राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) नीति 2016 की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? नई आईपीआर नीति के तहत उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए इससे जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- बौद्धिक संपदा अधिकारों का अर्थ बताइये तथा साथ में यह भी बताइये कि देश के लिये एक अच्छी आई.पी.आर. नीति क्यों आवश्यक है।
- राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आई.पी.आर.) नीति, 2016 की मुख्य विशेषताओं को बताइये।
- इसकी उपलब्धियों को बताते हुए इसमें निहित चिंताओं को भी बताइये।
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बौद्धिक संपदा से तात्पर्य मनुष्य के मस्तिष्क द्वारा उत्पादित या सृजित कृतियाँ, आविष्कार, साहित्य व कलात्मक कार्य, चित्र, डिज़ाइन एवं प्रतीक आदि से है जिनका व्यावसायिक उपयोग किया जाता है। इन बौद्धिक सृजनों पर किसी व्यक्ति, समूह या संगठन को कानूनी रूप से एक निश्चित अवधि के लिये व्यावसायिक विशेषाधिकार प्रदान करना ही बौद्धिक संपदा अधिकार कहलाता है। ये अधिकार मुख्यत: पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, जी.आई., औद्योगिक डिज़ाइन आदि हैं।
ध्यातव्य है कि बौद्धिक संपदा अधिकार किसी भी राष्ट्र की रचनात्मकता तथा अन्वेषणों को प्रोत्साहित करता है। ऐसे में भारत जैसे विकासशील देश में जहाँ नवाचार एवं रचनात्मकता का तीव्रता से प्रसार हो रहा है, वहीं बौद्धिक संपदाओं को संरक्षित किये जाने की आवश्यकता है, ताकि रचनात्मकता तथा नवोन्मेषण की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सके।
राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (आई.पी.आर.) नीति, 2016 की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- यह नीति ‘रचनात्मक भारत, अभिनव भारत’ के दृष्टिकोण के साथ सभी प्रकार की बौद्धिक संपदाओं को एक ही मंच पर एकीकृत करती है।
- इस नीति का प्रमुख लक्ष्य बौद्धिक संपदा अधिकारों का सृजन, इन अधिकारों के प्रति आम जनता की जागरूकता तथा पहुँच सुनिश्चित करना, बौद्धिक संपदाओं हेतु विधायी ढाँचा प्रस्तुत करना, बौद्धिक संपदाओं का व्यवसायीकरण, प्रशासन एवं प्रबंधन सुनिश्चित करना तथा इनके प्रवर्तन तथा न्यायिक प्रक्रिया को मज़बूत करना, संबंधित संस्थानों की क्षमताओं को सुदृढ़ करना तथा उनका विस्तार करना।
- आई.पी.आर. संबंधी मुद्दों के लिये उद्योग संवर्द्धन तथा आंतरिक व्यापार विभाग (डी.पी.आई.आई.टी.) को नोडल एजेंसी बनाया गया है तथा आई.पी.आर. प्रमोशन एवं प्रबंधन हेतु सेल फॉर आई.पी.आर. प्रमोशन एंड मैनेजमेंट (CIPAM) का प्रावधान किया गया है।
- वर्तमान समय में इस नीति की कई उपलब्धियाँ दृष्टिगत हो रही हैं, जिनमें से कुछ निम्नवत् हैं-
- वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत की स्थिति (2015 में 81वें रैंक के स्थान पर 2019 में 52वें स्थान पर) में सुधार आया है।
- भारत में संस्थागत तंत्र में मज़बूती तथा पेटेंट एवं ट्रेडमार्क आदि की फाइलिंग में वृद्धि हुई है।
- वी.आई.पी.ओ. (WIPO) के साथ मिलकर विभिन्न राज्यों ने कई संस्थानों में कई TISCs स्थापित किये गए हैं।
- समाज के सभी वर्गों में आई.पी.आर. के आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक लाभों के बारे में जनजागरूकता उत्पन्न करना।
- देश में आई.पी.आर. सृजन को उत्प्रेरित करना, ताकि डिज़ाइनरों, कारीगरों, कलाकारों तथा वैज्ञानिकों आदि की वास्तविक क्षमताओं का प्रयोग नए भारत के सृजन में किया जा सके।
- आई.पी.आर. स्वामियों के हितों और व्यापक सार्वजनिक हितों के बीच सामंजस्य स्थपित करने हेतु सुदृढ़ एवं प्रभावी आई.पी.आर. की व्यवस्था करना आई.पी.आर. प्रशासन का आधुनिकीकरण तथा सुदृढ़ीकरण करना तथा वाणिज्यीकरण के माध्यम से आई.पी.आर का महत्त्व बढ़ाना।
- आई.पी.आर. संबंधी उल्लंघनों से निपटने के लिये प्रवर्तन एवं न्याय-निर्णय तंत्र को मज़बूत करना तथा आई.पी.आर. के संबंध में शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान तथा कौशल निर्माण के लिये मानव संसाधन आई.पी. अनुप्रयोगों में बैकलॉग को कम करने में सहायक।
उपर्युक्त उपलब्धियों के साथ-साथ भारत में बौद्धिक संपदा अधिकार संबंधी कई चुनौतियाँ विद्यमान हैं, जिन्हें निम्नवत् रूप में देखा जा सकता है-
- भारतीय पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा-3(d) पेटेंट की एवरग्रीनिंग की अनुमति नहीं देता, जो कि फार्मा कंपनियों के लिये चिंता का विषय रहा है। उदाहरण के लिये इस धारा के आधार पर नोवार्टिस की दवा ग्लीवेक के पेटेंट को भारतीय पेटेंट कार्यालय ने अस्वीकार कर दिया था।
- अनिवार्य लाइसेंसिंग का प्रावधान विदेशी निवेशकों के लिये चिंता का विषय रहा है, जिन्हें अपनी प्रौद्योगिकी लाने के लिये अनिवार्य लाइसेंसिंग के प्रावधान के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
- डेटा विशिष्टता संबंधी प्रावधान के संबंध में विदेशी कंपनियों का आरोप है कि भारतीय कानून दवा या कृषि रासायनिक उत्पादों के बाज़ार अनुमोदन के लिये आवेदन के दौरान सरकार को सौंपे गए डेटा की रक्षा नहीं करते।
- कॉपीराइट अधिनियम का प्रवर्तन अत्यधिक कमज़ोर है। वर्तमान में भी हज़ारों की संख्या में कॉपीराइट की चोरी संबंधी केस आते हैं।
उपर्युक्त समस्याओं के प्रभावी समाधान को खोजकर तथा बौद्धिक संपदा अधिकारों का प्रभावी प्रवर्तन सुनिश्चित कर हम ‘रचनात्मक भारत, अभिनव भारत’ के लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते हैं तथा भारत में नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा दे सकते हैं।