- फ़िल्टर करें :
- अर्थव्यवस्था
- विज्ञान-प्रौद्योगिकी
- पर्यावरण
- आंतरिक सुरक्षा
- आपदा प्रबंधन
-
प्रश्न :
प्रश्न. भारत को विनिर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से मेक इन इंडिया योजना शुरू की गई थी लेकिन इसनेअभी तक कोई खास मुकाम हासिल नहीं किया है। चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
12 Oct, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- मेक इन इंडिया योजना के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- मेक इन इंडिया कार्यक्रम से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
- अपना उत्तर उपयुक्त रूप से समाप्त कीजिये।
परिचय
वर्ष 2014 में लॉन्च किये गए मेक इन इंडिया का मुख्य उद्देश्य देश को एक अग्रणी वैश्विक विनिर्माण और निवेश गंतव्य में बदलना है।
यह पहल दुनिया भर के संभावित निवेशकों और भागीदारों को 'न्यू इंडिया' की विकास गाथा में भाग लेने हेतु एक खुला निमंत्रण हैै।
मेक इन इंडिया ने 27 क्षेत्रों में पर्याप्त उपलब्धियांँ हासिल की हैं। इनमें विनिर्माण और सेवाओं के रणनीतिक क्षेत्र भी शामिल हैं।
उद्देश्य:
- नए औद्योगीकरण के लिये विदेशी निवेश को आकर्षित करना और चीन से आगे निकलने के लिये भारत में पहले से मौजूद उद्योग आधार का विकास करना।
- मध्यावधि में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि को 12-14% वार्षिक करने का लक्ष्य।
- देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी को वर्ष 2022 तक 16% से बढ़ाकर 25% करना।
- वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोज़गार सृजित करना।
- निर्यात आधारित विकास को बढ़ावा देना।
प्रारूप
मेक इन इंडिया कार्यक्रम से संबंधित मुद्दे:
- शेल कंपनियों से निवेश: भारतीय एफडीआई का बड़ा हिस्सा न तो विदेशी है और न ही प्रत्यक्ष बल्कि मॉरीशस स्थित शेल कंपनियों से आता है, जिनके बारे में संदेह है कि वे केवल भारत से काले धन का निवेश कर रहे हैं, जो मॉरीशस के माध्यम से भेजा जाता है।
- कम उत्पादकता: भारतीय कारखानों की उत्पादकता कम है और श्रमिकों के पास अपर्याप्त कौशल है।
- मैकिंजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र में भारतीय श्रमिक थाईलैंड और चीन में अपने समकक्षों की तुलना में औसतन लगभग चार से पाँच गुना कम उत्पादक हैं।
- लघु औद्योगिक इकाइयाँ: पैमाने की वांछित अर्थव्यवस्थाओं को प्राप्त करने, आधुनिक उपकरणों में निवेश करने तथा आपूर्ति शृंखला विकसित करने के लिये औद्योगिक इकाइयों का आकार छोटा है।
- बुनियादी ढाँचा: भारत और चीन में विद्युत की लागत लगभग समान है, लेकिन भारत में विद्युत की कटौती बहुत अधिक है।
- परिवहन: चीन में औसत गति लगभग 100 किमी. प्रति घंटा है, जबकि भारत में यह लगभग 60 किमी. प्रति घंटा है। भारतीय रेलवे संतृप्त हो गया है और बहुत से एशियाई देशों के लिये भारतीय बंदरगाहों का प्रदर्शन बेहतर किया गया है।
- विश्व बैंक के वर्ष 2018 लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPI) ने 160 देशों में भारत को 44वाँ स्थान दिया। सिंगापुर सातवें, चीन को 26वें और मलेशिया को 41वें स्थान पर रखा गया। सिंगापुर में जहाज़ का औसत टर्नअराउंड समय एक दिन से भी कम था और भारत में यह 2.04 दिन था।
- लालफीताशाही: नौकरशाही प्रक्रियाएँ और भ्रष्टाचार भारत को निवेशकों के लिये कम आकर्षक बनाते हैं।
आगे की राह
- मेक इन इंडिया पहल यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि देश में व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र भारत में व्यापार करने वाले निवेशकों के लिये अनुकूल है और राष्ट्र के वृद्धि एवं विकास में योगदान दे।
- यह कई सुधारों के माध्यम से संभव हुआ है जिससे निवेश प्रवाह में वृद्धि हुई है और साथ ही आर्थिक विकास भी हुआ है।
- इस पहल के अंतर्गत भारत में व्यवसायों का लक्ष्य है कि जो उत्पाद 'मेड इन इंडिया' हैं, वे 'मेड फॉर द वर्ल्ड' भी हैं, जो गुणवत्ता के वैश्विक मानकों का पालन करते हैं।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print