प्रश्न. IAS सुश्री सुनंदा वशिष्ठ, एक मज़बूत धार्मिक झुकाव वाले परिवार से आती हैं। वह पर्याप्त मुस्लिम आबादी के साथ हिंदू बहुल ज़िले की DM हैं। DM के अधीन सम्पदा विभाग द्वारा नियंत्रित ज़िला मुख्यालय में केवल एक अच्छा टाउन हॉल है। हॉल में हर साल ईद का त्योहार मनाया जाता है। इस साल ईद और एक प्रसिद्ध हिंदू त्योहार एक ही दिन मनाए जाने हैं और दोनों समूहों ने एक ही हॉल की सिफारिश की है। पहले हिंदू अपने इस त्योहार को एक धार्मिक-सामाजिक सेवा संस्थान के परिसर में मनाते थे लेकिन इस साल उस हॉल का नवीनीकरण किया जा रहा है।
(b) इस मुद्दे को हल करने के लिये अपनी कार्रवाई का भी उल्लेख कीजिये ताकि दोनों समुदाय अपने त्योहार शांतिपूर्वक मना सकें।
उत्तर :
इस केस स्टडी में शामिल हितधारक हैं:
- मैं स्वयं एक DM के रूप में
- दोनों समुदायों के धार्मिक नेता।
- समग्र रूप से समुदाय और समाज (धार्मिक समुदायों के लोगों सहित)।
- राज्य सरकार के अधीन अन्य अधिकारी और कर्मचारी।
डीएम के सामने आने वाली नैतिक और स्थितिपरक चुनौतियाँ हैं:
नैतिक मुद्दे:
- तटस्थता: इस मामले ने लोक सेवकों द्वारा तटस्थता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, राज्य को हमेशा तटस्थ रहना चाहिये और धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर पक्षपात नहीं करना चाहिये।
- निष्पक्षता: दोनों समुदायों के मुद्दों और चिंताओं को एक नज़रिये से देखना और बिना किसी भय, पक्षपात, स्नेह और दुर्भावना के समान प्राथमिकताओं के साथ मुद्दों को हल करना।
- सहिष्णुता: प्रत्येक धार्मिक समुदाय के व्यक्तिगत धार्मिक विश्वासों, पसंद और नापसंदों के बावजूद शांतिपूर्ण उत्सव की सुविधा प्रदान करना।
- हितों का टकराव: एक धर्म के पक्ष में डीएम की धार्मिक मान्यता और किसी भी धार्मिक समुदाय को हॉल आवंटित करने का मुद्दा।
स्थितिपरक नैतिकता:
- संकट प्रबंधन: सीमित संसाधनों के साथ और स्थानीय समुदायों पर बिना किसी प्रतिकूल प्रभाव के संकट से कुशलतापूर्वक निपटना।
- कानून और व्यवस्था बनाए रखना: दोनों समुदायों के विरोध में कुछ अराजक तत्त्व धार्मिक हिंसा और दंगों को भड़का सकते हैं।
- कार्यालय में स्वस्थ कार्य संस्कृति को बनाए रखने और जनता के बीच विश्वास के लिये समय पर उचित निर्णय लेना।
इस मुद्दे को हल करने के लिये डीएम द्वारा निम्नलिखित कार्रवाई की जा सकती है ताकि दोनों समुदाय अपने त्योहार शांतिपूर्वक मना सकें:
जैसा कि लोग अपने स्वार्थ को आगे बढ़ाने के लिये विरोध कर रहे हैं। हिंसक विरोध और दंगों की संभावना को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है। यहाँ तीन प्रमुख मुद्दे हैं:
- समुदायों द्वारा विरोध को समाप्त करना,
- दोनों समुदायों के उत्सव समारोह के लिये हॉल और स्थल के प्रश्न का निर्णय करना।
- त्योहारों को शांतिपूर्ण तरीके से मनाना।
आइए प्रत्येक मुद्दे को एक-एक करके हल करते हैं:
- चूँकि दोनों समुदाय अपने प्रमुख त्योहारों को मनाने के लिये उत्सुक हैं और अपनी धार्मिक भावनाओं के तहत वे विरोध कर रहे हैं, अतः यह स्थिति हिंसक प्रकृति ले सकती है। समुदायों द्वारा विरोध को समाप्त करने के लिये :
- दोनों समुदायों के धार्मिक नेताओं को आमंत्रित करें और अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ उनसे मिलें।
- उन्हें इस मुद्दे की संवेदनशीलता के बारे में सूचित करना जैसे कि उनका विरोध समाज में मौजूद कुछ अशांत तत्वों की कार्रवाई के कारण दोनों समुदायों और पूरे समाज की शांति को नुकसान पहुँचा सकता है
- धरना स्थल पर पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की व्यवस्था करना।
- दोनों समुदायों के उत्सव समारोह के लिये हॉल और स्थल के प्रश्न का निर्णय करना।
- हम (सार्वजनिक अधिकारी) उन्हें सुनिश्चित करेंगे कि सरकार द्वारा दोनों समुदायों को एक उपयुक्त स्थान, पर्याप्त सुविधाएँ और कड़ी सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
- और सभी प्रमुख हितधारकों को विश्वास में लाकर सभी निर्णय लिये जाएँगे।
- लेकिन किसी भी आगे की कार्रवाई के लिये पूर्व-आवश्यक शर्त समुदायों द्वारा विरोध को समाप्त करना है और संबंधित धार्मिक नेताओं से यह अपेक्षा की जाती है कि वो विरोध को समाप्त करने के लिये अपने लोगों का का मार्गदर्शन करेंगे तथा राज्य मशीनरी हर संभव तरीके से नेताओं की मदद करेगी।
- केस स्टडी में शहर के एकमात्र हॉल का उल्लेख है और वर्तमान में हॉल के लिये दो दावेदार हैं। एक समुदाय को अनुमति देने और दूसरे को हॉल में त्योहार मनाने से मना करने से हितधारकों के बीच टकराव हो सकता है।
- इसलिये, स्थानों के 2 सेट (या तो सार्वजनिक क्षेत्र या किराए की निजी भूमि) को निर्धारित करेंगे, ये दोनों एक-दूसरे से पर्याप्त रूप से अलग होंगे (भविष्य में किसी भी टकराव से बचने के लिये और अन्य सुरक्षा कारणों से) और समुदाय के नेताओं से समूह में से किसी एक स्थान को चुनने के लिये कहेंगे।
- सुरक्षा और प्रबंधन से लेकर तमाम इंतजाम सरकार करेगी।
- प्रशासन सेवाओं के लिये समुदायों से उचित शुल्क भी लेगी और समुदाय को यह सुनिश्चित करेगी कि इस शुल्क का उपयोग भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिये इस तरह के एक और हॉल के निर्माण के लिये किया जाएगा।
- कार्यक्रम स्थल पर भीड़ को प्रबंधित करने के लिये पड़ोसी ज़िले से सुरक्षा कर्मियों आदि जैसे पर्याप्त संसाधन की मदद ली जाएगी ।
- त्योहारों को शांतिपूर्ण तरीके से मनाना।
- मैं हर चीज और प्रक्रिया के लिये एक उचित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) स्थापित करूँगी
- मैं किसी भी अप्रत्याशित घटना को रोकने के लिये आयोजन करने वाले लोगों, सरकारी अधिकारियों, मेरे (डीएम) और अन्य हितधारकों के बीच एक उचित और प्रभावी 24*7 संचार लाइन स्थापित करूँगी।
- आयोजन के दिन अतिरिक्त चौकसी बरती जाएगी।
- फोर्स (आरएएफ), अग्निशमन सेवाएँ और अन्य तत्काल मांग वाले संसाधनों को हाई अलर्ट मोड पर रखा जाएगा।
आमतौर पर दुर्लभ संसाधन, विविध समुदाय और भावनात्मक तत्त्व समाज में परेशानी पैदा करते हैं। समाज के प्रत्येक हितधारक का यह कर्तव्य है कि वह विविध पृष्ठभूमि वाले लोगों के बीच सहयोग करके और दुर्लभ संसाधनों का प्रबंधन करके समाज की भलाई में योगदान करे।