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प्रश्न :
प्रश्न. अफगानिस्तान में तालिबान के शासन का लगभग एक वर्ष हो गया है। तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में वर्तमान परिदृश्य और भारत के लिये अफगानिस्तान के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
27 Sep, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- अपने उत्तर की शुरुआत अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर कीजिये।
- अफगानिस्तान में वर्तमान परिदृश्य पर चर्चा कीजिये।
- भारत के लिए अफगानिस्तान के महत्व पर चर्चा कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए अपना उत्तर समाप्त कीजिये।
परिचय
तालिबान (पश्तो भाषा में ‘छात्र’) 1990 के दशक की शुरुआत में अफगानिस्तान से सोवियत सैनिकों की वापसी के बाद उत्तरी पाकिस्तान में उभरा एक आतंकवादी संगठन है।
वर्तमान में यह अफगानिस्तान में सक्रिय एक इस्लामी कट्टरपंथी राजनीतिक और सैन्य संगठन है। यह काफी समय से अफगान राजनीति में एक महत्त्वपूर्ण स्थिति में था।
तालिबान बीते लगभग 20 वर्षों से काबुल में अमेरिकी समर्थित सरकार के खिलाफ लड़ रहा है। वह अफगानिस्तान में इस्लाम के सख्त रूप को फिर से लागू करना चाहता है।
प्रारूप
तालिबान के शासन के तहत अफगानिस्तान में वर्तमान स्थिति:
- अर्थव्यवस्था:
- मई 2022 में तालिबान ने पूरी तरह घरेलू राजस्व पर आधारित वार्षिक बजट पेश किया।
- व्यय के बारे में या राजस्व के अंतर को कैसे पूरा किया जाएगा, इस बारे में कोई विवरण नहीं दिया गया।
- मई 2022 में तालिबान ने पूरी तरह घरेलू राजस्व पर आधारित वार्षिक बजट पेश किया।
- सुरक्षा:
- तालिबान दाएश या ISKP (इस्लामिक स्टेट खुरासान क्षेत्र) को लेकर घबराया हुआ है, जिसने काबुल में भयावह नियमितता के साथ हमले किये हैं
- अमेरिका द्वारा काबुल के एक इलाके में अल-कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी की हत्या ने तालिबान की असुरक्षा को और बढ़ा दिया है।
- तालिबान दाएश या ISKP (इस्लामिक स्टेट खुरासान क्षेत्र) को लेकर घबराया हुआ है, जिसने काबुल में भयावह नियमितता के साथ हमले किये हैं
- अफगान जनसंख्या और तालिबान:
- हालाँकि नागरिकों के प्रति तालिबान के बीस साल पहले के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है लेकिन अभी तक सीधे तौर पर क्रूरता की सूचना नहीं मिली है।
- पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिये एक ड्रेस कोड निर्धारित किया गया है, लेकिन इसे कड़ाई से लागू नहीं किया जा रहा है।
- तालिबान द्वारा स्कूल में कक्षा 6 से आगे की लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने और महिलाओं के लिये काम करना मुश्किल बनाने के लिये "शिक्षा, रोज़गार और रोटी" की मांग करने वाली महिलाओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया।
- इसे हवा में फायरिंग कर गार्डों ने तितर-बितर किया।
- हालाँकि नागरिकों के प्रति तालिबान के बीस साल पहले के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है लेकिन अभी तक सीधे तौर पर क्रूरता की सूचना नहीं मिली है।
भारत के लिये अफगानिस्तान का महत्त्व:
- आर्थिक और रणनीतिक हित:
- अफगानिस्तान तेल और खनिज समृद्ध मध्य एशियाई गणराज्यों का प्रवेश द्वार है।
- अफगानिस्तान भू-रणनीतिक दृष्टि से भी भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अफगानिस्तान में जो भी सत्ता में रहता है, वह भारत को मध्य एशिया (अफगानिस्तान के माध्यम से) से जोड़ने वाले भू- मार्गों को नियंत्रित करता है।
- ऐतिहासिक सिल्क रोड के केंद्र में स्थित अफगानिस्तान लंबे समय से एशियाई देशों के बीच वाणिज्य का केंद्र था, जो उन्हें यूरोप से जोड़ता था तथा धार्मिक, सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संपर्कों को बढ़ावा देता था।
- विकास परियोजनाएंँ: इस देश के लिये बड़ी निर्माण योजनाएँ भारतीय कंपनियों को बहुत सारे अवसर प्रदान करती हैं।
- तीन प्रमुख परियोजनाएंँ: अफगान संसद, जेराज़-डेलाराम राजमार्ग और अफगानिस्तान-भारत मैत्री बाँध (सलमा बाँध) के साथ-साथ सैकड़ों छोटी विकास परियोजनाओं (स्कूलों, अस्पतालों और जल परियोजनाओं) में 3 बिलियन अमेरिकी डॅालर से अधिक की भारत की सहायता ने अफगानिस्तान में भारत की स्थिति को मज़बूत किया है।
- सुरक्षा हित:
- भारत इस क्षेत्र में सक्रिय पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह (जैसे हक्कानी नेटवर्क) से उत्पन्न राज्य प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है। इस प्रकार अफगानिस्तान में भारत की दो प्राथमिकताएंँ हैं:
- पाकिस्तान को अफगानिस्तान में मित्रवत सरकार बनाने से रोकने के लिये।
- अलकायदा जैसे जिहादी समूहों की वापसी से बचने के लिये, जो भारत में हमले कर सकता है।
- भारत इस क्षेत्र में सक्रिय पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह (जैसे हक्कानी नेटवर्क) से उत्पन्न राज्य प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है। इस प्रकार अफगानिस्तान में भारत की दो प्राथमिकताएंँ हैं:
आगे की राह
चूँकि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैन्यबल की वापसी के प्रभाव भारत पर भी पड़ेंगे, उसे अपने हितों की रक्षा के लिये और अफगानिस्तान में स्थिरता की बहाली के लिये तालिबान तथा अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के साथ मिलकर कार्य करना होगा। यदि भारत सक्रिय और धैर्यवान बना रहा तो इस नए अफगान चरण में उसके लिये अवसर के कई द्वार खुल सकते हैं।
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