“लिंग भेदभाव महिलाओं के प्रति पूर्वधारणाओं की व्यावहारिक अभिव्यक्ति है।” इस कथन के प्रकाश में भारत में लिंग भेदभाव के प्रकारों एवं कारणों का परीक्षण कीजिये।
18 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय
उत्तर की रूपरेखा :
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लिंग एक जैविक आधार पर सांस्कृतिक निर्माण है। हालाँकि संस्कृति के आधार पर लोग लिंग के विषय में छवियों, मूल्यों, विश्वासों और अपेक्षाओं का एक पूरा समूह तैयार करते हैं।
विश्व की आधी आबादी का हिस्सा होने के बावजूद महिलाओं की राजनैतिक और सामाजिक दशा शोषित और पीड़ित किसी दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय जैसी ही समझी जा सकती है। पुरुष प्रधान समाज की पारंपरिक मानसिकता स्त्रियों को घर की चारदीवारी के भीतर कैद रखने वाली और चूल्हा-चक्की तथा बच्चों की परवरिश में व्यस्त रखने वाली हो रही है।
समाजीकरण में लिंग के अंतर की तीव्रता को संस्कृति के विभिन्न विशेषताओं से दृढ़ता से सहसंबंधित पाया जाता है। दूसरे शब्दों में लिंगों के बीच व्यवहार का अंतर विभिन्न सामाजिक प्रथाओं के कारण उत्पन्न होते हैं।
लिंग भेदभाव के रूप
लिंग भेदभाव के कारण
समकालीन भारतीय समाज में लिंग भेदभाव कई कारणों से व्याप्त है। इसके साथ जुड़े कुछ महत्त्वपूर्ण कारक हैं-
इस प्रकार की सामाजिक कुरुतियों को समाप्त करने के लिये सबसे पहले लोगों की अवधारणा को परिवर्तित करने की आवश्यकता है। परिवारों को पितृसत्तात्मक समाज की मानसिकता बदलने की आवश्यकता है। यह हमेशा कहा जाता है कि अगर एक परिवार की महिला शिक्षित होती है तो वह पूरे परिवार को शिक्षित कर सकती है।