तमाम प्रयासों के बाद भी कुपोषण भारत में एक बड़ी समस्या के रूप में मौजूद है। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय पोषण मिशन’ के आरंभ को मंजूरी प्रदान की गई है। इसकी संक्षिप्त चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह किस प्रकार देश में कुपोषण के नियंत्रण में सहायक होगा?
07 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर की रूपरेखा :
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एक आँकड़े के अनुसार भारत में पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में 37% अल्पभार, 21% दुर्बलता, 39% ठिगनापन तथा 8% बच्चे अत्यधिक कुपोषण से ग्रसित हैं । इसी प्रकार WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार मोटापे से ग्रसित लोगों की वैश्विक संख्या के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है साथ ही गर्भवती महिलाओं के मामलो में भी कुपोषण एक बड़ी समस्या है। इन्हीं समस्याओं को संबोधित करते हुए हाल ही में सरकार ने राष्ट्रीय पोषण मिशन को प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। इसकी प्रमुख विशेषताओं को हम निम्नलिखित रूपों में देख सकते हैं:
भारत में कुपोषण की भयावहता को देखते हुए एक ऐसे कार्यक्रम की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी जो कुपोषण को बहुआयामी रूप में संबोधित करता हो। यह कार्यक्रम मिशन मोड में शुरू किया गया है। इसके तहत प्रतिवर्ष अल्पविकास, अल्पपोषण और जन्म के समय अल्पभार वाले बच्चों की संख्या में 2% तथा एनीमिया में 3% तक की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है। यह मिशन 2022 तक अल्पविकास के मामलों में एक चौथाई तक कमी लाने को प्रतिबद्ध है। इस मिशन में मुख्य रूप से 6 वर्ष से कम आयु के बच्चे, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं तथा किशोरियों को शामिल किया गया है। अतः यह आशा की जा सकती है कि यह कार्यक्रम देश में कुपोषण की समस्या से निपटने में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।