श्री सिद्धांत केंद्र सरकार के अधीन एक सांस्कृतिक संगठन के अध्यक्ष हैं। संगठन की एक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत है। हाल ही में उन्हें विभिन्न देशाें के कलाकाराें को सम्मिलित करके एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम के आयोजन की ज़िम्मेदारी दी गई है। इस आयोजन के लिये उन्होंने एक प्रसिद्ध बॉलीवुड शख्सियत को ब्रांड एंबेसडर तथा आयोजन के चेहरे के रूप में शामिल किया है। इससे कार्यक्रम को वृहद् स्तर पर प्रसिद्धि मिलेगी, साथ ही राजस्व का सृजन भी होगा। हालाँकि तैयारी के बीच में ही एक गायिका मीडिया के समक्ष आकर उक्त बॉलीवुड शख्सियत पर यौन शोषण का आरोप लगाती है। यह घटना 10 वर्ष पूर्व की है जब गायिका काम की तलाश में थी। इस आरोप ने सार्वजनिक रूप से विवाद एवं विरोध को जन्म दिया है। लोग आयोजन में बॉलीवुड शख्सियत की भागीदारी के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं। इसी बीच राष्ट्रीय महिला आयोग ने श्री सिद्धांत से संपर्क किया व ब्रांड एंबेसडर को हटाने की मांग की है। श्री सिद्धांत इस आयोजन को अंतिम रूप देने के करीब हैं तथा विश्व के विभिन्न हिस्सों से लोगों को आमंत्रित करने तथा उनके ठहरने आदि की तैयारी पहले ही की जा चुकी है। प्रारंभ में उनकी अंतरात्मा ने उन्हें इस संबंध में कुछ करने के लिये प्रेरित किया किंतु बाहरी दबावों के चलते, वह किसी भी कार्रवाई के संदर्भ में निश्चित नहीं हैं। उपर्युक्त केस स्टडी के संदर्भ में-
(a) आप उन्हें यह दिखाने के लिये क्या तर्क दे सकते हैं कि चुप रहना नैतिक रूप से सही नहीं है?
(b) आप उन्हें क्या कार्रवाई करने की सलाह देंगे और क्यों? (250 शब्द)
हल करने का दृष्टिकोण:
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उपर्युक्त केस स्टडी में बॉलीवुड शख्सियत पर यौन उत्पीड़न का आरोप श्री सिद्धांत द्वारा आयोजित किये जा रहे कार्यक्रम को प्रभावित कर रहा है। चूँकि कार्यक्रम के आयोजन की तैयारी लगभग पूरी की जा चुकी है, ऐसे में कोई भी परिवर्तन आयोजन को प्रभावित कर सकती है। संगठन के अध्यक्ष के रूप में श्री सिंद्धांत की नैतिक ज़िम्मेदारी है कि वह इस मामले में कोई स्टैंड लें तथा यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप पर अपनी आँखें बंद न करें।
यह बताने के लिये कि चुप रहना नैतिक रूप से ठीक नहीं है, मैं निम्नलिखित तर्व दूंगा-
संगठन के साथ बॉलीवुड शख्सियत का जुड़ाव उसकी प्रतिष्ठा को प्रभावित कर सकता है जिसका पोषण उसने दशकों से किया है।
यदि वह चुप रहता है तो लोग यह कहकर कि आप बॉलीवुड शख्सियत को बचाना चाहते हो; आपकी व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा पर सवाल उठा सकते हैं।
चूँकि, आरोप सार्वजनिक रूप से लगाया गया है, ऐसे में संभव है कि देश-विदेश के बड़े कलाकार आयोजन का बहिष्कार करें।
एक प्रतिष्ठित संगठन के प्रमुख को किसी भी परिस्थिति में नैतिक निर्णय लेना चाहिये।
अतीत में कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों की प्रतिबद्धता एवं समर्पण ने इस संगठन की प्रतिष्ठा को बनाया होगा। आपका एक निर्णय इसी छवि को धूमिल कर सकता है।
इस परिस्थिति में श्री सिद्धांत को निम्नलिखित सलाह दूंगा-
भले ही भविष्य में उस शख्सियत पर लगे आरोप झूठे क्यों न साबित हों, किंतु संगठन को आयोजन के मुख्य चेहरे के रूप में उसे नहीं रहने देना चाहिये।
आयोजक को इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से प्रभावित नहीं होना चाहिये, बल्कि संगठन के नेतृत्वकर्त्ता के रूप में आयोजन को पूर्ण करने हेतु वैकल्पिक समाधान खोजना चाहिये।
उसे उस बॉलीवुड शख्सियत से स्वयं पूछना चाहिये कि सच्चाई क्या है? यदि वह कोई बहाना बनाता है तो उसे नैतिक आधार पर इस आयोजन में भाग न लेने के लिये कहना चाहिये।
सिद्धांत को विकल्प के रूप में किसी अन्य प्रसिद्ध शख्सियत की तलाश करनी चाहिये ताकि आयोजन पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
वस्तुत: किसी भी संगठन की साख एक लंबे समय में स्थापित होती है, उस साख को बनाए रखना उसके शीर्ष नेतृत्व का प्राथमिक दायित्व होता है जिसे व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा, प्रतिबद्धता एवं समर्पण भाव से इसे बनाए रखना चाहिये तथा संगठन के प्रमुख के रूप में श्री सिद्धांत को भी बेहतर नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन कर संगठन की छवि को धूमिल होने से बचाना चाहिये।