प्रश्न. भारत को अपने ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र की क्षमता को उजागर करने के लिये एक मजबूत नीतिगत ढाँचे की आवश्यकता है। स्पष्ट कीजिये। (250 शब्द)।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में ऑनलाइन गेमिंग की स्थिति का वर्णन कीजिये।
- भारत में ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित कुछ चुनौतियों के बारे में संक्षेप में बताइये।
- भारत में ऑनलाइन गेमिंग की चुनौतियों से निपटने के लिये कौन-से कदम उठाने की ज़रूरत है।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
भारत में भुगतान करने वाले नए गेमिंग उपयोगकर्त्ताओं (NPUs) का प्रतिशत लगातार दो वर्षों से दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ रहा है जो वर्ष 2020 में 40% और वर्ष 2021 में 50% तक पहुँच गया है।
EY FICCI (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लेनदेन-आधारित गेम का राजस्व 26% बढ़ा है और भुगतान करने वाले गेमर्स की संख्या 17% बढ़कर वर्ष 2020 के 80 मिलियन से वर्ष 2021 में 95 मिलियन हो गई।
- राजस्व और उद्योग वृद्धि:
- भारतीय मोबाइल गेमिंग उद्योग का राजस्व वर्ष 2022 में 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है और वर्ष 2025 में इसके 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
- देश में यह उद्योग वर्ष 2017-2020 के बीच 38% की CAGR से बढ़ा, जबकि चीन में 8% और अमेरिका में 10% था।
- 15% की CAGR वृद्धि के साथ वर्ष 2024 तक इसका राजस्व बढ़कर 153 बिलियन रुपए होने की संभावना है।
ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित मुद्दे:
सामाजिक सरोकार: देश में ऑनलाइन गेम के प्रसार से उत्पन्न होने वाली कई सामाजिक चिंताओं पर भी प्रकाश डाला गया है।
- ऑनलाइन गेम पर लोगों द्वारा बड़ी रकम गंवाने की कई घटनाओं की सूचना मिली है, जिसके कारण देश के विभिन्न हिस्सों में आत्महत्याएं हुई हैं।
कोई नियामक ढाँचा नहीं:
- इसके साथ ही, ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के विभिन्न पहलुओं जैसे कि शिकायत निवारण तंत्र, डेटा की सुरक्षा और बौद्धिक संपदा अधिकारों और भ्रामक विज्ञापनों को नियंत्रित करने के लिये वर्तमान में कोई नियामक ढाँचा नहीं है ।
साइबर बुलिंग
- हालांकि साइबर बुलिंग के अनगिनत रूप हैं, कुछ रूप विशेष रूप से गेमिंग प्लेटफॉर्म के लिये हैं, जैसे नकारात्मक संदेश, अपमानजनक टिप्पणियों के साथ स्पैम करना। इससे पीड़ितों में आत्महत्या और खुद को नुकसान पहुंचाने वाले व्यवहार के उदाहरण सामने आए हैं।
भारत में ऑनलाइन गेमिंग की चुनौतियों से निपटने के लिये उठाए जाने वाले कदम:
- उपयोगकर्ता शिक्षा और जागरूकता: सरकार और गेमिंग कंपनियों को संभावित जोखिमों के बारे में उपयोगकर्ताओं को सक्रिय रूप से शिक्षित करना चाहिये और धोखाधड़ी तथा दुर्व्यवहार की संभावित स्थितियों की पहचान करने में सक्षम बनाना चाहिये।
- शिकायत निवारण: गेमिंग कंपनियों को प्रतिभागियों की गुमनामी को दूर करना चाहिये और एक मज़बूत शिकायत प्रबंधन तंत्र का निर्माण करना चाहिये।
- आयु निर्धारण तंत्र: प्रत्येक खेल को एक अच्छी तरह से स्थापित आयु- निर्धारण तंत्र का पालन करना चाहिये और नाबालिगों को अपने माता-पिता की सहमति से ही आगे बढ़ने की अनुमति दी जानी चाहिये, ओटीपी सत्यापन संभावित रूप से इसका समाधान कर सकता है।
आगे की राह
- मज़बूत नीतिगत ढाँचा:
- भारत ई-गेमिंग उद्योग की क्षमता का दोहन करने, राजस्व को अधिकतम करने और वैश्विक नेतृत्वकर्त्ता बनने की दिशा में प्रयास करने के लिये मज़बूत नीतिगत ढाँचे और डिजिटल बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता है।
- संचालन की देखरेख करने, सामाजिक मुद्दों के समाधान वाली प्रगतिशील नीतियों का मसौदा तैयार करने, स्किल या चांस के खेल को उपयुक्त रूप से वर्गीकृत करने, उपभोक्ता संरक्षण सुनिश्चित करने और अपराध को रोकने हेतु एक सरकारी निकाय की आवश्यकता है।
- सरकार और गेमिंग कंपनियों के बीच सहयोग:
- गेमिंग कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म पर अवैध गतिविधियों और वित्तीय लेन-देन को रोकने के लिये गेमर्स को शिक्षित करने तथा केवाईसी करने एवं उपयोगकर्त्ता प्रमाणीकरण आदि जैसी सर्वोत्तम प्रक्रियाओं द्वाराा उत्तरदायी गेमिंग को बढ़ावा देने के लिये सरकार के साथ काम करना चाहिये।