उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में जल संसाधनों की स्थिति के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली और इसके महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
- चर्चा कीजिये कि इसे शहरी क्षेत्रों में कैसे प्रभावी बनाया जा सकता है।
- जल प्रबंधन से संबंधित सरकारी पहलों के कुछ उदाहरण प्रदान कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
लगभग 75% घरों में पीने योग्य जल नहीं है, 84% ग्रामीण घरों में पाइप के माध्यम से जल की आपूर्ति नहीं है और भारत का 70% जल प्रदूषित है, देश वर्तमान में जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 में से 120 वें स्थान पर है।
2030 तक, देश की जल की मांग उपलब्ध आपूर्ति से दोगुनी होने का अनुमान है, जिसका अर्थ है कि करोड़ों लोगों के लिये जल की गंभीर कमी और देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 6% का नुकसान होगा।
भारत में भूजल का महत्त्व:
- भूजल 26 करोड़ से अधिक किसानों और खेतिहर मज़दूरों की आजीविका हेतु आवश्यक है।
- भूजल भारत में सबसे महत्त्वपूर्ण जल स्रोतों में से एक है, जो कुल सिंचाई का 63% है और ग्रामीण तथा शहरी घरेलू जल आपूर्ति में इसका योगदान 80% से अधिक है।
- खोदे गए कुओं, उथले नलकूपों और गहरे नलकूपों सहित कुओं से सिंचाई के लिये लगभग 61.6% जल की प्राप्ति होती है, इसके बाद 24.5 प्रतिशत नहरें आती हैं।
वाटर हार्वेस्टिंग (WH) का अर्थ है वर्षा का जल जहाँ गिरता है, उसके प्रवाह को नियंत्रित करते हुए जल का संचय करना।
भारत में वाटर हार्वेस्टिंग का महत्त्व:
- वर्षा जल के संचयन से जलभृतों को रिचार्ज करने में मदद मिलती है।
- यह अधिक बारिश के कारण शहरी बाढ़ को रोकने में मदद करता है।
- संग्रहित जल का उपयोग कृषि क्षेत्र में सिंचाई पद्धतियों के लिये किया जा सकता है।
- इस जल का उपयोग दैनिक उपयोग के लिये किया जा सकता है और कस्बों तथा शहरों में पानी के बिल को कम करने में मदद कर सकता है।
- शुष्क और बंजर क्षेत्रों में पानी की कमी से निपटने का एक सहायक तरीका है।
- यह भूजल स्तर को बहाल करने में मदद करता है।
- जल प्रबंधन का यह नवीकरणीय स्रोत पानी से संबंधित प्रमुख समस्याओं पर काबू पाने में मदद कर सकता है, जो न केवल इस समय दुनिया को त्रस्त कर रही हैं बल्कि भविष्य में वैश्विक आबादी और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं।
शहरी क्षेत्रों में वाटर हार्वेस्टिंग :
- वाटर हार्वेस्टिंग सतही अपवाह संचयन और छत पर वर्षा जल के संचयन द्वारा की जाती है।
- चूँकि वर्तमान समय में शहरीकरण के परिणामस्वरूप खुले स्थान सिकुड़ रहे हैं और बहुत कम क्षेत्र कच्चा रह गया है, इसलिये पुनर्भरण पिट, पुनर्भरण ट्रेंच, खोदे गए कुएँ, पुनर्भरण शाफ्ट और रिसाव टैंक जैसी छोटी संरचनाएँ वर्षा के प्रवाह को रोकने में मदद करती हैं तथा फिर इस जल का रिसाव मृदा में हो पाता है और जल स्तर बढ़ जाता है ।
भारत में जल संरक्षण के लिये सुझाव:
एकीकृत शहरी जल प्रबंधन (IUWM) प्रणाली: IUWM, जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जल प्रबंधन और स्वच्छता योजना को आर्थिक विकास एवं भूमि उपयोग के अनुरूप तैयार किया जा सकता है।
लाभ:
यह समग्र प्रक्रिया स्थानीय स्तर पर जल विभागों के बीच समन्वय को आसान बनाती है।
यह शहरों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने और जल की आपूर्ति को अधिक कुशलता से प्रबंधित करने में भी मदद करता है।
सरकार द्वारा की गई पहलें:
जल शक्ति मंत्रालय तथा जल जीवन मिशन:
- जल शक्ति मंत्रालय का गठन जल के मुद्दों से समग्र रूप से निपटने के लिये किया गया था।
- जल जीवन मिशन का लक्ष्य वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में पाइप द्वारा जलापूर्ति सुनिश्चित है।
अटल भूजल योजना:
- यह जल उपयोगकर्त्ता संघों, जल बजट, ग्राम-पंचायत-वार जल सुरक्षा योजनाओं की तैयारी और कार्यान्वयन के माध्यम से सामुदायिक भागीदारी के साथ भूजल के स्थायी प्रबंधन हेतु केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
जल शक्ति अभियान:
- इसकी शुरुआत जुलाई 2019 में देश में जल संरक्षण और जल सुरक्षा के लिये एक अभियान के रूप में की गई।
राष्ट्रीय जल मिशन:
- इसका उद्देश्य एकीकृत जल संसाधन विकास और प्रबंधन के माध्यम से जल का संरक्षण करना, अपव्यय को कम करना और राज्यों के बाहर तथा भीतर जल का अधिक समान वितरण सुनिश्चित करना है।
निष्कर्ष:
जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या वृद्धि के कारण जल के उपयोग में वृद्धि हुई है, बेहतर शहरी जल प्रबंधन के लिये नए समाधानों की कल्पना की जानी चाहिये। विभिन्न स्थानीय संदर्भों में अधिक लोगों को चुनौतियों से अवगत कराने की आवश्यकता है।
इसी तरह, महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्थानीय विभागों जैसे संस्थानों में बदलाव की आवश्यकता है। यह आवश्यक है कि जल संबंधी मुद्दों को हल करने के लिये समग्र और प्रणालीगत समाधान लागू किये जाएँ ।