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प्रश्न :
भारत में युवाओं पर वैश्वीकरण के विभिन्न सामाजिक-आर्थिक प्रभावों की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
09 May, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाजउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- वैश्वीकरण का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- भारतीय युवाओं पर वैश्वीकरण के विभिन्न सामाजिक-आर्थिक प्रभावों की चर्चा कीजिये।
- वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिये कुछ उपाय देते हुए निष्कर्ष लिखिये।
वैश्वीकरण विभिन्न देशों के लोगों, कंपनियों और सरकारों के बीच वार्ता, एकता और परस्पर निर्भरता की प्रक्रिया को संदर्भित करता है। इसमें राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति शामिल हैं। वैश्वीकरण का समाज पर सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों परिणाम होते हैं।
वैश्वीकरण का प्रभाव अत्यधिक व्यापक है। वैश्वीकरण का प्रभाव युवाओं में तीव्र परिवर्तन एवं अनिश्चितता लाने हेतु उत्तरदायी है। इस प्रकार, वैश्वीकरण न केवल युवाओं के बीच आर्थिक अवसर प्रदान करता है, बल्कि सामाजिक परिवर्तनों हेतु भी उत्तरदायी है।
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के साथ, भारत में युवाओं के पास अब एक विशाल संसाधन है। इसके परिणामस्वरूप, उनमें वैश्विक मनोवैज्ञानिक चेतना का विकास हुआ है।
वैश्वीकरण ने खुले बाज़ार की अवधारणा के परिणामस्वरूप रोज़गार के अधिक अवसर पैदा किये हैं।
वैश्वीकरण युवाओं में उत्कृष्टता प्राप्त करने तथा अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनने के लिये प्रोत्साहन एवं स्वतंत्रता प्रदान करता है।
इसने ग्रामीण भारत से बढ़ते प्रवासन के परिणामस्वरूप शहरी गरीबी को जन्म दिया है। यह समाज में संरचनात्मक असमानताओं को भी जन्म देता है। जाति, वर्ग, लिंग, धर्म और आवास में विभाजन के परिणामस्वरूप युवा लोगों में सुभेद्यता, अस्थिरता और असुरक्षा की भावना बढ़ रही है।
वैश्वीकरण के पश्चात् पश्चिमी मूल्यों और संस्कृति का अंधानुकरण हुआ है और युवाओं ने इसे अपनी भारतीय पहचान में शामिल किया है। जैसा कि न केवल आधिकारिक उद्देश्यों के लिये, बल्कि दैनिक जीवन में भी अंग्रेज़ी भाषा युवाओं के बीच भारतीय भाषाओं पर हावी होती जा रही है।
वैश्वीकरण ने विवाह एवं परिवार की संस्थाओं को भी प्रभावित किया है। आज युवा अपने बुजुर्गों के पास नहीं हैं, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक संबंधों में अंतराल आए हैं।
वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप ही सामाजिक-आर्थिक अनिश्चितता के बढ़ने से युवाओं में अवसाद तथा आत्महत्या की घटनाओं में वृद्धि हुई है।
वैश्वीकरण ने युवाओं में धार्मिक विश्वास को भी प्रभावित किया है। इस प्रकार अधिकांश धार्मिक गतिविधियाँ युवा वर्ग के लिये अप्रासंगिक होती जा रही हैं।
सुखवाद की संस्कृति ने भारतीयों की पारंपरिक मान्यताओं को पूर्णत: बदल दिया है। नतीजतन, आज युवा आबादी, विशेष रूप से शहरी युवा पश्चिमी नए फैशन के पक्ष में हैं।
युवाओं पर वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिये उन्हें शिक्षा, कौशल विकास तथा रोज़गार, उद्यमिता, स्वास्थ्य एवं स्वस्थ जीवन शैली आदि में अपनी पूरी क्षमता हासिल करने के लिये सशक्त करना चाहिये। राष्ट्रीय युवा नीति -2014 (एन.वाई.पी. -2014) में उल्लेखित सामाजिक मूल्यों का संवर्द्धन, सामुदायिक सहभागिता, राजनीति एवं शासन में भागीदारी, युवा सहभागिता, समावेश और सामाजिक न्याय जैसे कारकों जोर देना चाहिये।
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