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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. अपने जीवन में करुणा, सहानुभूति, सहिष्णुता और समानता शब्दों से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिये।

    29 Sep, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उपर्युक्त मूल्यों के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • करुणा, सहानुभूति, सहिष्णुता और समानता के मूल्यों पर चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    उपर्युक्त वर्णित सभी अवधारणाएँ- करुणा, सहानुभूति, सहिष्णुता आदि सभी लोगों द्वारा साझा किये जाने वाले अत्यंत महत्त्वपूर्ण गुण हैं और मानव को भावनात्मक प्राणी बनाने में इनका अत्यधिक महत्त्व है।

    प्रारूप

    सहानुभूति: सहानुभूति वह मन:स्थिति है जहाँ व्यक्ति दूसरे की पीड़ा को महसूस करता है तथा चाहता है कि उसकी पीड़ा समाप्त हो जाए। इस स्थिति में व्यक्ति किसी अन्य के दु:ख का दया से बढ़कर चिंता के स्तर तक की अनुभूति करता है किंतु ‘स्व’ और ‘पर’ का अंतर बना रहता है।

    करुणा: करुणा किसी व्यक्ति की वह मन:स्थिति है जहाँ व्यक्ति किसी कमज़ोर व्यक्ति या प्राणी की दयनीय स्थिति को समझकर उसके प्रति समानुभूतिक चिंता रखता है तथा यह संवेदनशीलता की वह स्थिति है जहाँ व्यक्ति दूसरे के दु:ख को महसूस कर उसे उस दु:ख से निकालने हेतु प्रेरित रहता है। यह विश्व में परोपकार की भावना का मूल तत्त्व है।

    सहिष्णुता: यह हमारी समृद्ध विविधता को सम्मान देने एवं उसको स्वीकृति देने, मानव होने के नाते हमारी अभिव्यक्ति के तरीकों को सराहना देने का पर्याय है। यह उन व्यक्तियों को भी स्वीकार करने का तरीका है, जिनके विचार और विश्वास हमारे अनुरूप नहीं हैं। यह ज्ञान, खुलापन, संवाद तथा विचार, विवेक एवं विश्वास की स्वतंत्रता से प्रेरित है। उदाहरण के लिये, समाज के कमज़ोर वर्गों हेतु नीतियाँ बनाते समय एक नीति-निर्माता को ‘सभी के कल्याण’ के लिये अपने व्यक्तिगत विचारों को इसके मार्ग में न आने देने के लिये पर्याप्त सहिष्णु होना चाहिये।

    समता: "समता सभी के साथ समान व्यवहार करना है तथा यह संसाधनों के उचित बँटवारे पर विश्वास करती है। " संविधान कहता है कि कानून के समक्ष सभी नागरिक समान हैं और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि जाति, धर्म और लिंग के आधार पर सामाजिक असमानताओं को समाप्त किया जाए। अनुच्छेद 15,16 और 17 हमारे समाज के पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिये आरक्षण जैसे सकारात्मक भेदभाव के कुछ प्रावधानों के साथ इसकी गारंटी देते हैं।

    निष्कर्ष

    मानव मूल्यों जैसे कि प्रेम और करुणा का पालन करना आज वैश्विक स्तर पर उन स्थानों के लिये अनिवार्य आवश्यकता है जो कई प्रकारों के संघर्षों जैसे नागरिक युद्ध, शरणार्थी संकट और आतंकवाद से प्रभावित हैं। वास्तव में वे उन मानवीय मूल्यों जैसे- न्याय, अखंडता, हिंसा से इनकार और हत्या पर प्रतिबंध आदि का पालन करने में सक्षम होते हैं तथा संकटपूर्ण स्थिति में भी लागू किया जा सकता है।

    मानवीय मूल्य उन सकारात्मक और प्रभावी वृद्धि को व्यक्त करते हैं, जो नैतिक मूल्यों के औचित्य को पुष्ट करती है। ये वे मूल्य हैं जो हमें सद्भाव के साथ रहने की अनुमति देते हैं तथा व्यक्तिगत रूप से शांति स्थापित करने में सहयोग देते हैं।

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