प्रश्न. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा निभाई गई भूमिका की चर्चा कीजिये (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका की विवेचना कीजिये।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उनकी भूमिका की विवेचना कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधान मंत्री थे।
भारत को एकीकृत करने और एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने में उनके महान योगदान के लिये उन्हें भारत के वास्तविक एकीकरणकर्ता के रूप में पहचाना जाता है।
उन्होंने श्रेष्ठ भारत बनाने के लिये भारत के लोगों से एकजुट होकर रहने का अनुरोध किया।
यह विचारधारा अभी भी आत्मानिर्भर भारत पहल में परिलक्षित होती है जो भारत को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करती है।
उन्हें 'भारत के सिविल सेवकों के संरक्षक' के रूप में भी याद किया जाता है क्योंकि उन्होंने आधुनिक अखिल भारतीय सेवा प्रणाली की स्थापना की, जिसे आधुनिक भारत के स्टील फ्रेम के रूप में भी जाना जाता है।
प्रारूप:
स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
- उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के साथ खेड़ा सत्याग्रह (1918) और बारदोली सत्याग्रह (1928) में किसान हित को एकीकृत किया।
- बारदोली की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि दी, जिसका अर्थ है 'एक नेता'।
- 1930 के नमक सत्याग्रह (प्रार्थना और उपवास आंदोलन) के दौरान, सरदार पटेल ने तीन महीने की कैद भी काटी।
- मार्च 1931 में पटेल ने भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के कराची अधिवेशन (46वें सत्र) की अध्यक्षता की, जिसे गांधी-इरविन समझौते की पुष्टि करने के लिये बुलाया गया था।
- इसके अलावा, उन्होंने शराब के सेवन, छुआछूत, जातिगत भेदभाव और गुजरात तथा उसके बाहर महिला मुक्ति के लिये बड़े पैमाने पर काम किया।
स्वतंत्रता के बाद के भारत में योगदान:
- संविधान निर्माण में भूमिका: उन्होंने भारत की संविधान सभा की विभिन्न समितियों का नेतृत्त्व किया, अर्थात्:
- मौलिक अधिकारों पर सलाहकार समिति।
- अल्पसंख्यकों और जनजातीय तथा बहिष्कृत क्षेत्रों पर समिति।
- प्रांतीय संविधान समिति।
रियासतों का एकीकरण:
- सरदार पटेल ने लगभग 565 रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- त्रावणकोर, हैदराबाद, जूनागढ़, भोपाल और कश्मीर जैसी कुछ रियासतें भारत राज्य में शामिल होने के खिलाफ थीं।
- सरदार पटेल ने रियासतों के साथ आम सहमति बनाने के लिये अथक प्रयास किया लेकिन जहाँ भी आवश्यक था, साम, दाम, दंड और भेद के तरीकों को अपनाने में संकोच नहीं किया।
- उन्होंने नवाब द्वारा शासित जूनागढ़ और निज़ाम द्वारा शासित हैदराबाद की रियासतों को भारत में शामिल करने जोड़ने के लिये बल का इस्तेमाल किया था, दोनों ने अपने-अपने राज्यों को भारत संघ के साथ विलय नहीं करने की इच्छा जताई थी।
निष्कर्ष:
सरदार वल्लभभाई पटेल ने ब्रिटिश भारतीय क्षेत्र के साथ-साथ रियासतों को एकीकृत किया और भारत के बाल्कनीकरण को रोका।
उन्हें भारतीय रियासतों के भारतीय संघ में एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने और रियासतों को भारतीय संघ के साथ गठबंधन करने हेतु राजी करने के लिये "भारत के लौह पुरुष" के रूप में जाना जाता है।