प्रश्न. भावनात्मक बुद्धिमत्ता व्यक्ति को जीवन में विभिन्न कठिन परिस्थितियों से निपटने में मदद करती है। इस कथन के आलोक में भावनात्मक बुद्धिमत्ता के विभिन्न घटकों और सिविल सेवाओं में इसकी प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- अपने उत्तर की शुरुआत भावनात्मक बुद्धिमत्ता के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर कीजिये।
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता के विभिन्न घटकों की विवेचना कीजिये।
- सिविल सेवा में भावनात्मक बुद्धिमत्ता के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
अपनी भावनाओं को परिस्थिति के अनुसार नियंत्रित व निर्देशित कर, पारस्परिक संबंधों का विवेकानुसार और सामंजस्यपूर्ण तरीके से प्रबंधन करने की क्षमता भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence) कहलाती है। यह मूल रूप से अपनी भावनाओं को पहचानने और प्रबंधित करने तथा दूसरे के मनोभावों को समझकर उन पर नियंत्रण करने की क्षमता है।.
प्रारूप
ईआई के घटक (डेनियल गोलेमैन के अनुसार)
- स्व-जागरूकता: यह किसी की भावनाओं के बारे में जागरूक होने और समझने का कौशल है।
- स्व-नियमन: यह किसी की भावनाओं को नियंत्रित करने के बारे में है यानी जल्दी प्रतिक्रिया करने के बजाय; कोई अपनी भावनाओं को समझता है और इस प्रकार प्रतिक्रिया देने से पहले सोचता है।
- आंतरिक प्रेरणा: इसमें किसी के लक्ष्यों, पहल या अवसरों पर कार्य करने की तत्परता, आशावाद और लचीलापन को सुधारने तथा प्राप्त करने के लिये व्यक्तिगत प्रेरणा शामिल है।
- सहानुभूति: यह व्यक्तिगत रूप से दूसरों की ज़रूरतों और भावनाओं के बारे में जागरूकता है तथा चीजों को दूसरों के दृष्टिकोण से देखने की सक्षमता है।
- सामाजिक दक्षता: इसका अर्थ है कि व्यक्ति को अन्य व्यक्तियों के साथ संबंध इस प्रकार बनाकर रखना चाहिये कि उन संबंधों से उसे तथा सभी को लाभ हो।
एक सिविल सेवक को भावनात्मक बुद्धिमत्ता से निम्न प्रकार से सहायता मिल सकती है-
- कार्य स्थल पर बेहतर पारस्परिक संबंध और सौहार्द्रपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिये।
- अपने अधीनस्थों की मनोवृत्ति की सही पहचान करने तथा उनके कार्य निष्पादन की क्षमता के माध्यम से भविष्य के परिणामों का पूर्वानुमान लगाने में।
- हितग्राहियों की अभिवृत्ति को समझकर किसी परियोजना के सफल संचालन को सुनिश्चित करने में।
- आपदा या दुर्घटना के दौरान पीड़ितों की मनोवृत्ति का सही-सही आकलन कर उनके राहत और पुनर्वास की प्राथमिकताएँ तय करने में।
- स्वयं के नकारात्मक आवेगों को नियंत्रित कर एक स्वस्थ कार्यशैली का विकास करने में।
- अंतर्वैयक्तिक संचार कौशल का विकास करने में।
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता के प्रयोग से बातचीत के माध्यम से प्रतिकूल परिस्थितियों पर नियंत्रण पाने की क्षमता का विकास होता है।
- समय,सूचना तथा मानव संसाधन के उचित प्रबंधन द्वारा गुणवत्तापूर्ण कार्य-निष्पादन करने में।
निष्कर्ष
- भारत जैसे बहुलतावादी देश में उच्च भावनात्मक बुद्धिलब्धि (EQ) से युक्त सिविल सेवकों का होना बहुत ज़रूरी है। स्वयं की भावनाओं पर नियंत्रण रखने वाले और व्यवहार में लचीलापन रखने वाले सिविल सेवक ही प्रशासन के उद्देश्यों की पूर्ति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।