आप एक ज़िलाधिकारी के रूप में पदस्थ हैं। आपको अपने अधिकार क्षेत्र के एक गाँव की स्थिति के बारे में पता चलता है जहाँ की जनसंख्या रक्ताल्पता (एनीमिया) से पीड़ित है। एक परियोजना के तहत गाँव वालों को फोर्टिफाइड (पोषक तत्त्वों से युक्त) चावल उपलब्ध कराने की पहल की गई ताकि उन्हें पोषण प्रदान किया जा सके। किंतु गाँव वाले इस गलत धारणा के चलते कि ये चावल प्लास्टिक के हैं, इनका उपभोग करने से मना कर देते हैं। वहीं दूसरी तरफ ग्रामवासी वामपंथी विचारधारा से भी प्रभावित हैं और आपको यह भी पता चलता है कि नक्सलवादी ग्रामीणों की इस आम धारणा का प्रयोग अपने फायदे के लिये कर रहे हैं जिससे सरकार को जनता तक पहुँचना अधिक मुश्किल हो रहा है।
एक अन्य वैकल्पिक पहल के रूप में लोगों को आयरन की गोलियाँ उपलब्ध कराई गई लेकिन इसने भी ग्रामीणों के बीच एक अन्य गलतफहमी पैदा कर दी कि इन गोलियों के सेवन से गर्भस्थ शिशुओं के वजन में वृद्धि हो जाती है जो गर्भवती महिलाओं में प्रसव संबंधी जटिलताओं में वृद्धि का कारण बनती है। इस प्रकार यह पहल भी विफल साबित हुई।
(a) उपर्युक्त केस स्टडी में निहित विभिन्न मुद्दे कौन-से हैं?
(b) नक्सलियों द्वारा प्रसारित गलत सूचनाओं के परिप्रेक्ष्य में आप जन सामान्य की धारणाओं को कैसे बदलेंगे? (250 शब्द)
हल करने का दृष्टिकोण:
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प्रस्तुत ‘केस स्टडी’ में विभिन्न हितधारक निम्नलिखित हैं-
1. गाँववाले: रक्ताल्पता (एनीमिया) से पीड़ित व्यक्ति, गर्भवती महिलाएँ एवं नक्सलियों द्वारा गुमराह सामान्य ग्रामीण जनता।
2. नक्सली: नक्सली अपने लाभ के लिये ग्रामीणों के बीच विद्यमान गलत धारणाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं और सरकार के लिये जनता तक पहुँचना मुश्किल बना रहे हैं।
3. ज़िला प्रशासन: ज़िला प्रशासन के पास हल करने के लिये विभिन्न समस्याएँ हैं, जिसके चलते वह ग्रामीण समुदाय में व्याप्त भ्रामक सूचनाओं को दूर करने के लिये पर्याप्त ध्यान नहीं दे पा रहा है।
भारत में विकास गतिविधियाँ कई कारकों से नकारात्मक रूप से प्रभावित हैं। इन कारकों में गरीबी, बेरोज़गारी, अशिक्षा व कुपोषण आदि प्रमुख हैं। नक्सलवाद इस तरह की समस्याओं के लिये ईंधन का काम करता है। उपरोक्त ‘केस स्टडी’ नक्सल प्रभावित क्षेत्र में व्याप्त विविध समस्याओं से संबंधित है। इस ‘केस स्टडी में’ ‘फोर्टीफाइड चावल’ व ‘आयरन की गोलियों’ के प्रयोग को लेकर स्थानीय जनता में फैली भ्रामक धारणाओं को दूर करना ज़िला प्रशासन के लिये चुनौतीपूर्ण कार्य बना हुआ है। नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्र होने के कारण ज़िला प्रशासन के लिये ग्रामीणों की सोच में बदलाव का कार्य और भी कठिन साबित हो रहा है।
इस केस स्टडी में शामिल विविध मुद्दे निम्नलिखित हैं-
इसके अतिरिक्त स्थानीय समुदाय के उन लोगों को जो फोर्टीफाइड चावल और आयरन की गोलियों के उपभोग के लिये तैयार हो जाते हैं तो कुछ अतिरिक्त खाद्यान्न या मौद्रिक लाभ प्रदान किया जा सकता है। इस प्रकार समस्या का अल्पकालीन समाधान किया जा सकता है।
उपरोक्त उपायों के अलावा स्थानीय पंचायतों, आंगनवाड़ियों, स्वयं सहायता समूहों और आदिवासी नेताओं का सहयोग स्थानीय समुदाय के लोगों को सही दिशा में ले जाने के लिये लिया जा सकता है ताकि वे लंबे समय के लिये ऐसी गलत धारणाओं से मुक्त होकर व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से अपना विकास करने में स्वयं सक्षम हो सकें।