अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी?
11 May, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकीकोई भी प्रौद्योगिकीय अनुप्रयोग जिसमें जैविक प्रणालियों, सजीवों या उत्पन्न पदार्थों का उपयोग किसी विशिष्ट कार्य के लिये, उत्पाद या प्रक्रियाओं के निर्माण या रूपांतरण में किया जाता है, जैव प्रौद्योगिकी कहलाता है।
हज़ारों वर्षों से मानव कृषि, खाद्य उत्पादन और औषधि निर्माण में जैव प्रौद्योगिकी में शोध करते आया है। बीसवीं सदी के अंत तथा 21वीं सदी के आरंभ से जैव प्रौद्योगिकी में विज्ञान के कई अन्य आयामों जैसे आनुवंशिक इंजीनियरिंग, जीन अभियांत्रिकी, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन द्वारा परखनली शिशु का निर्माण, जीन का संश्लेषण एवं उपयोग, CRISPR-Cas9 तकनीक, DNA टीके का निर्माण या दोष युक्त जीन का सुधार तथा जीन चिकित्सा के माध्यम से गंभीर बीमारियों का उपचार आदि सभी जैव प्रौद्योगिकी की उपलब्धियाँ हैं।
कृषि के क्षेत्र में जैव प्रौद्योगिकी द्वारा आनुवंशिक रूप से परिवर्तित पराजीनी फसलें, यथा-Bt कपास, Bt बैंगन, GM सरसों आदि तथा जैव उर्वरकों व जैव कीटनाशकों का विकास किया गया है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में सूक्ष्म जीवों का विनाश कर खाद्य की सुरक्षा एवं गुणवत्ता में सुधार किया गया है एवं विभिन्न प्रकार के खाद्य उत्पाद तैयार किये गए हैं, जो न सिर्फ पोषण की दृष्टि से उन्नत होते हैं, बल्कि स्वाद, सुगंध आदि में भी उत्तम होते हैं। पर्यावरणीय जैव प्रौद्योगिकी द्वारा जैवोपचारण प्रौद्योगिकी का विकास किया गया है। कार्बन प्रच्छादन, प्राणी तथा पादप विविधता आदि जैव प्रौद्योगिकी की उपलब्धियाँ हैं। पशु जैव प्रौद्योगिकी की विभिन्न विधाओं; जैसे-भ्रूण हस्तांतरण, भ्रूण परिवर्द्धन, पोषण, स्वास्थ्य रोगों के उपचार, परखनली निषेचन में उल्लेखनीय प्रगति के माध्यम से पशुओं की नई नस्लें विकसित करने, नस्ल सुधार एवं स्वास्थ्य सुधार में विशेष सफलता मिली है। समुद्री जैव प्रौद्योगिकी पर बढ़ते शोध ने बहुत सी दवाओं के विकास को संभव बनाया है तथा वैज्ञानिकों को समुद्री जीवों के विकास और उनसे जुड़े महत्त्वपूर्ण पहलुओं को समझने में सुविधा प्रदान की है।
इस क्षेत्र में हुई प्रगति को देखते हुए यह माना जा रहा है कि जैव प्रौद्योगिकी देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। प्रमुख बीमारियों की रोकथाम और इलाज को सक्षम बनाते हुए निर्धनों तक इसकी पहुँच सुनिश्चित की जा सकती है तथा बेहतर कृषि उत्पादकता की चुनौतियों का समाधान कर कृषि उत्पादकता को बढ़ाते हुए आर्थिक विकास को संभव किया जा सकता है। इससे निर्धनता को अप्रत्यक्ष रूप से कम करने में सफलता प्राप्त होगी। राष्ट्रीय पोषण की ज़रूरतों को पूरा करते हुए भुखमरी को कम करने में सहायता मिलेगी, जो आत्मनिर्भर भारत को प्राप्त करने तथा समावेशी समाज को विकसित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम साबित होगा।
जैव प्रौद्योगिकी द्वारा आर्थिक विकास को गति प्रदान कर लोगों के जीवन स्तर को सुधारने में सहायता प्राप्त हो सकती है तथा समाज में व्याप्त आय असमानता को समाप्त कर बेरोज़गारी व निर्धनता से छुटकारा पाया जा सकता है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने सामाजिक उत्थान के प्रत्येक पहलू पर अपनी छाप छोड़ी है। इसका मूलभूत उद्देश्य समाज एवं राष्ट्र के उत्थान के लिये उपयोगी सिद्ध होना है।