आप एक गैर-सरकारी संगठन के प्रमुख हैं जो कि समाज के कमज़ोर वर्गों के कैंसर रोगियों की उपशामक देखभाल (पैलियेटिव केयर) करता है। पिछले कुछ महीनों से आपके इस नेक कार्य के लिये धन कम पड़ रहा है, जिसके कारण आप आश्रितों की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। एक दिन एक बड़ी तंबाकू कंपनी के मालिक ने आपसे संपर्क किया जो कि आपके एन.जी.ओ. को पंड देने का इच्छुक है, क्योंकि उसे कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सी.एस.आर.) के लक्ष्य को पूरा करना है। जबकि वर्षों से कैंसर रोगियों के साथ कार्य करने के क्रम में तंबाकू कंपनियों के प्रति आपके मन में हिकारत का भाव उत्पन्न हुआ है। अब मालिक की पेशकश ने आपको नैतिक दुविधा में डाल दिया है। एक तरफ आप किसी ऐसी कंपनी से समर्थन प्राप्त करने के विचार से घृणा करते हैं जो कि अपने उत्पादों के माध्यम से कैंसर फैला रही है, वहीं दूसरी तरफ, आपको लगता है कि कंपनी की सहायता आपके एन.जी.ओ. के लिये अच्छा अवसर है जो कि मरीज़ों को एक बेहतर देखभाल प्रदान कर सकता है।
(a) यहाँ शामिल विभिन्न नैतिक मुद्दे क्या हैं?
(b) क्या तंबाकू कंपनी से पैसे स्वीकार करना आपके लिये नैतिक रूप से ठीक होगा? (250 शब्द)
हल करने का दृष्टिकोण:
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उपर्युक्त केस स्टडी में तंबाकू कंपनी के मालिक द्वारा एन.जी.ओ को वित्तीय सहायता की पेशकश ने एन.जी.ओ प्रमुख को दुविधा में डाल दिया है। इस केस स्टडी में शामिल प्रमुख नैतिक मुद्दों को निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है-
एन.जी.ओ प्रमुख के रूप में फंड को स्वीकार करने अथवा अस्वीकार करने के संबंध में मेरे समक्ष कुछ नैतिक प्रश्न विद्यमान हैं-
फंड अस्वीकार करने के संभावित परिणाम-
फंड स्वीकार करने के संभावित परिणाम-
वस्तुत: मेरे फैसले का प्रभाव सिर्फ मुझ पर ही नहीं बल्कि संगठन एवं कैंसर रोगियों पर भी पड़ेगा, तो ऐसे में कोई भी फैसला लेने से पूर्व मैं अपने सहकर्मियों व कैंसर पीड़ितों से मशविरा करूंगा। उसके पश्चात् सर्वसम्मति से निर्णय लेने का प्रयास करूंगा।