सूचना नैतिकता क्या है? देश में नैतिक शासन व्यवस्था बनाए रखने में आर.टी.आई. अधिनियम कैसे सहायता कर सकता है? (150 शब्द)
24 Jun, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण:
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सूचना नैतिकता को नैतिकता की एक शाखा के रूप में परिभाषित किया जाता है जो कि सूचना के सृजन, प्रसारण तथा उपयोग के स्तर पर नैतिक मानकों के पालन को संदर्भित करता है। यह सूचना के सृजन से उपयोग तक सभी स्तरों पर नैतिक मानकों के पालन के साथ-साथ सूचना के निर्बाध एवं पारदर्शी वितरण को सुनिश्चित करता है। यह सूचना नैतिकता की एक संसाधन, उत्पाद या लक्ष्य के रूप में जाँच करता है।
शासन में पारदर्शिता एवं जवाबदेहिता सहभागी लोकतंत्र के विकास के लिये एक अनिवार्य शर्त है। समय बढ़ने के साथ-साथ ‘जानने के अधिकार’ का महत्त्व बढ़ता गया जिसके लिये वर्ष 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम पारित किया गया जिसका उद्देश्य प्रत्येक लोक प्राधिकारी के कार्यकरण में पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्व के संवर्द्धन के लिये, लोक प्राधिकारियों के नियंत्रणाधीन सूचना तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये, नागरिकों के सूचना के अधिकार की व्यावहारिक शासन पद्धति स्थापित करने, एक केंद्रीय सूचना आयोग तथा राज्य सूचना आयोग का गठन करने और उनसे संबंधित या उनके अनुषंगी विषयों का उपबंध करना था।
लोकतंत्र का मूल विचार ‘जनता द्वारा जनता के लिये किया जाने वाला शासन है’। सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 नागरिकों के शासकीय सूचना संबंधी अनुरोधों पर सूचना उपलब्ध कराता है तथा शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का कार्य करता है। यह सहभागी लोकतंत्र के विचार को मज़बूत करने के साथ-साथ जन-केंद्रित शासन को बढ़ावा देता है। यह समाज के गरीब एवं कमज़ोर वर्गों तक सरकारी नीतियों की जानकारी उपलब्ध कराने का महत्त्वपूर्ण साधन है।
सुशासन के चार तत्त्वों- पारदर्शिता, जवाबदेहिता, सहभागिता तथा समावेशिता की पूर्ण प्राप्ति के लिये आर.टी.आई. एक महत्त्वपूर्ण उपकरण साबित हो सकता है। सूचना के अधिकार के माध्यम से नागरिकों को सरकारी रिकॉर्डों की जानकारी का अवसर प्राप्त हुआ है। वर्तमान भारतीय प्रशासनिक परिदृश्य में लालफीताशाही, भ्रष्टाचार एवं अपारदर्शिता विद्यमान है जिसने सरकारी तंत्र को कमज़ोर किया है व जन-केंद्रित शासन की मूल भावना को शिथिल किया है। ऐसे में आर.टी.आई. व्यापार जवाबदेहिता एवं पारदर्शिता उपलब्ध कराता है तथा शासन को पारदर्शी एवं नागरिक-केंद्रित बनाने का कार्य करता है।
सूचना नैतिकता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सूचना तक सार्वभौमिक पहुँच तथा नागरिकों की निजता के अधिकार के सिद्धांतों पर आधारित है जो कि व्यक्ति के मौलिक मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के साथ-साथ शासन में पारदर्शिता लाने हेतु समर्पित है, सूचना का अधिकार नागरिकों में सूचना के संदर्भ में जागरूकता पैलाने के लिये एक प्रभावी उपकरण है, जो कि शासन में नैतिकता लाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण आयाम है।