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प्रश्न :
प्रश्न. भारत में अनियमित ओटीटी प्लेटफॉर्म के क्या निहितार्थ हैं? सरकार द्वारा शुरू किये गए कुछ हालिया नीतिगत उपायों के बारे में बताइये। (250 शब्द)
11 Oct, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- ओटीटी प्लेटफॉर्म के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- ओटीटी प्लेटफॉर्म के अनुप्रयोगों पर चर्चा कीजिये।
- इससे जुड़े कुछ लाभों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- ओटीटी प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के लिये विभिन्न सरकारी पहलों के बारे में बताकर उत्तर को समाप्त कीजिये।
परिचय:
OTT सेवाओं से आशय ऐसे एप से है, जिनका उपयोग उपभोक्ताओं द्वारा इंटरनेट के माध्यम से किया जाता है। OTT शब्द का प्रयोग आमतौर पर वीडियो-ऑन-डिमांड प्लेटफॉर्म के संबंध में किया जाता है, लेकिन ऑडियो स्ट्रीमिंग, मैसेज सर्विस या इंटरनेट-आधारित वॉयस कॉलिंग सोल्यूशन के संदर्भ में भी इसका प्रयोग होता है।
ये प्लेटफॉर्म उपयोगकर्त्ताओं को व्यापक कंटेंट प्रदान करने साथ-साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का इस्तेमाल करते हुए उन्हें कंटेंट के संबंध में सुझाव भी प्रदान करते हैं।
अधिकांश OTT प्लेटफॉर्म आम तौर पर कुछ सामग्री निःशुल्क उपलब्ध कराते हैं और प्रीमियम सामग्री के लिये मासिक सदस्यता शुल्क लेते हैं जो आमतौर पर कहीं और उपलब्ध नहीं होता है।
- भारत में OTT की स्थिति:
- भारत वर्तमान में दुनिया का सबसे तेज़ी से बढ़ता ओटीटी (ओवर-द-टॉप स्ट्रीमिंग) बाज़ार है और 2024 तक दुनिया के छठे सबसे बड़े बाज़ार के रूप में उभरने के लिये पूरी तरह तैयार है।
- वर्तमान में, लगभग 500 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के साथ OTT प्लेटफॉर्म का मूल्यांकन 35 बिलियन INR है, जिसके प्रति वर्ष 8% की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
- जैसे, नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार, अमेज़न प्राइम वीडियो, ALT एएलटी बालाजी आदि।
प्रारूप :
ओटीटी प्लेटफॉर्म के अनुप्रयोग:
- मुद्रीकरण के अनेक विकल्प: जैसे पे-पर-व्यू, आजीवन पहुँच, सदस्यताएँ और शुरुआती लोगों के लिये निःशुल्क।
- विभिन्न स्ट्रीमिंग विधियाँ: ऑन-डिमांड और लाइव स्ट्रीमिंग जैसी सुविधाएँ।
- सामुदायिक निर्माण उपकरण: जैसे लाइव चैट, लाइक्स एंड कॉमेंट्स और प्रोफ़ाइल निर्माण आदि।
- सामग्री विनियमन विकल्प: किसी वीडियो को कितनी बार स्ट्रीम किया जा सकता है या कौन सामग्री तक पहुँच सकता है, यह निर्धारित करने के लिये टूल का उपयोग किया जाता है।
- एकीकरण: विभिन्न वीडियो तकनीकों जैसे Roku, Chromecast आदि का प्रयोग।
ओटीटी प्लेटफॉर्म के निहितार्थ:
- सामाजिक-राजनीतिक सद्भाव को प्रभावित कर सकता है: चूँकि सामग्री की समीक्षा करने के लिये कोई सेंसर बोर्ड नहीं है, इसलिये संभावना है कि सामग्री सामाजिक या राजनीतिक सद्भाव को प्रभावित कर सकती है और कुछ मुद्दों पर लोगों की भावनाओं को आहत कर सकती है।
- संस्कृति और परंपरा के लिये खतरा: ओटीटी प्लेटफॉर्म पर जारी आधुनिक और नई सामग्री को भारत में लोगों द्वारा स्वीकार और सराहा गया है। हालाँकि अभी भी कुछ लोग ऐसे हैं जो इस अनूठी सामग्री को स्वीकार नहीं कर पाए हैं।
- मनोवैज्ञानिक प्रभाव: ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध सामग्री हिंसा, यौन और दुर्व्यवहार से भरी हुई है और इसने भारतीय युवाओं पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाला है।
- स्क्रीन समय में वृद्धि: यह देखते हुए कि हर हफ्ते बहुत सारी वेब सीरीज़, फिल्में और शो रिलीज़ होते हैं, उपयोगकर्ताओं के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपना समय बर्बाद करने की अधिक संभावना है।
- जो लोग लाइव वीडियो स्ट्रीमिंग पर अधिक समय बिता रहे हैं, वे वास्तविक जीवन में सामाजिक रूप से सक्रिय होने के बजाय ऑनलाइन सामग्री के आदी हो जाते हैं।
OTT को विनियमित करने वाले कानून:
- सरकार ने OTT प्लेटफार्मों को विनियमित करने के लिये फरवरी 2022 में सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया नैतिकता संहिता) नियम वर्ष 2021 को अधिसूचित किया था।
- यह नियम OTT प्लेटफॉर्म के लिये आचार संहिता और त्रि-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र के साथ एक सॉफ्ट-टच स्व-नियामक आर्किटेक्चर स्थापित करते हैं।
- प्रत्येक प्रकाशक को 15 दिनों के भीतर शिकायतें प्राप्त करने और उनके निवारण के लिये भारत में स्थित एक शिकायत अधिकारी नियुक्त करना चाहिये।
- साथ ही, प्रत्येक प्रकाशक को एक स्व-नियामक निकाय का सदस्य बनने की आवश्यकता है। ऐसे निकाय को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में पंजीकरण कराना होगा और उन शिकायतों का समाधान करना होगा जिनका समाधान प्रकाशक द्वारा 15 दिनों के भीतर नहीं किया गया है।
- सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित अंतर-विभागीय समिति त्रि-स्तरीय निगरानी तंत्र का गठन करती है।
- यह कानून केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की भागीदारी के बिना सामग्री के स्व-वर्गीकरण का प्रावधान करते हैं।
निष्कर्ष:
ओटीटी प्लेटफॉर्म से संबंधित हालिया नियमन सही दिशा में उठाया गया कदम है, क्योंकि यह कम उम्र की आबादी को कुछ खास तरह की सामग्री देखने से रोकेगा और पारदर्शिता को बढ़ाएगा।
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