भावनात्मक बुद्धिमत्ता (ई.आई.) भारत में प्रशासन एवं शासन में किस प्रकार सहायता कर सकती है? (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता पद को परिभाषित कीजिये।
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता की शासन एवं प्रशासन में उपयोगिता को बताएँ।
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता के महत्त्व को बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।
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भावनात्मक बुद्धिमत्ता किसी व्यक्ति की स्वयं की भावनाओं तथा दूसरे की भावनाओं को सटीकता से पहचानने की क्षमता है। ई.आई. विभिन्न भावनाओं के मध्य भेद करने तथा भावनात्मक सूचनाओं का प्रयोग अन्य व्यक्ति की सोच एवं व्यवहार को निर्देशित करने में सहायक है। यह भावनात्मक एवं बौद्धिक विकास को बढ़ावा देने के लिये भावनाओं को नियंत्रित करने के रूप में प्रतिबिंबित होती है।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता प्रशासन की प्रमुख चुनौतियों, जैसे- राजनीतिक हस्तक्षेप, लोगों के बीच संवाद तथा संघर्ष प्रबंधन आदि से निपटने के लिये अनिवार्य है। जो निम्नलिखित प्रवृत्तियों को बढ़ावा देती है-
- टीम वर्क और सहयोग: ई.आई. लोगों की भावनात्मक ऊर्जा का प्रयोग कर व्यक्ति के मनोबल में वृद्धि कर कार्य को आसान बनाने में सहायक है। इस प्रकार भावनात्मक रूप से बुद्धिमान सिविल सेवक किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति के लिये अपने अधीनस्थों को प्रेरित कर सकता है। उदाहरण के लिये, केरल की बाढ़ के समय आई.ए.एस अधिकारियों को पुनर्वास केंद्रों पर चावल की थैलियों को ले जाते हुए देखा गया। इस प्रकार उन्होंने अपने अधीनस्थों के सम्मुख एक उदाहरण पेश किया।
- राजनीतिक प्रमुखों के साथ प्रभावी रूप से समन्वय स्थापित करने में: ई.आई. किसी व्यक्ति को चिंताजनक परिस्थितियों में भावनाओं का प्रबंधन करने में सक्षम बनाती है। यह कूटनीतिक कुशलता के साथ विभिन्न विचारधाराओं और विविध पृष्ठभूमि के प्रमुखों पर नियंत्रण पाने में सहायता करती है। उदाहरण के लिये, एक आई.ए.एस. अधिकारी अपने तात्कालिक राजनीतिक प्रमुख की कुछ नीतियों से सहमत नहीं होता है किंतु उसकी यह असहमति इसके राजनीतिक प्रमुख के आदेशों का पालन करने के मार्ग में नहीं आ सकती।
- नीतियों के बेहतर लक्ष्यीकरण करने में: नौकरशाहों को प्रशासन को बेहतर बनाने के लिये लोक भावनाओं को समझने का ज्ञान होना आवश्यक है तथा ये सार्वजनिक नीतियों के कुशल संचालन एवं सामाजिक समस्याओं के संभावित समाधान खोजने और उन्हें लक्षित करने में सहायक होते हैं। उदाहरण के लिये कोझिकोड शहर में एक आई.ए.एस. अधिकारी द्वारा ‘ऑपरेशन सुलेमानी’ प्रारंभ किया गया। यह एक मुफ्त भोजन कार्यक्रम है जो कि यह सुनिश्चित करता है कि कोझिकोड शहर में पैसे की कमी के कारण कोई भी व्यक्ति भोजन से वंचित न रहे। यह बिना किसी सवाल का जबाव दिये या देर किये भोजन के अधिकार की गारंटी देता है।
- रचनात्मकता को आत्मसात् करने के लिये: भावनात्मक रूप से बुद्धिमान व्यक्ति की नई चीज़ों को अपनाने, जोखिम उठाने तथा बिना किसी भय के नई चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होने की संभावना अधिक होती है। यह क्षमता विभिन्न समस्याओं हेतु अभिनव समाधान खोजने में सहायता करती है। उदाहरण के लिये, आई.ए.एस. अधिकारी भारती होलीकेरी ने सरकार पर बगैर अतिरिक्त राजकोषीय बोझ सृजित किये पास के आंगनबाड़ी केंद्रों की सहायता से दोपहर का भोजन उपलब्ध कराकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसवपूर्ण जाँच को बढ़ावा दिया।
- विवादों का प्रबंधन करके: भावनात्मक बुद्धिमत्ता विवेक तथा अंतरात्मा की आवाज़ की सहायता से किसी अप्रिय घटना का वास्तविक समय पर प्रबंधन कर सकती है। उदाहरण के लिये, हाल में घटित दिल्ली पुलिस तथा वकीलों के बीच संघर्ष के मामले में भावनात्मक बुद्धिमत्ता के प्रयोग से घटना को अधिक बढ़ने से रोका जा सकता था। ऐसे ही सबरीमाला मुद्दे पर पुलिस अधिकारियों द्वारा भावनात्मक बुद्धिमत्ता का प्रयोग किया जाना चाहिये।
- संवाद तंत्र को बेहतर करने में: भावनात्मक रूप से बुद्धिमान सिविल सेवक नीतियों के संदर्भ में जनता से बेहतर रूप में संवाद स्थापित करने में सक्षम होगा। साथ ही, वह अपने अधीनस्थों व आम जनता के साथ बेहतर संबंध बनाने में भी सक्षम होगा।
- तनाव प्रबंधन में: भावनात्मक बुद्धिमत्ता तनावपूर्ण व भड़काऊ स्थिति में भावनाओं को प्रबंधित करने तथा शारीरिक व मानसिक वेल बीइंग को बेहतर करने में सहायक होती है। उदाहरण के तौर पर कोयंबटूर पुलिस ने तनाव प्रबंधन हेतु ‘वेल बीइंग’ नामक पहल की शुरआत की है।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता अनुभूति एवं भावनाओं हेतु एक संधिस्थल बनाती है जो कि हमारी क्षमताओं, जैसे- लचीलापन, प्ररेणा, समानुभूति, तर्क, तनाव प्रबंधन तथा संवाद को बेहतर बनाती है जो शासन एवं प्रशासन व्यवस्था को प्रभावी रूप से चलाने में प्रमुख आधार का कार्य करती है।