प्रश्न. यदि भारत अपनी जनसांख्यिकीय क्षमता का दोहन करना चाहता है तो यहाँ के युवाओं के लिये कौशल अर्जन एक पूर्वापेक्षा है। इस संदर्भ में कौशल विकास के लिये की गई विभिन्न पहलों की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में कौशल प्रशिक्षण की स्थिति के बारे में कुछ डेटा या रिपोर्ट के बारे में बताते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- कार्यबल के कौशल विकास की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये।
- कौशल विकास के लिये उठाए गए विभिन्न कदमों की चर्चा कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए अपना उत्तर समाप्त कीजिये।
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परिचय
राष्ट्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता नीति पर वर्ष 2015 की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि भारत में कुल कार्यबल के केवल 7% ने औपचारिक कौशल प्रशिक्षण प्राप्त किया था, जबकि अमेरिका में यह 52%, जापान में 80% और दक्षिण कोरिया में 96% था।
कार्यबल के कौशल विकास की आवश्यकता क्यों है?
- आपूर्ति और मांग के मुद्दे: आपूर्ति पक्ष के अनुरूप भारत पर्याप्त रोज़गार के अवसर पैदा करने में विफल हो रहा है; और मांग पक्ष में बाज़ार में रोज़गार पाने वालों में कौशल की कमी है जिससे रोज़गार की कमी के साथ-साथ बेरोज़गारी में वृद्धि देखी जा रही है।
- बढ़ती बेरोज़गारी: सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के अनुसार, भारत में बेरोज़गारी दर वर्ष 2022 में लगभग 7% या 8% रही है, जो पाँच साल पहले की तुलना में लगभग 5% अधिक है।
- इसके अलावा कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण नौकरी की कमज़ोर संभावनाओं के चलते कार्यबल में कमी आई है।
- श्रम बल भागीदारी दर (यानी जो लोग काम कर रहे हैं या काम की तलाश कर रहे हैं) छह साल पहले के 46% से गिरकर 40% (वैध उम्र के 900 मिलियन भारतीय) पर आ गई है ।
- कार्यबल में कौशल की कमी: रोज़गार सृजन के साथ श्रम बाज़ार में प्रवेश करने वालों की रोज़गार के अनुसार क्षमता और उत्पादकता एक मुद्दा बना हुआ है।
- इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2015 के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से केवल 37.22% को रोज़गार योग्य पाया गया जिसमें से पुरुषों में यह आँकड़ा 34.26% व महिलाओं में 37.88% था।
- कुशल कार्यबल की मांग: भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) द्वारा वृद्धिशील मानव संसाधन आवश्यकताओं का अनुमान वर्ष 2022 तक 201 मिलियन लगाया गया और कुशल कार्यबल की कुल आवश्यकता वर्ष 2023 तक 300 मिलियन होगी।
- इन नौकरियों का एक बड़ा हिस्सा विनिर्माण क्षेत्र से आना था। राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (2011) में वर्ष 2022 तक विनिर्माण क्षेत्र में 100 मिलियन नई नौकरियों का लक्ष्य रखा गया था।
- कौशल विकास मंत्रालय द्वारा जारी अध्ययन रिपोर्टों में वर्ष 2022 तक 24 क्षेत्रों में 109.73 मिलियन वृद्धिशील मानव संसाधन आवश्यकता का आकलन किया गया।
कौशल विकास के लिये की गई प्रमुख पहलें:
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना: सरकार की फ्लैगशिप ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ वर्ष 2015 में ITIs के माध्यम से और अप्रेंटिसशिप योजना (Apprenticeship Scheme) के तहत अल्पकालिक प्रशिक्षण व कौशल प्रदान करने के लिये शुरू की गई थी।
- वर्ष 2015 से अब तक सरकार इस योजना के तहत 10 मिलियन से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित कर चुकी है।
- ‘संकल्प’ और ‘स्ट्राइव’: संकल्प कार्यक्रम (SANKALP Programme) ज़िला-स्तरीय स्किलिंग पारितंत्र पर केंद्रित है और ‘स्ट्राइव योजना’ (STRIVE project) जिसका उद्देश्य ITIs के प्रदर्शन में सुधार करना है, एक अन्य महत्त्वपूर्ण कौशल निर्माण आयाम है।
- विभिन्न मंत्रालयों की पहल: 20 केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा लगभग 40 कौशल विकास कार्यक्रम कार्यान्वित किये जा रहे हैं। कुल कौशल निर्माण में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय’ का योगदान लगभग 55% है।
- इन सभी मंत्रालयों की पहल के परिणामस्वरूप वर्ष 2015 से लगभग चार करोड़ लोगों को विभिन्न औपचारिक कौशल कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया है।
- कौशल निर्माण में अनिवार्य CSR व्यय: कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत अनिवार्य CSR व्यय के कार्यान्वयन के बाद से भारत में निगमों ने विविध सामाजिक परियोजनाओं में 100,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है।
- इनमे से करीब 6,877 करोड़ रुपए स्किलिंग और आजीविका बढ़ाने वाली परियोजनाओं पर खर्च किये गए। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक और गुजरात शीर्ष पाँच प्राप्तकर्त्ता राज्य थे।
- कौशल के लिये TEJAS पहल: हाल ही में TEJAS (ट्रेनिंग फॉर अमीरात जॉब्स एंड स्किल्स), प्रवासी भारतियों को प्रशिक्षित करने के लिये एक स्किल इंडिया इंटरनेशनल प्रोजेक्ट दुबई एक्सपो, 2020 में लॉन्च किया गया था।
- इस परियोजना का उद्देश्य भारतीयों को कौशल प्रमाणन और विदेशों में रोज़गार प्राप्त करने में सक्षम बनाना तथा भारतीय कार्यबल को UAE जैसे देशों में कौशल एवं बाज़ार की आवश्यकताओं के अनुसार सक्षम बनाने हेतु मार्ग प्रशस्त करना है।
आगे की राह
कौशल विकास हमारे देश के विकास का सबसे आवश्यक पहलू है। भारत के पास विशाल 'जनसांख्यिकीय लाभांश' है, जिसका अर्थ है कि इसमें श्रम बाज़ार को कुशल जनशक्ति प्रदान करने की बहुत अधिक संभावना है। इसके लिये सरकारी एजेंसियों, उद्योगों, शैक्षिक और प्रशिक्षण संस्थानों तथा छात्रों, प्रशिक्षुओं एवं नौकरी चाहने वालों सहित सभी हितधारकों के समन्वित प्रयास की आवश्यकता है।