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प्रश्न :
क्या लैंगिक असमानता, गरीबी और कुपोषण के दुश्चक्र को महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को सूक्ष्म वित्त (माइक्रोफाइनेंस) प्रदान करके तोड़ा जा सकता है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिये।
14 Jun, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्यायउत्तर :
SHG ‘बैंक-लिंकेज’ कार्यक्रम राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) का प्रमुख सूक्ष्म वित्त पोषण कार्यक्रम है, जो लैंगिक असमानता, गरीबी और कुपोषण के दुश्चक्र को तोड़ने के लिये सक्रिय रूप से समर्थन कर रहा है।
महिला स्वयं सहायता समूहों की भूमिका
- महिला SHGs का वित्त पोषण पूरे परिवार के लिये बेहतर पोषण परिणामों से जुड़ा हुआ है। यह अंतर पीढ़ीगत गरीबी को तोड़ने में महत्त्वपूर्ण है; जैसे-अहमदाबाद का सेवा (Self Employed Women's Association) महिलाओं के बीच पोषण सुरक्षा की दिशा में काम करता है।
- महिला SHGs ने देश की गरीब वंचित महिलाओं को वित्तीय सेवाएँ प्रदान करके उन्हें आर्थिक विकास के अवसर प्रदान किये हैं; जैसे- राजस्थान में जय अंबे SHG, अपने गरीब सदस्यों के लिये ऋण की सुविधा प्रदान करता है।
- महिला SHGs सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देकर सामाजिक परंपराओं और लैंगिक भेदभाव की बाधाओं को तोड़ने में मदद करते हैं; जैसे- कुदुंबश्री।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने लाभार्थियों को पका हुआ भोजन उपलब्ध कराने के लिये महिला एस.एच.जी. के साथ करार किया है।
- महिला SHGs सरकार के साथ मिलकर न सिर्फ स्वयं के सदस्यों के लिये रोज़गार सृजन कर रहे हैं, बल्कि स्वास्थ्य सुविधा भी प्रदान कर रहे हैं; जैसे- झारखंड के फरहत SHG ने कोविड-19 के दौरान मास्क बनाए।
हालाँकि, महिला SHGs के सामने उच्च ब्याज़ दर, संपार्श्विक की माँग, ऋणों का गैर-प्रभावी उपयोग जैसी समस्याएँ मौजूद हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिये क्रेडिट, बचत, प्रेषण, वित्तीय सलाह आदि उत्पादों की एक विस्तृत शृंखला प्रदान करनी चाहिये। सूक्ष्म वित्त मॉडल लैंगिक समानता में तभी सुधार करेगा जब SHGs को सरकार और उसके संस्थानों द्वारा समर्थन दिया जाता है तथा इसके सदस्यों को अपने परिवार के सदस्यों का समर्थन और सहयोग मिलता है।
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