प्रश्न. आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें उत्पादकता बढ़ाने, भूख और कुपोषण से लड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये? (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- संक्षेप में जीएम फसलों की व्याख्या करते हुए परिचय दीजिये।
- उत्पादकता बढ़ाने और कुपोषण को कम करने में इसकी लाभकारी भूमिका की चर्चा कीजिये।
- जीएम फसलों से संबंधित विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
GM फसलों के जीन कृत्रिम रूप से संशोधित किये जाते हैं, आमतौर इसमें किसी अन्य फसल से आनुवंशिक गुणों जैसे- उपज में वृद्धि, खरपतवार के प्रति सहिष्णुता, रोग या सूखे से प्रतिरोध, या बेहतर पोषण मूल्य का समामेलन किया जा सके।
कृषि उत्पादन बढ़ाने और भूख, कुपोषण दूर करने में जीएम फसलों के लाभ:
- बढ़ती उपज: आनुवंशिक रूप से संशोधित बीज पौधे की उपज में वृद्धि देखी गई है। इसका मतलब है कि उतनी भूमि के साथ ही किसान अब काफी अधिक फसल पैदा कर सकता है।
- विशिष्ट जलवायु में लाभकारी: विशिष्ट परिस्थितियों या जलवायु के लिये आनुवंशिक रूप से संशोधित बीजों का उत्पादन भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिये, सूखा प्रतिरोधी बीजों का उपयोग कम पानी वाले स्थानों पर किया जा सकता है ताकि फसल विकास सुनिश्चित किया जा सके।
- फसलों के पोषक मूल्य में वृद्धि: जीएम फसलें सूखा सहिष्णु हैं और अधिक कुशल किस्मों को विकसित कर सकती हैं। इसके अलावा, यह बेहतर शेल्फ लाइफ, स्वाद और बनावट वाले खाद्य पदार्थों के उत्पादन में मदद कर सकती हैं।
- इसके अलावा, फसलों को और अधिक पौष्टिक बनाने के लिये संशोधित किया जा सकता है, जो उस आबादी को महत्वपूर्ण विटामिन प्रदान करती हैं जो स्वस्थ जीवन के लिये आवश्यक विशिष्ट पोषक तत्व प्राप्त करने हेतु संघर्ष करती है।
- कीटनाशकों में कमी: कीट अन्य स्रोतों की तुलना में कृषि अर्थव्यवस्था के लिये बड़ा खतरा हैं। फसलों के लिये बड़े खतरों को खत्म करने के लिये, वैज्ञानिकों ने जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग करके कीटों को खत्म करने में मदद करने के नवीन तरीके अपनाए हैं।
GM फसलों से हानि:
- बीज लागत में जटिलता: संशोधित बीज बनाने और बेचने के लिये केवल कुछ कंपनियांँ ही प्रभारी हैं। एकाधिकार की स्थिति में बीज खरीदने वालों के पास केवल कुछ ही विकल्प उपलब्ध हैं।
- बीजों का प्रयोग दोबारा नहीं किया जा सकता: आनुवंशिक रूप से संशोधित बीज डिज़ाइन द्वारा व्यवहार्य बीज नहीं बनाते हैं। इसका मतलब यह है कि हर बार जब आप एक नई फसल बोना चाहते हैं, तो आपको नए बीजों का प्रयोग करना होगा।
- पर्यावरणीय चिंता: वे प्रजातियों की विविधता को कम कर सकते हैं। उदाहरण के लिये, कीट-प्रतिरोधी पौधे उन कीड़ों को नुकसान पहुंँचा सकते हैं जो उनका इच्छित लक्ष्य नहीं हैं और उस विशेष कीट प्रजाति को नष्ट कर सकते हैं।
- नैतिक चिंता: GM फसल प्रजातियों के बीच मिश्रण करके प्राकृतिक जीवों के आंतरिक मूल्यों का उल्लंघन है।
- पौधों में जानवरों के जीन के मिश्रण की भी चिंताएंँ हैं।
निष्कर्ष
सुरक्षा प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिये कठोर निगरानी की आवश्यकता है, और अवैध GM फसलों के प्रसार को रोकने के लिये प्रवर्तन को गंभीरता से लिया जाना चाहिये। इसके अलावा पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन स्वतंत्र पर्यावरणविदों द्वारा किया जाना चाहिये, क्योंकि किसान पारिस्थितिकी और स्वास्थ्य पर GM फसलों के दीर्घकालिक प्रभाव का आकलन नहीं कर सकते हैं।