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प्रश्न :
प्रश्न. मैंग्रोव के पतन के कारणों और तटीय पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिये उनके महत्त्व की व्याख्या कीजिये। (250 शब्द)
07 Nov, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- मैंग्रोव के बारे में संक्षेप में समझाइये।
- मैंग्रोव के ह्रास के कारणों की विवेचना कीजिये।
- तटीय पारिस्थितिकी के संरक्षण में उनकी भूमिका की व्याख्या कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय
एक मैंग्रोव एक छोटा पेड़ या झाड़ी है जो समुद्र तट के किनारे उगता है, इसकी जड़ें अक्सर पानी के नीचे नमकीन तलछट में होती हैं।
'मैंग्रोव' शब्द दलदल में पेड़ों और झाड़ियों को संदर्भित करता है।
मैंग्रोव फूल वाले पेड़ हैं, जो राइजोफोरेसी, एकेंथेसी, लिथ्रेसी, कॉम्ब्रेटेसी और अरेकेसी परिवारों से संबंधित हैं।
मैंग्रोव द्वारा सामना किये जाने वाले खतरे
- तटीय क्षेत्रों का व्यावसायीकरण: जलीय कृषि, तटीय विकास, चावल और ताड़ के तेल की खेती और औद्योगिक गतिविधियाँ तेज़ी से इन मैंग्रोव और उनके पारिस्थितिक तंत्र की जगह ले रही हैं।
- यूनेस्को के अनुसार, बुनियादी ढाँचे के विकास, शहरीकरण और कृषि भूमि रूपांतरण के कारण वैश्विक वन आवरण के समग्र नुकसान की तुलना में मैंग्रोव तीन से पांच गुना तेज़ी से गायब हो रहे हैं।
- पिछले 40 वर्षों में मैंग्रोव कवरेज आधे से कम हो गया है। 1% से भी कम उष्णकटिबंधीय वन मैंग्रोव हैं।
- झींगा फार्म: मैंग्रोव वनों के कुल नुकसान का कम से कम 35% झींगा फार्मों के उद्भव से हुआ है।
- झींगा की कृषि का उदय हाल के दशकों में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, जापान और चीन में झींगा के प्रति बढ़ते झुकाव की प्रतिक्रिया है।
- तापमान संबंधित मुद्दे: कम समय में दस डिग्री का उतार-चढ़ाव पौधे को नुकसान पहुँचाने के लिये पर्याप्त होता है और कुछ घंटों के लिये भी बेहद कम तापमान कुछ मैंग्रोव प्रजातियों के लिये अत्यधिक खतरनाक या जानलेवा हो सकता है।
- मिट्टी से संबंधित मुद्दे: जिस मिट्टी में मैंग्रोव की जड़ें होती हैं, वह पौधों के लिये एक चुनौती बन जाती है क्योंकि इसमें ऑक्सीजन की भारी कमी होती है।
- अधिकांश पौधे आसपास की मिट्टी में मौजूद गैसों से आसानी से ऑक्सीजन ले सकते हैं, लेकिन मैंग्रोव जड़ों के लिये यह विकल्प नहीं होता है क्योंकि न केवल उनकी जड़ें भूमिगत होती हैं, बल्कि उनमें दिन में दो बार तक पानी भर जाता है।
- अत्यधिक मानव हस्तक्षेप: पिछले कुछ समय से समुद्र के स्तर में परिवर्तनों के दौरान, मैंग्रोव ज़मीन की तरफ बढ़ गए हैं, लेकिन कई जगहों पर मानव विकास अब एक बाधा है जो मैंग्रोव के विस्तार सीमित करता है। मैंग्रोव अक्सर तेल रिसाव से भी नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं।
मैंग्रोव का महत्त्व
- पारिस्थितिक स्थिरीकरण: पारिस्थितिक रूप से मैंग्रोव मिट्टी को उपजाऊ बनाने में एवं उसकी क्षमता को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण हैं।
- ये चक्रवातों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- वे भूमि संचय को बढ़ावा देने, मिट्टी के किनारों को ठीक करने, तेज़ हवाओं , ज्वार और तरंग ऊर्जा को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- मैंग्रोव और ज्वार: जड़ों का घनत्व पेड़ों को ज्वार में आने वाली दैनिक वृद्धि और कमी को सहने की क्षमता देती है।
- अधिकांश मैंग्रोव में दिन में कम से कम दो बार बाढ़ आ जाती है।
- तटीय स्थिरीकरण: मैंग्रोव वन समुद्री तट को स्थिर करते हैं। यह तूफानी लहरों, धाराओं और ज्वार से समुद्री कटाव को कम करते हैं।
- जल शोधन: मैंग्रोव अपवाह से पोषक तत्वों को अवशोषित करके पानी की गुणवत्ता में सुधार करते हैं अन्यथा हानिकारक शैवाल तटों पर उग सकते हैं।
- कोरल रीफ और समुद्री घास दोनों ही पानी को साफ और स्वस्थ रखने के लिये मैंग्रोव वनों की जल शोधन क्षमता पर निर्भर करते हैं।
- ब्लू कार्बन का भंडारण: समुद्री वातावरण का 2% से भी कम हिस्सा मैंग्रोव का है, लेकिन 10-15% कार्बन अवशोषित करते हैं।
- एक बार जब पत्ते और पुराने पेड़ मर जाते हैं तो वे समुद्र तल पर गिर जाते हैं और संग्रहीत कार्बन को अपने साथ मिट्टी में दबा लेते हैं।
- इस दबे हुए कार्बन को "ब्लू कार्बन" के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह मैंग्रोव जंगलों, समुद्री घास और नमक के दलदल जैसे तटीय पारिस्थितिक तंत्र में पानी के नीचे जमा होता है।
- जैव विविधता को बढ़ावा: मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र जैव विविधता को भी बढ़ावा देता है, जिसमें कुछ प्रजातियाँ मैंग्रोव वनों के लिये अद्वितीय हैं।
- वे पक्षियों, मछलियों, अकशेरूकीय, स्तनधारियों और पौधों जैसे वन्यजीवों की एक विस्तृत श्रृंखला को आवास और आश्रय प्रदान करते हैं।
चूँकि मैंग्रोव तटीय पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने और संरक्षित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मानवीय गतिविधियों से कई खतरे हैं जो पारिस्थितिकी के प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ सकते हैं और मैंग्रोव को ह्रास की ओर ले जा सकते हैं। इसके अलावा तटीय नियामक उपायों, वैज्ञानिक प्रबंधन प्रथाओं और संरक्षण तथा प्रबंधन में स्थानीय समुदायों की भागीदारी को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है जो मूल्यवान मैंग्रोव वनों के संरक्षण और स्थायी प्रबंधन के लिये आवश्यक हैं।
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