प्रश्न. ई-रुपया क्या है? यह भारत में मौजूदा बैंकिंग प्रणाली को कैसे प्रभावित करेगा? (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- ई-रुपये को संक्षेप में समझाइये।
- चर्चा कीजिये कि यह मौजूदा बैंकिंग प्रणाली को कैसे प्रभावित करेगा।
- ई-रुपये से संबंधित विभिन्न चुनौतियों की चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
यह इलेक्ट्रॉनिक वाउचर आधारित डिजिटल भुगतान प्रणाली है। RBI, CBDC को केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किये गए मुद्रा के डिजिटल संस्करण के रूप में परिभाषित करता है। देश की मौद्रिक नीति के अनुसार यह केंद्रीय बैंक (इस मामले में, आरबीआई) द्वारा जारी एक संप्रभु या पूरी तरह से स्वतंत्र मुद्रा है।
डिजिटल रुपया उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन टोकन के रूप में जमा खातों से क्रय शक्ति को स्मार्टफोन वॉलेट में स्थानांतरित करने की अनुमति देगा, जो कि नकदी की तरह भारतीय रिज़र्व बैंक की देयता होगी।
एक डिजिटल रुपया बैंकनोट, माइनस एटीएम की तरह होगा।
प्रारूप
ई-रुपया पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली को बदल सकता है:
- ई-रुपया मौजूदा बैंकिंग और उपभोक्ता व्यवहार प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, क्योंकि यह क्रिप्टोकरेंसी जैसे डिजिटल रूपों की सुविधा और सुरक्षा तथा पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली के विनियमित, आरक्षित-समर्थित धन परिसंचरण दोनों का समन्वय है।
- यह वाणिज्यिक बैंकों के साथ व्यवहार करते समय भारतीय जमाकर्ताओं को होने वाले नुकसान के जोखिम को कम करेगा।
- उपभोक्ताओं को बैंक जमा के लिये एक सुरक्षित विकल्प के रूप में ई-रुपया मिल सकता है, जो फोन पे, गूगल पे और पेटीएम जैसे ऐप के माध्यम से वार्षिक रीयल-टाइम भुगतान में 76 ट्रिलियन रुपये का समर्थन करता है।
- एक ई-मुद्रा परिवर्तनीयता की धारणा को दिन-प्रतिदिन की वास्तविकता में बदल सकती है।
- यह सीमा पार भुगतानों को निपटाने के लिये संवाददाता बैंकों के महंगे नेटवर्क की आवश्यकता को समाप्त कर सकता है।
- विदेशों में काम करने वाले भारतीयों के लिये रुपया घर भेजना आसान और सस्ता हो जाएगा, चूँकि भारत दुनिया में प्रेषण का शीर्ष प्राप्तकर्ता है, जिसके परिणामस्वरूप भारत के लिये यह लाभदायक होगा।
भारत में CBDC से संबंधित मुद्दे:
- साइबर सुरक्षा: CBDC पारिस्थितिकी तंत्र को साइबर हमलों जैसे जोखिम हो सकते हैं जो वर्तमान भुगतान प्रणाली में पहले से मौजूद हैं।
- गोपनीयता का मुद्दा: CBDC से वास्तविक समय में डेटा के विशाल मात्रा के उत्पन्न होने की उम्मीद है। डेटा की गोपनीयता इसकी अनामिकता से संबंधित चिंताएँ और इसका प्रभावी उपयोग एक चुनौती होगी।
- डिजिटल अंतराल और वित्तीय निरक्षरता: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey-NFHS)-5 ग्रामीण-शहरी विभाजन के आधार पर डेटा पृथक्करण की सुविधा भी प्रदान करता है। केवल 48.7% ग्रामीण पुरुषों और 24.6% ग्रामीण महिलाओं ने कभी इंटरनेट का उपयोग किया है। इसलिये CBDC डिजिटल डिवाइड के साथ-साथ वित्तीय समावेशन में लिंग आधारित बाधाओं को बढ़ा सकता है।
निष्कर्ष
- उन अंतर्निहित तकनीकों पर निर्णय लेने के लिये तकनीकी स्पष्टता सुनिश्चित की जानी चाहिये जिन पर सुरक्षा और स्थिरता के लिये भरोसा किया जा सकता है।
- CBDC को एक सफल पहल और आंदोलन बनाने के लिये RBI को व्यापक आधार हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी स्वीकृति बढ़ाने के लिये मांग पक्ष के बुनियादी ढाँचे तथा ज्ञान के अंतराल को दूर करना चाहिये।
- RBI को विभिन्न मुद्दों, डिज़ाइन के विचारों और डिजिटल मुद्रा की शुूरुआत के निकट प्रभावों को ध्यान में रखते हुए सावधानी से आगे बढ़ना चाहिये।