आचरण संहिता से आप क्या समझते हैं? भारत की बदलती प्रशासनिक संरचना में इसकी उपयोगिता को स्पष्ट कीजिये। (150 शब्द)
23 Jun, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण:
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आचरण संहिता अर्थ का सार्वजनिक अधिकारियों के लिये अपने कर्त्तव्यों को पूरा करने के लिये सामान्य नियम हैं जो कि उनके व्यवहारों या निर्णयों का मार्गदर्शन करते हैं। यह लोक सेवकों के लिये निर्धारित सामाजिक व्यवहारों, नियमों एवं उत्तरदायित्वों के समूह को संदर्भित करता है। यह सही निर्णय लेने, विशेष रूप से ऐसे मामलों में जहाँ वे लोक हित को बनाए रखने हेतु सशंकित होते हैं, में एक प्रमुख उपकरण है। यह लोक सेवकों के कुछ विशेष व्यवहारों, जैसे- हितों के संघर्ष, रिश्वत तथा अनुचित कृत्यों आदि को रोकने हेतु परिकल्पित एक व्यापक रूपरेखा है।
यह कर्मचारियों के लिये क्या करें व क्या न करें हेतु निर्देशित करती है। कई बार इसे नैतिक संहिता के पूरक के रूप में देखा जाता है। यह सामान्यत: विधायी या प्रशासनिक मूल्यों पर आधारित संवैधानिक सम्मेलनों के अनुरूप होती है इसलिये इसे नियमित तौर पर अद्यतित किये जाने की आवश्यकता होती है। सार्वजनिक अधिकारियों के लिये आचरण संहिता को वर्ष 2003 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा संकल्प संख्या 58/4 द्वारा बनाया गया है। भारत में सिविल सेवकों में नैतिक मानदंडों को निर्धारित करने के लिये निम्नलिखित नियम विद्यमान हैं-
भारत की बदलती प्रशासनिक अवसंरचना में आचरण संहिता की भूमिका
आधुनिक लोकतांत्रिक संरचना में समय के साथ सरकार की भूमिका का उद्विकास हो रहा है। वर्तमान समय में सरकार ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ के दृष्टिकोण की तरफ बढ़ रही है। इस आदर्श की प्राप्ति अधिक सक्षम लोक अधिकारियों की आवश्यकता होती है जो कि आचरण संहिता से निर्देशित होकर आम जनता तक सेवाओं का कुशल एवं प्रभावी वितरण सुनिश्चित करते हैं।
इस प्रकार सार्वजनिक अधिकारियों के लिये दिशानिर्देशों के रूप में आचरण संहिता की उपयोगिता को निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है-
इस प्रकार देखा जाए तो आचरण संहिता लोक सेवकों की व्यावसायिक सीमाओं को निर्धारित कर आम जनता के लिये समर्पण से कार्य करने हेतु प्रेरित करती है जो कि लोक सेवकों में सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, निष्पक्षता तथा वस्तुनिष्ठता आदि गुणों का विकास करती है और सरकारी संगठनों व लोक सेवकों की विश्वसनीयता में वृद्धि करती है।