प्रश्न. भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र कई समस्याओं का सामना कर रहा है। इस कथन के प्रकाश में भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से संबंधित चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए अपना उत्तर समाप्त कीजिये।
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परिचय
स्वास्थ्य सेवाओं में अस्पताल, चिकित्सा उपकरण, नैदानिक परीक्षण, आउटसोर्सिंग, टेलीमेडिसिन, चिकित्सा पर्यटन, स्वास्थ्य बीमा और चिकित्सा उपकरण शामिल हैं।
भारत की स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली को दो प्रमुख घटकों में वर्गीकृत किया गया है - सार्वजनिक और निजी।
सरकार (सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली) प्रमुख शहरों में सीमित माध्यमिक और तृतीयक देखभाल संस्थानों को शामिल करती है और ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों (Primary Healthcare Centres-PHC) के रूप में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
निजी क्षेत्र, महानगरों या टियर-I और टियर-II शहरों में अधिकांश माध्यमिक, तृतीयक और चतुर्थक देखभाल संस्थान केंद्रित है।
प्रारूप
स्वास्थ्य क्षेत्र के साथ चुनौतियाँ:
- अपर्याप्त पहुँच:
- चिकित्सा पेशेवरों की कमी, गुणवत्ता आश्वासन की कमी, अपर्याप्त स्वास्थ्य खर्च और सबसे महत्त्वपूर्ण अपर्याप्त शोध निधि जैसी बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं तक अपर्याप्त पहुँच।
- प्रमुख चिंताओं में से प्रशासन का अपर्याप्त वित्तीय आवंटन है।
- कम बजट:
- स्वास्थ्य सेवा पर भारत का सार्वजनिक व्यय वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद का केवल 2.1% है जबकि जापान, कनाडा और फ्राँस अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10% सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा पर खर्च करते हैं।
- यहाँ तक कि बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की GDP का 3% से अधिक हिस्सा सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का है।
- निवारक देखभाल की कमी:
- भारत में निवारक देखभाल को कम करके आँका गया है, इस तथ्य के बावजूद कि यह दुख और वित्तीय नुकसान के मामले में रोगियों के लिये विभिन्न प्रकार की कठिनाइयों को कम करने में काफी फायदेमंद साबित हुआ है।
- चिकित्सा अनुसंधान की कमी:
- भारत में अनुसंधान एवं विकास और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के नेतृत्व वाली नई परियोजनाओं पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है।
- नीति निर्माण:
- प्रभावी और कुशल स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने में नीति निर्धारण निस्संदेह महत्त्वपूर्ण है। भारत में मुद्दा मांग के बजाय आपूर्ति का है और नीति निर्धारण मदद कर सकता है।
- पेशेवरों की कमी:
- भारत में, डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी है।
- एक मंत्री द्वारा संसद में प्रस्तुत किये गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 600,000 डॉक्टरों की कमी है।
- संसाधनों की कमी:
- डॉक्टर चरम परिस्थितियों में काम करते हैं जिसमें भीड़भाड़ वाले बाहरी रोगी विभाग, अपर्याप्त स्टाफ, दवाएँ और बुनियादी ढाँचे शामिल हैं।
आगे की राह
- भारत की बड़ी आबादी के कारण बोझ से दबे सरकारी अस्पतालों के बुनियादी ढाँचे में सुधार की तत्काल आवश्यकता है।
- सरकार को निजी अस्पतालों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, क्योंकि ये महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं।
- क्योंकि कठिनाइयाँ गंभीर हैं और केवल सरकार द्वारा ही इसका समाधान नहीं किया जा सकता है, निजी क्षेत्र को भी इसमें शामिल होना चाहिये।
- स्वास्थ क्षेत्र की क्षमताओं और दक्षता में सुधार के लिये अधिक चिकित्सा कर्मियों को शामिल किया जाना चाहिये।
- स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिये।
- अस्पतालों और क्लीनिकों में चिकित्सा गैजेट, मोबाइल स्वास्थ्य ऐप, पहनने योग्य और सेंसर तकनीक के कुछ उदाहरण हैं जिन्हें इस क्षेत्र में शामिल किया जाना चाहिये।