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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. क्वाड आधुनिक दुनिया की नई वास्तविकता है और यह भारत के लिये फायदे और नुकसान दोनों के साथ आता है। (150 शब्द)

    04 Oct, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • क्वाड के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • क्वाड व्यवस्था में भारत के लिये अवसरों की चर्चा कीजिये।
    • क्वाड से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
    • आगे की राह बताते हुए अपना उत्तर समाप्त कीजिये।

    परिचय

    क्वाड- भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का एक समूह है। सभी चारों राष्ट्र लोकतांत्रिक होने के कारण इनकी एक सामान आधारभूमि हैं और निर्बाध समुद्री व्यापार और सुरक्षा के साझा हित का भी समर्थन करते हैं।इसका उद्देश्य "मुक्त, स्पष्ट और समृद्ध" इंडो-पैसिफिक क्षेत्र सुनिश्चित करना तथा उसका समर्थन करना है।

    क्वाड का विचार पहली बार वर्ष 2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने रखा था। हालाँकि यह विचार आगे विकसित नहीं हो सका, क्योंकि चीन के ऑस्ट्रेलिया पर दबाव के कारण ऑस्ट्रेलिया ने स्वयं को इससे दूर कर लिया।

    प्रारूप

    क्वाड व्यवस्था में भारत के लिये संभावनाएँ:

    • चीन से मुक़ाबला:
      • हिमालय में उपलब्ध अवसरवादी भूमि हड़पने के प्रयासों में संलग्न होने की तुलना में समुद्री क्षेत्र चीन के लिये बहुत अधिक महत्वपूर्ण हैं।
      • चीनी व्यापार का एक बड़ा हिस्सा भारतीय समुद्री मार्गों से होता है जो समुद्री चौकियोँ से होकर गुज़रता है।
      • सीमाओं पर किसी भी चीनी आक्रमण की स्थिति में, भारत क्वाड देशों के सहयोग से चीनी व्यापार को संभावित रूप से बाधित कर सकता है।
      • इसलिये महाद्वीपीय क्षेत्र के विपरीत भारत जहाँ चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत के कारण 'नटक्रैकर जैसी स्थिति' का सामना कर रहा है, समुद्री क्षेत्र भारत के लिये गठबंधन, निर्माण, नियम स्थापित करने और रणनीतिक अन्वेषण के अन्य रूपों के लिये खुला है।
    • उभरते सुरक्षा प्रदाता की तरह:
      • समुद्री क्षेत्र में विशेष रूप से 'हिंद-प्रशांत' की अवधारणा के आगमन के साथ महान शक्तियों के बीच रुचि बढ़ रही है। उदाहरण के लिये, कई यूरोपीय देशों ने हाल ही में अपनी हिंद-प्रशांत रणनीतियों को जारी किया है।
      • भारत-प्रशांत भू-राजनीतिक कल्पना के केंद्र में स्थित है, 'व्यापक एशिया' की दृष्टि को साकार कर सकता है व भौगोलिक सीमाओं से दूर अपने प्रभाव को बढ़ा सकता है।
      • इसके अलावा भारत मानवीय सहायता और आपदा राहत, खोज एवं बचाव या समुद्री डकैती विरोधी अभियानों के लिये नौवहन की निगरानी, जलवायु की दृष्टि से कमज़ोर देशों को बुनियादी ढाँचा सहायता, कनेक्टिविटी पहल तथा इसी तरह की गतिविधियों में सामूहिक कार्रवाई कर सकता है।
      • इसके अलावा क्वाड हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की साम्राज्यवादी नीतियों की जाँच कर सकता है तथा इस क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास सुनिश्चित कर सकता है।

    क्वाड से संबंधित मुद्दे:

    • अपरिभाषित दृष्टि: क्वाड परिभाषित रणनीतिक मिशन के बिना एक तंत्र बना हुआ है, इसके बावजूद सहयोग की संभावना है।
    • समुद्री प्रभुत्व: इंडो-पैसिफिक पर पूरा ध्यान क्वाड को एक भूमि-आधारित समूह के बजाय एक समुद्र का हिस्सा बनाता है, यह सवाल उठता है कि क्या यह सहयोग एशिया-प्रशांत और यूरेशियन क्षेत्रों तक फैला हुआ है।
    • भारत की गठबंधन प्रणाली का विरोध: तथ्य यह है कि भारत एकमात्र सदस्य है जो संधि गठबंधन प्रणाली के खिलाफ है, इसने एक मज़बूत चतुष्पक्षीय जुड़ाव को लेकर प्रगति को धीमा कर दिया है।

    आगे की राह

    • क्वाड राष्ट्रों को सभी के आर्थिक एवं सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक व्यापक ढाँचे में इंडो-पैसिफिक विज़न को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने की ज़रूरत है।
    • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत के कई अन्य साझेदार हैं, भारत ऐसे में इंडोनेशिया और सिंगापुर जैसे देशों को इस समूह में शामिल होने के लिये आमंत्रित कर सकता है।
    • भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर एक व्यापक दृष्टिकोण विकसित करनी चाहिये, जिसमें वर्तमान एवं भविष्य की समुद्री चुनौतियों पर विचार करने, अपने सैन्य एवं गैर-सैन्य उपकरणों को मज़बूत करने तथा रणनीतिक भागीदारों को शामिल करने पर ध्यान दिया जाए।

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