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प्रश्न :
रणनीतिक सैन्य उद्देश्य हेतु एंटी-सैटेलाइट हथियारों के विकास के महत्त्व को रेखांकित कीजिये। क्या भारत का एंटी-सैटेलाइट हथियार परीक्षण (ASAT) अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ को बढ़ावा देगा? (150 शब्द)
25 May, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- हाल ही में भारत द्वारा किये गए एंटी-सैटेलाइट हथियार परीक्षण के बारे में संक्षेप में उल्लेख कीजिये।
- एंटी-सैटेलाइट हथियार विकसित करने के कारणों पर चर्चा कीजिये।
- एसैट परीक्षण द्वारा बाहरी अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ की संभावनाओं का परीक्षण कीजिये।
- कुछ सुझाव देते हुए निष्कर्ष दीजिये।
भारत ने लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में मिशन शक्ति के एक भाग के रूप में अपना पहला एंटी-सैटेलाइट (एसैट) हथियार का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। एंटी-सैटेलाइट (एसैट) हथियार अंतरिक्ष हथियार हैं, जो सामरिक एवं सैन्य उद्देश्यों के लिये उपग्रहों को निष्क्रिय करने या नष्ट करने के लिये डिज़ाइन किये जाते हैं। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस इंटरसेप्टर का उपयोग भारत के एंटी-सैटेलाइट (एसैट) परीक्षण में किया गया। इस परीक्षण से भारत; अमेरिका, रूस और चीन के साथ उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास एंटी-सैटेलाइट क्षमता है।
एसैट हथियारों का विकास सामरिक सैन्य उद्देश्यों के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि:
- एसैट हथियार परीक्षण लंबी दूरी की मिसाइलों से भारत की बढ़ती अंतरिक्ष-आधारित परिसंपत्तियों के खतरों से विश्वसनीय प्रतिरोध प्रदान करता है।
- युद्ध के समय दुश्मन देशों के संचार या सैन्य उपग्रहों का पता लगाने, उन्हें निशाना बनाने तथा नष्ट करने के लिये एसैट का उपयोग किया जा सकता है।
- परीक्षण ने भारत की बैलिस्टिक मिसाइल प्रतिरक्षा क्षमता के परीक्षण में भी योगदान दिया। निम्न भू-कक्षा (LEO) आधारित उपग्रह के खिलाफ एसैट परीक्षण लंबी दूरी की मिसाइलों को रोकने की क्षमता प्रदर्शित करता है, जो कम दूरी की सामरिक मिसाइलों की तुलना में तीव्र और ऊँची उड़ान भर सकती है, जो कि सामान्यतया पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर उड़ान भरती है।
- ऐसे हथियारों की अनुपस्थिति प्रभावी कमान से समझौता होगा तथा अंतरिक्ष-आधारित खुफिया जानकारी, निगरानी और सैन्य जासूसी को समाप्त कर देगी। इस प्रकार यह चीन जैसे प्रतिरोधी पड़ोसियों को भारत की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में सक्षम करेगी।
- यह परीक्षण भारत की सुरक्षा, आर्थिक विकास और सामाजिक बुनियादी ढाँचे को नई दिशा प्रदान करेगा।
हथियारों की होड़ प्रारंभ करने में एसैट की भूमिका:
- परीक्षण ने अंतरिक्ष के शस्त्रीकरण को बढ़ावा देने की आशंका उत्पन्न की है जो एक शृंखला-प्रतिक्रिया की शुरुआत करेगा, जिससे अन्य देश भी अंतरिक्ष में अपने हथियारों को तैनात करके, अंतरिक्ष सैन्यीकरण हेतु भारत के पद-चिह्नों पर चलेंगे। इनमें से कुछ प्रौद्योगिकियाँ उत्तर कोरिया जैसे ‘दुष्ट राज्यों’ (Rogue states) के हाथ लग सकती हैं इसके अलावा पाकिस्तान जैसे अन्य राज्य, जो अपने पड़ोसियों के साथ रणनीतिक समानता के लिये सतत् कोशिश में लगे हुए हैं।
- हालाँकि भारत के एसैट परीक्षण द्वारा शुरू हुए अंतरिक्ष हथियारों की दौड़ के लिये चिंताएँ काफी हद तक संदेहास्पद हैं। दुनिया के सभी देश जानते हैं कि अंतरिक्ष आगामी भविष्य में संघर्ष का एक संभावित क्षेत्र हो सकता है तथा वे इस तरह की घटनाओं के लिये खुद को तैयार कर रहे हैं, उदाहरण के लिये- फ्राँस और संयुक्त राज्य अमेरिका अंतरिक्ष बलों का निर्माण कर रहे हैं। भारत का एसैट एक क्षमता प्रदर्शन अभ्यास था, जिसे विश्व की बदलती सुरक्षा गतिशीलता के प्रकाश में देखा जाना चाहिये।
- भारत 1967 की बाहरी अंतरिक्ष संधि सहित बाहरी अंतरिक्ष से संबंधित कई प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संधियों का पक्षकार है तथा इनमें से किसी का भी एसैट परीक्षण के दौरान उल्लंघन नहीं किया गया था। भारत भी निरस्त्रीकरण पर सम्मेलन में ‘नो फर्स्ट प्लेसमेंट ऑफ वेंपस इन आउटर स्पेस’ तथा ‘बाहरी अंतरिक्ष में एक शस्त्र-होड़ की रोकथाम’ पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प 69/32 का समर्थन करता है।
आगे की राह
बाहरी अंतरिक्ष संबंधी मौजूदा संधियाँ ‘मानव जाति की सामान्य विरासत’ के रूप में बाहरी अंतरिक्ष की सुरक्षा के लिये अपर्याप्त हैं, भारत के साथ-साथ अन्य समान विचारधारा वाले देशों को बाहरी अंतरिक्ष का शांतिपूर्ण अन्वेषण के लिये कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतरिक्ष संधि पर सहमति बनाने की आवश्यकता है।
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