायों का सुझाव दीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- सत्यनिष्ठा के बारे में संक्षेप में बताइये ।
- शासन में इसकी भूमिका की चर्चा कीजिये।
- सरकारी प्रणाली में सत्यनिष्ठा को सुनिश्चित करने हेतु कुछ उपाय बताइये।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये ।
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परिचय:
सत्यनिष्ठा शब्द लैटिन भाषा के शब्द 'प्रोबिटास' से लिया गया है, जिसका अर्थ "ईमानदारी" होता है।
शासन में सत्यनिष्ठा शब्द का आशय शासन प्रक्रिया में मौजूद नैतिक मानदंडों के प्रतिमान से है। सत्यनिष्ठा, उत्तरदायित्व, सत्यनिष्ठा, करुणा और अन्य सकारात्मक विशेषताएँ बेहतर शासन की आधार होती हैं।
मुख्य भाग:
शासन में सत्यनिष्ठा की भूमिका:
- इससे सरकारी कार्यों में जनता का विश्वास बना रहता है।
- इससे सार्वजनिक सेवाओं में सत्यनिष्ठा बनी रहती है।
- इससे सरकार के उत्तरदायित्व को प्रोत्साहन मिलता है।
- इसके द्वारा प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित होता है।
- इससे कदाचार, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की संभावना में कमी आती है।
- शासन में सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के उपाय:
- उत्तरदायित्व: इससे शासन में भ्रष्टाचार की संभावना कम होती है। जब किसी व्यक्ति से उच्च अधिकारियों को उत्तर देने की अपेक्षा की जाती है, तो वह ऐसे कार्य करने से बचता है जिससे उसकी स्थिति पर प्रश्नचिन्ह लगता हो । इससे सुशासन स्थापित होगा। उदाहरण के लिये, सामाजिक लेखा परीक्षा से उत्तरदायित्व सुनिश्चित होने के साथ सत्यनिष्ठा को प्रोत्साहन मिलता है।
- नैतिक शिक्षा: शासन में सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के लिये नैतिक शिक्षा आवश्यक है। किसी व्यक्ति में सत्यनिष्ठा के उच्च प्रतिमान शामिल करने हेतु उसे नैतिक प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है जो उसे शासन में सुधार करने के लिये प्रेरित करेगा। नैतिक शिक्षा से ऐसा होना सुनिश्चित होगा। उदाहरण के लिये रिश्वत ना लेने के महत्व पर प्रशिक्षण प्रदान करना।
- शिकायत निवारण: सरकारी अधिकारियों और जनता के बीच सुलभ पहुँच प्रभावी शिकायत निवारण के लिये महत्वपूर्ण है। इसे निम्नलिखित माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकता है:
- लोगों के लिये वरिष्ठ सरकारी प्राधिकारियों के संपर्क नंबरों को उपलब्ध कराना
- विभागीय वेबसाइटों पर संबंधित विवरण दर्ज करना
- नागरिकों के लिये सुविधा काउंटर बनाना
- मूल्यांकन और निगरानी प्रणाली स्थापित करना
- आचार संहिता: मंत्रियों, नौकरशाही, न्यायपालिका और नागरिक समाज समूहों के लिये आदर्श आचार संहिता तैयार और लागू करके सत्यनिष्ठा को बनाए रखा जाता है।
- अन्य उपाय:
- लोकपाल: यह "ओम्बुड्समैन " के रुप में कार्य करता है और कुछ सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित आरोपों की जाँच करता है।
- आपराधिक न्यायिक प्रणाली को सुदृढ़ बनाना चाहिये।
- अनुशासन की भावना: इसे संगठनों के प्रमुखों और समाज के नेताओं द्वारा स्थापित किया जाता है। उदाहरण के लिये जब लाल बहादुर शास्त्री के बेटे ने आधिकारिक कार का इस्तेमाल कर लिया था तो उन्होंने इसके लिये भुगतान किया था।
- प्रशिक्षण, प्रदर्शन मूल्यांकन, सहानुभूति और करुणा जैसे मूल्यों के समावेश के माध्यम से नौकरशाहों के व्यवहार में परिवर्तन लाना।
- ई-गवर्नेंस: पारदर्शिता के लिये आईसीटी का उपयोग करना। इसके अलावा इससे आम लोगों द्वारा लोक सेवकों के खिलाफ शिकायत करने में भी सहायता मिलेगी।
निष्कर्ष:
उपयुक्त नियमों और विनियमों के संयोजन से सहायक प्रशासनिक प्रक्रियाओं का विकास होगा। शासन में सत्यनिष्ठा को सुनिश्चित करने के लिये नैतिक प्रतिमानों में वृद्धि की आवश्यकता है। इसके अलावा बाहरी प्रणालियों पर निर्भरता से बचना चाहिये क्योंकि इससे उल्लंघन (breach) का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ-साथ मज़बूत, नैतिक प्रतिमानों को लोगों में विकसित करना चाहिये जो ऐसे सिद्धांतों को संरक्षित और स्थापित कर सकें।