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प्रश्न :
प्रश्न. हाल के वर्षों में क्वांटम कंप्यूटिंग बहुत प्रसिद्ध हो गई है। इस कथन के आलोक में क्वांटम कंप्यूटिंग के विभिन्न उपयोगों की चर्चा कीजिये।
14 Sep, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकीउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- क्वांटम प्रौद्योगिकी के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- क्वांटम कंप्यूटिंग के गुणों के बारे में संक्षेप में बताइये।
- क्वांटम कंप्यूटिंग के अनुप्रयोगों पर चर्चा कीजिये।
- क्वांटम कंप्यूटिंग से संबंधित कुछ चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- आगे का रास्ता बताते हुए अपना उत्तर समाप्त कीजिये।
परिचय
क्वांटम प्रौद्योगिकी, क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों पर आधारित है जिसे 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में परमाणुओं और प्राथमिक कणों के पैमाने पर प्रकृति का वर्णन करने के लिये विकसित किया गया था।
इस क्रांतिकारी तकनीक के पहले चरण ने प्रकाश तथा पदार्थ की अंतःक्रिया सहित भौतिक जगत के बारे में हमारी समझ विकसित करने के लिये आधार प्रदान किया और लेज़र एवं अर्द्धचालक ट्रांजिस्टर जैसे आविष्कारों को बढ़ावा दिया।
वर्तमान में क्वांटम प्रौद्योगिकी की एक दूसरी क्रांति देखी जा रही है जिसका उद्देश्य कंप्यूटिंग के क्षेत्र में क्वांटम यांत्रिकी के गुणों का प्रयोग करना है।
प्रारूप क्वांटम कंप्यूटिंग के गुण:
क्वांटम कंप्यूटिंग के मूल गुण सुपरपोज़िशन (Superposition), एंटैंगलमेंट (Entanglement) और इंटरफेरेंस (Interference) हैं।
- अध्यारोपण/सुपरपोज़िशन (Superposition):
- यह क्वांटम प्रणाली की एक साथ कई अवस्थाओं में होने की क्षमता को संदर्भित करता है।
- सुपरपोज़िशन का एक उदाहरण किसी सिक्के का उछाला जाना है, जो लगातार बाइनरी अवधारणा के तहत हेड्स या टेल्स रूप में भूमि पर गिरता है। हालाँकि, जब वह सिक्का मध्य हवा में होता है, तो यह हेड्स और टेल्स दोनों होता है (जब तक यह जमीन पर न गिर जाए)। माप से पहले इलेक्ट्रॉन क्वांटम सुपरपोज़िशन में होते हैं।
- एंटैंगलमेंट (Entanglement):
- इसका अर्थ है एक जोड़ी (क्यूबिट्स) के दो सदस्य एकल क्वांटम अवस्था में मौजूद होते हैं। किसी एक क्यूबिट की स्थिति को बदलने से तुरंत दूसरे की स्थिति में भी परिवर्तन (एक पूर्वानुमानित तरीके से) होगा। ऐसा तब भी होता है जब वे बहुत अधिक दूरी पर अलग-अलग रखे हों। आइंस्टीन द्वारा इस तरह की घटना को ‘एक्शन एट ए डिस्टेंस’ का नाम दिया गया।
- इंटरफेरेंस (Interference):
- क्वांटम इंटरफेरेंस बताता है कि प्राथमिक कण (क्यूबिट्स) किसी भी समय (सुपरपोज़िशन के माध्यम से) एक से अधिक स्थानों पर उपस्थित नहीं हो सकते, लेकिन यह एक व्यक्तिगत कण, जैसे कि फोटॉन (प्रकाश कण) अपने स्वयं के प्रक्षेपवक्र को पार कर अपने मार्ग की दिशा से हस्तक्षेप कर सकता है।
क्वांटम प्रौद्योगिकी का उपयोग:
- सुरक्षित संचार:
- चीन ने हाल ही में स्थलीय स्टेशनों और उपग्रहों के बीच सुरक्षित क्वांटम संचार लिंक का प्रदर्शन किया।
- यह अन्य क्षेत्रों के साथ उपग्रहों, सैन्य और साइबर सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह अपने उपयोगकर्त्ताओं को अकल्पनीय रूप से तीव्र कंप्यूटिंग और सुरक्षित एवं हैकरहित उपग्रह संचार की सुविधा प्रदान करता है।
- अनुसंधान:
- यह गुरुत्वाकर्षण, ब्लैक होल आदि से संबंधित भौतिकी के कुछ मूलभूत प्रश्नों को हल करने में सहायक हो सकता है।
- इसी तरह, क्वांटम पहल जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट (Genome India Project- GIP) को एक बढ़त प्रदान कर सकती है, जो जीवन विज्ञान, कृषि और चिकित्सा में नई क्षमता को सक्षम करने के लिये 20 संस्थानों का एक साझा प्रयास है।
- आपदा प्रबंधन:
- क्वांटम अनुप्रयोगों से सुनामी, सूखा, भूकंप और बाढ़ का अधिक सटीकता से पूर्वानुमान लगाए जाने की संभावनाएँ हैं।
- जलवायु परिवर्तन के संबंध में डेटा के संग्रह को क्वांटम तकनीक के माध्यम से बेहतर तरीके से सुव्यवस्थित किया जा सकता है।
- औषधि:
- क्वांटम कंप्यूटिंग नए अणुओं की खोज और संबंधित प्रक्रियाओं में लगने वाली समय-सीमा (लगभग 10-वर्षों) को घटाकर कुछ दिनों तक कर सकता है।
क्वांटम कंप्यूटिंग से संबद्ध चुनौतियाँ:
- क्वांटम कंप्यूटिंग का नकारात्मक विघटनकारी प्रभाव क्रिप्टोग्राफिक एन्क्रिप्शन (Cryptographic Encryption) पर देखा जा सकता है जिसका उपयोग संचार और कंप्यूटर सुरक्षा में किया जाता है।
- यह सरकार के समक्ष भी चुनौती उत्पन्न कर सकता है क्योंकि अगर यह तकनीक गलत हाथों में चली गई, तो सरकार के सभी आधिकारिक और गोपनीय डेटा के हैक होने एवं उनका दुरुपयोग होने का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
आगे की राह:
- सोशल मीडिया और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लंबे विकास क्रम के बाद, अब उन्हें विनियमित करने की मांग की जा रही है। व्यापक रूप से उपलब्ध होने से पहले क्वांटम कंप्यूटिंग हेतु एक नियामक ढाँचा विकसित करना चाहिये।
- परमाणु तकनीक की तरह समस्या के हाथ से निकलने से पहले ही इसे राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विनियमित करना या इसके वैध उपयोग की सीमाओं को परिभाषित करना भी बेहतर होगा।
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