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प्रश्न :
प्रश्न. "नीली अर्थव्यवस्था बड़ी संभावनाओं के साथ आर्थिक गतिविधियों का एक नया क्षेत्र प्रस्तुत करती है"। इस कथन के आलोक में नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये भारत द्वारा उठाए गए कदमों तथा इसके महत्त्व पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
26 Sep, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- नीली अर्थव्यवस्था के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- नीली अर्थव्यवस्था के विभिन्न घटकों की चर्चा कीजिये।
- नीली अर्थव्यवस्था से जुड़े महत्व और चुनौतियों की चर्चा कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए अपना उत्तर समाप्त कीजिये।
परिचय
- यह अवधारणा आर्थिक विकास, बेहतर आजीविका और नौकरियों के सृजन तथा महासागर पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के लिये महासागरीय संसाधनों का सतत् उपयोग को संदर्भित करती है।
- नीली अर्थव्यवस्था सामाजिक समावेश, पर्यावरणीय स्थिरता के साथ महासागरीय अर्थव्यवस्था के विकास के एकीकरण पर ज़ोर देती है, जो कि अभिनव व्यापार मॉडल के साथ संयुक्त है।
- इसमें शामिल हैं-
- अक्षय ऊर्जा: सतत् समुद्री ऊर्जा सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
- मत्स्य पालन: सतत् मत्स्य पालन अधिक राजस्व, मछली उत्पादन और मछली के स्टॉक को बहाल करने में मदद कर सकता है।
- समुद्री परिवहन: 80 प्रतिशत से अधिक अंतर्राष्ट्रीय वस्तुओं का व्यापार समुद्री मार्ग से किया जाता है।
- पर्यटन: महासागरीय और तटीय पर्यटन रोज़गार में बढ़ोतरी करने के साथ-साथ आर्थिक विकास को बल दे सकता है।
- जलवायु परिवर्तन: महासागर एक महत्त्वपूर्ण कार्बन सिंक (ब्लू कार्बन) के रूप में कार्य करते हैं और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मददगार हो सकते हैं।
- अपशिष्ट प्रबंधन: भूमि पर बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से महासागरों के पारिस्थितिक तंत्र में सुधार किया जा सकता है।
‘नीली अर्थव्यवस्था’ का महत्त्व:
- निवेश पर उच्च प्रतिलाभ: सतत् महासागरीय अर्थव्यवस्था हेतु उच्च स्तरीय पैनल द्वारा किये गए एक शोध के अनुसार, प्रमुख महासागरीय गतिविधियों में निवेश किये गए 1 अमेरिकी डॉलर के निवेश से पाँच गुना अधिक यानी 5 अमेरिकी डॉलर का रिटर्न मिलता है।
- SDG के साथ तालमेल: यह SDGs) विशेष रूप से ‘SDG14’ 'पानी के नीचे जीवन' का समर्थन करता है।
- सतत् ऊर्जा: नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ती मांग का समर्थन करते हुए अपतटीय क्षेत्रों में अपतटीय पवन, लहरों, ज्वारीय धाराओं सहित महासागरीय धाराओं एवं तापीय ऊर्जा के रूप में काफी बेहतर संभावनाएँ हैं।
- भारत के लिये महत्त्व: नौ तटीय राज्यों, 12 प्रमुख और 200 छोटे बंदरगाहों में फैली 7,500 किलोमीटर से अधिक लंबी तटरेखा के साथ भारत की ‘नीली अर्थव्यवस्था’ परिवहन के माध्यम से देश के व्यापार के 95% का समर्थन करती है और इसके सकल घरेलू उत्पाद में अनुमानित 4% का योगदान करती है।
‘नीली अर्थव्यवस्था’ को बढ़ावा देने हेतु उठाए गए कदम:
- डीप ओशन मिशन: इसे गहरे महासागरों से जीवित एवं निर्जीव संसाधनों का दोहन करने के लिये प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के इरादे से शुरू किया गया था।
- सतत् विकास हेतु ‘नीली अर्थव्यवस्था’ पर भारत-नॉर्वे टास्क फोर्स: दोनों देशों के बीच संयुक्त पहल को विकसित करने और उसका पालन करने हेतु वर्ष 2020 में दोनों देशों द्वारा संयुक्त रूप से इसका उद्घाटन किया गया था।
- सागरमाला परियोजना बंदरगाहों के आधुनिकीकरण हेतु आईटी सक्षम सेवाओं के व्यापक उपयोग के माध्यम से बंदरगाह विकास के लिये एक रणनीतिक पहल है।
- ओ-स्मार्ट: ओ-स्मार्ट एक अम्ब्रेला योजना है जिसका उद्देश्य सतत् विकास के लिये महासागरों और समुद्री संसाधनों का विनियमित उपयोग करना है।
- एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन: यह तटीय और समुद्री संसाधनों के संरक्षण तथा तटीय समुदायों के लिये आजीविका के अवसरों में सुधार पर केंद्रित है।
- राष्ट्रीय मत्स्य नीति: भारत में समुद्री और अन्य जलीय संसाधनों से मत्स्य संपदा के सतत् उपयोग पर ध्यान केंद्रित कर 'ब्लू ग्रोथ इनिशिएटिव' को बढ़ावा देने हेतु एक राष्ट्रीय मत्स्य नीति मौजूद है।
आगे की राह
- भारत के विशाल समुद्री हितों के कारण ‘नीली अर्थव्यवस्था’ को देश की आर्थिक वृद्धि में काफी महत्त्वपूर्ण माना जा सकता है।
- नीली अर्थव्यवस्था देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और आम जनजीवन के कल्याण के लिये महत्त्वपूर्ण हो सकती है, हालाँकि यह आवश्यक है कि सतत् विकास एवं सामाजिक-आर्थिक कल्याण को केंद्र में रखा जाए।
- भारत को विकास, रोज़गार सृजन, समानता और पर्यावरण की सुरक्षा के व्यापक लक्ष्यों को पूरा करने हेतु स्थिरता के साथ आर्थिक लाभों को संतुलित करने के लिये गांधीवादी दृष्टिकोण को अपनाना चाहिये।
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