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प्रश्न :
राजनीतिक दलों के विपरीत दबाव समूह अपनी तात्कालिक समस्याओं को दूर करने के लिये बनाए जाते हैं। दबाव समूहों द्वारा अपने लक्ष्यों की पूर्ति के लिये प्रयोग की जाने वाली विभिन्न विधियों की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
28 Jun, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- संक्षेप में दबाव समूहों को परिभाषित कीजिये।
- स्पष्ट करें कि कैसे दबाव समूह राजनीतिक दलों से भिन्न हैं।
- लक्ष्यों की पूर्ति के लिये उनके द्वारा प्रयोग की जाती विभिन्न विधियों की चर्चा कीजिये।
दबाव समूह एक प्रकार के संगठन हैं जो किसी देश की राजनीतिक या प्रशासनिक व्यवस्था पर दबाव बनाते हैं ताकि वे इसका लाभ उठा सकें और अपने हितों को आगे बढ़ा सकें। ये शासन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि उनका उद्देश्य विधियों या सरकार के कृत्यों को उनके हितों के अनुकूल रखना होता है। उदाहरण के लिये, जब गुजरात में सरदार सरोवर परियोजना (SSP) से एक वर्ग और क्षेत्र के हितों के प्रभावित होने की संभावना थी तो दबाव समूहों ने संबद्ध लोगों को आवश्यक सूचनाएँ प्रदान कर पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने का प्रयास किया।
राजनीतिक दलों के विपरीत दबाव समूहों का निर्माण उनकी तात्कालिक समस्याओं के समाधान के लिये किया जाता है। वे राजनीतिक दलों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक अस्थायी प्रकृति के होते हैं। उनके पास राजनीतिक दलों की तुलना में कहीं अधिक लचीलापन होता है क्योंकि उन्हें सत्ता पर अपना दावा जताने के लिये लोगों के पास जाने की आवश्यकता नहीं होती। आवश्यक नहीं है कि दबाव समूह राजनीतिक विचारधाराओं के अनुयायी हों और वे आमतौर पर अपनी मांगों की पूर्ति के लिये सरकार पर दबाव बनाने पर ही लक्षित बने रहते हैं। उदाहरण के लिये, स्व-नियोजित महिला संघ (Self-Employed Women’s Association–SEWA) ने सरकार पर महिला श्रमिकों के अधिकारों के संबंध में अपनी नीतियों में सुधार के लिये सफलतापूर्वक दबाव बनाया है। मजदूर किसान शक्ति संगठन ने एक आंदोलन का नेतृत्व किया और सरकार को ‘सूचना का अधिकार’ कानून लाने के लिये बाध्य किया।
हितों की पूर्ति के लिये उनके द्वारा प्रयोग किये जाने वाली निम्नलिखित विभिन्न विधियाँ:
सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के साथ सौहार्दपूर्ण तालमेल: इसके माध्यम से दबाव समूह विधि-निर्माताओं को विधि में कोई विशिष्ट प्रावधान लाने अथवा कुछ प्रावधानों को हटाने के लिये प्रभावित करते हैं।
राजनीतिक दलों का वित्तपोषण: दबाव समूह राजनीतिक दलों को चुनाव के समय और कई बार सामान्य अवधि में भी वित्तपोषण प्रदान करते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके द्वारा वित्तपोषित राजनीतिक दल के उम्मीदवार सरकार में कार्यकारी पद भी धारण करें।
नौकरशाही तंत्र के साथ घनिष्ठ संबंध: दबाव समूह नौकरशाही और शीर्ष उच्च अधिकारियों के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं ताकि अपने दृष्टिकोण के अनुरूप उनका समर्थन पा सकें।
सरकार द्वारा समय-समय पर गठित विभिन्न समितियों में वे अपने प्रतिनिधियों को शामिल कराने का प्रयास करते हैं, विशेष रूप से तब जब उनके हित संबद्ध हों।
श्रमिक संघ जैसे दबाव समूह अपनी माँगों की पूर्ति के लिये हड़ताल, प्रदर्शन, घेराव आदि का सहारा लेते हैं।
जातिगत और धार्मिक संगठनों का वित्तपोषण: अपने हितों की रक्षा के लिये दबाव समूह जाति, पंथ और धर्म के उपयोग जैसे पारंपरिक साधनों का भी प्रयोग करते हैं तथा इसके आधार पर ऐसे संगठनों का सहयोग पाने का प्रयास करते हैं। वे जातिगत एवं धार्मिक संगठनों को सार्वजनिक मंचों पर धन या चंदा देकर उनका लोकप्रिय समर्थन पाने का प्रयास करते हैं।
दबाव समूह किसी भी लोकतंत्र के एक महत्त्वपूर्ण आयाम हैं, हालाँकि वे लोकतंत्र को खतरे में भी डाल सकते हैं यदि वर्गवादी या संप्रदायवादी समूह जन हित को आघात पहुँचाते हों अथवा उनके द्वारा प्रयोग की जाती विधियाँ भ्रष्ट या भयकारी हों।
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