हिमालयी क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से प्रायद्वीपीय पठार की अपेक्षा अत्यधिक संवेदनशील क्यों है?
19 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलहिमालयी क्षेत्र भूगर्भिक संरचना के दृष्टिकोण से एक नवीन क्षेत्र है जहाँ चट्टानें अभी स्थिर अवस्था को प्राप्त नहीं हुई हैं। वर्तमान में भी भारतीय प्लेट 5 सेमी./वर्ष की दर से गतिशील है तथा इसका यूरेशियन प्लेट से अभिसरण जारी है। इस कारण हिमालयी क्षेत्र में समस्थितिक समायोजन की प्रक्रिया चल रही है। हाल में नेपाल में आया भूकंप इसी का प्रमाण है। इसके अलावा, इस क्षेत्र में भूंकप का कारण भ्रंशों की स्थिति है।
हिमालयी क्षेत्र में मेन सेंट्रल थ्रस्ट (MCT) महान एवं लघु हिमालय के मध्य, मेन बाउन्ड्री थ्रस्ट (MBT) लघु एवं शिवालिक हिमालय के मध्य है तथा हिमालयन फ्रंट फाल्ट (HFF) शिवालिक तथा विशाल मैदान के मध्य स्थित है। इन भ्रंशों की हिमालय में उपस्थिति के कारण विनाशकारी भूकंप उत्पन्न होते हैं। विशाल मैदानी क्षेत्र सामान्य से लेकर अधिक भूकंप से प्रभावित है क्योंकि यह हिमालय के निकट स्थित है तथा इस क्षेत्र में भी कई भ्रंश मौजूद हैं।
प्रायद्वीपीय पठार भूगर्भिक संरचना की दृष्टि से सर्वाधिक प्राचीन क्षेत्र है क्योंकि यह गोंडवानालैंड का हिस्सा था। प्रारम्भ में प्राचीन संरचना से निर्मित होने व कोई भूगर्भिक हलचल न होने के कारण इस क्षेत्र को भूकंप की आशंका की दृष्टि से मुक्त क्षेत्र माना जाता था, किंतु पिछली शताब्दी में लातूर, कोयना, जबलपुर तथा 2001 में कच्छ में आए विनाशकारी भूकंप से यह अवधारणा आधारहीन साबित हुई। इस क्षेत्र में भूकंप के लिये दरार एवं भ्रंश की उपस्थिति को उत्तरदायी माना जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रायद्वीपीय पठार भूकंप की दृष्टि से मुक्त नहीं हैं, किंतु भूगर्भिक संरचना व पठारी स्थिति के कारण हिमालयी क्षेत्र की अपेक्षा कम संवेदनशील है। हिमालयी क्षेत्र में भारतीय प्लेट व यूरेशियन प्लेट की अभिसरण प्रक्रिया भूकंप की दृष्टि से अधिक संवेदनशील बनाती है।