क्या रूस 1917 की क्रांति को टाल सकता था? यह क्रांति अपने वादों की पूर्ति में कितनी सफल रही? (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- संक्षेप में घटना का वर्णन करें।
- क्रांति की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों का उल्लेख करें।
- रूस में क्रांति के परिणामों का उल्लेख करें।
- विश्व इतिहास में इसके महत्त्व के साथ निष्कर्ष दें।
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उत्तर: 1917 की रूसी क्रांति बीसवीं शताब्दी की सबसे विस्फोटक राजनीतिक घटनाओं में से एक थी। इस हिंसक क्रांति ने रोमनोव राजवंश और सदियों से कायम रूसी जारशाही शासन का अंत किया।
क्या क्रांति अपरिहार्य थी?
- यद्यपि क्रांतिकारी घटनाएँ कुछ माह की संक्षिप्त अवधि में घटित हुईं, रूस में सामाजिक अशांति दशकों से आकार ले रही थी।
- 1900 के दशक के आरंभ में रूस यूरोप के निर्धनतम देशों में से एक था जहाँ किसानों की एक भारी आबादी और निर्धन औद्योगिक श्रमिकों की बढ़ती अल्पसंख्यक आबादी मौजूद थी।
- 1917 तक जार और अधिकांश रूसी प्रजा के बीच का संबंध टूट चुका था। सरकारी भ्रष्टाचार और अक्षमता सर्वत्र व्याप्त थी। रूसी संसद ड्यूमा को बार-बार भंग कर दिये जाने जैसी जार की प्रतिक्रियावादी नीतियों ने आग में और घी डाला।
- लेकिन यह प्रथम विश्वयुद्ध में सरकार का अक्षम आचरण था जिसने जनता के सब्र के बाँध को तोड़ दिया।
- 1917 तक रोमनोव राजशाही का तीव्रता से क्षरण होने लगा था लेकिन फिर भी जार शासक अपनी सत्ता बनाए रह सकते थे यदि वे सुधार के अवसरों से बार-बार चूक नहीं गए होते।
क्रांति के परिणाम
- अक्तूबर की महान क्रांति के बाद भी रूसियों की आकांक्षाओं की पूर्ण पूर्ति मूर्त परिणामों के रूप में प्रकट नहीं हुई और उल्लेखनीय है कि क्रांति के सबसे अग्रणी नेताओं में से एक लियोन ट्रॉट्स्की ने एक वर्ष बाद ही एक किताब लिखी जिसका शीर्षक ‘The Revolution Betrayed’ था।
- यद्यपि कुछ सामाजिक परिवर्तन तुरंत ही व्यापक रूप से प्रकट हुए, जैसे पुरुषों और महिलाओं के लिये समान स्थिति, गर्भपात को वैध बनाना, महिलाओं के काम कर सकने के अवसर के लिये बच्चों की देखभाल हेतु सामुदायिक सुविधाएँ, समलैंगिकता को गैर-आपराधिक बनाना और नि:शुल्क शिक्षा।
- लेकिन अधिक समय नहीं बीता जब देश गृहयुद्ध में फँस गया और बोल्शेविकों ने परिदृश्य को अपने अनुकूल करने और सत्ता में बने रहने के लिये बल-प्रदर्शन का सहारा लेना शुरू कर दिया।
- किसानों से अधिशेष अनाज की प्राप्ति के लिये सैन्य बल का मनमाना इस्तेमाल किया गया।
- 1924 में लेनिन की मृत्यु के बाद रूस एक अधिनायकवादी व्यवस्था में बदल गया जहाँ सत्ता पर स्टालिन के नियंत्रण के साथ व्यापक भुखमरी, सामूहिकीकरण कार्यक्रम (Collectivization), बलात श्रम प्रणाली (Gulag), राजनीतिक शुद्धिकरण (Great Purge) आदि का समकालीन वास्तविकता के रूप में उभार हुआ।
अक्तूबर क्रांति ने अपने अवतरण पर एक वैश्विक उन्माद और अदम्य उत्साह को जन्म दिया जहाँ धरती पर स्वर्ग के उतर आने अर्थात् एक आदर्श राज्य के निर्माण की संभावना को लेकर आशा जगी। इसने मानव स्वतंत्रता और शोषणरहित सामाजिक व्यवस्था की ओर इतिहास के अपरिहार्य गमन की स्वाभाविक परिणति का संकेत दिया।