भारत की संवृद्धि एवं आर्थिक विकास में ई-कॉमर्स एक प्रमुख प्रवर्तक एवं महत्त्वपूर्ण निर्धारक के रूप में उभर रहा है। इस कथन को भारत की ई-कॉमर्स मसौदा नीति के आलोक में विश्लेषित कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- संक्षेप में ई-कॉमर्स एवं इसकी भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ती भूमिका को बताइये।
- ई-कॉमर्स के लाभों (उपभोक्ताओं तथा अर्थव्यवस्था के लिये) को बताइये।
- ई-कॉमर्स से जुड़े मुद्दों का उल्लेख कीजिये।
- बताइये कि मसौदा नीति कैसे ई-कॉमर्स पारिस्थितिकी को मज़बूत करती है।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस डिजिटल प्लेटफॉर्म है, यह ऑनलाइन व्यापार करने का तरीका है जिसके अंर्तगत इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम पर इंटरनेट के माध्यम से वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद-बिक्री की जाती है। वर्तमान डिजिटलीकरण के युग में भारत में इस क्षेत्र का तीव्रता से प्रसार हो रहा है। भारत में ई-कॉमर्स क्षेत्र सर्वाधिक तीव्रता से विकास करने वाले क्षेत्रों में से एक के रूप में उभर रहा है। भारत सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र के वर्ष 2017 में 38.5 बिलियन डॉलर से 2023 तक 200 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। ई-कॉमर्स क्षेत्र उपभोक्ताओं एवं अर्थव्यवस्था को निम्नलिखित लाभ प्रदान करता है-
- ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के द्वारा घरेलू निर्माताओं, लघु एवं सूक्ष्म उद्योग, स्टार्टअप, विक्रेता तथा खुदरा विक्रेता आदि सभी हितधारकों को लाभ की प्राप्ति होगी।
- ऑनलाइन शॉपिंग ने ग्राहकों की राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार तक पहुँच आसान बनाई है तथा ग्राहकों का समय भी बचाया है।
- ई-कॉमर्स के ज़रिये छोटे तथा मझोले उद्यमियों को आसानी से एक प्लेटफॉर्म मिल जाता है जहाँ वे अपना उत्पाद बेच सकते हैं, साथ ही इसके माध्यम से कई सारे उत्पाद ग्राहकों को एक ही प्लेटफॉर्म पर आसानी से मिल जाते हैं।
- ई-कॉमर्स के माध्यम से सामान सीधे उपभोक्ता को प्राप्त होता है। इससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो जाती है तथा सामान उचित कीमतों पर मिल जाते हैं जिससे बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा बनी रहती है जिसका लाभ सीधे उपभोक्ता को होता है।
- ई-कॉमर्स के विकास के साथ-साथ लॉजिस्टिक क्षेत्र (डिलीवरी पार्टनर्स) का भी विकास होता है, जिसमें कई लोगों को रोज़गार मिलता है।
उपर्युक्त लाभों के बावजूद ई-कॉमर्स क्षेत्र कई समस्याओं का सामना कर रहा है, जिसमें हानि पर उत्पादों की बिक्री, नकारात्मक प्रतिस्पर्द्धा तथा उनके डेटा के दुरुपयोग का भय आदि प्रमुख हैं। इसी के साथ-साथ उपभोक्ताओं में भी इस क्षेत्र के लिये संशय की स्थिति बनी रहती है, जैसे- पेक उत्पादों की डिलीवरी, शिकायत के लिये कोई एकीकृत प्लेटफॉर्म की अनुपस्थिति आदि प्रमुख हैं।
इन मुद्दों के समाधान तथा ई-कॉमर्स क्षेत्र के विकास एवं विनियमन हेतु भारत सरकार ने ई-कॉमर्स नीति का मसौदा पेश किया है। जिसके प्रमुख प्रावधान निम्नवत् हैं-
- ई-कॉमर्स क्षेत्र में धोखाधड़ी रोकने, अनुचित व्यापार पद्धतियों की रोकथाम करने तथा उपभोक्ताओं के वैध अधिकारों एवं हितों की रक्षा के लिये इन दिशा-निर्देशों को मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में जारी किया गया है।
- उपभोक्ताओं की शिकायतों हेतु विस्तृत प्रावधान किये गए हैं। प्रत्येक ई-कॉमर्स इकाई को अपनी वेबसाइट पर शिकायत अधिकारी का नाम और उनसे संबंधी जानकारी को सार्वजनिक किया जाना चाहिये।
- ग्राहकों की जानकारी हेतु किसी भी फर्म के लिये यह अनिवार्य होगा कि वह विक्रेता के साथ किये गए समझौते से संबंधित रिटर्न, रिफंड, एक्सचेंज, वारंटी, भुगतान के तरीकों हेतु शिकायत निवारण तंत्र की पूर्ण जानकारी प्रदर्शित करे।
- ई-कॉमर्स फर्म स्वयं को गलत तरीके से पेश नहीं कर सकती तथा नकली उत्पादों का पता लगने पर उसकी जानकारी सार्वजनिक करना अनिवार्य है।
इस प्रकार यह नीति ई-कॉमर्स के विकास के साथ-साथ विनियमन को बढ़ावा देती है, साथ ही उपभोक्ताओं के अधिकारों को सुनिश्चित करती है, जो कि अर्थव्यवस्था एवं घरेलू उपभोक्ताओं के विकास के मार्ग में अभूतपूर्व कदम साबित हो सकता है।