क्यूबा मिसाइल संकट शीत युद्ध का चरम बिंदु था। इसके परिणामों के साथ-साथ इसके लिये उत्तरदायी कारणों का उल्लेख कीजिये। (250 शब्द)
02 May, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास
हल करने का दृष्टिकोण:
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वर्ष 1959 में फिदेल कास्त्रो द्वारा अमेरिका समर्थित तानाशाह बतिस्ता से सत्ता छीनने के बाद क्यूबा, शीतयुद्ध में शामिल हो गया। वर्ष 1961 में अमेरिका ने क्यूबा के साथ राजनयिक संबंध तोड़ लिये, जिसके परिणामस्वरूप यू.एस.एस.आर. और क्यूबा के मध्य संबंध बेहतर हो गए। वर्ष 1961 में कास्त्रो ने घोषणा की कि वह एक मार्क्सवादी हैं और क्यूबा एक समाजवादी राष्ट्र है।
अमेरिका ने क्यूबा में सैन्य एवं सामरिक प्रयासों से कास्त्रो शासन को नष्ट करने के अपने प्रयासों को जारी रखा। क्यूबा ने यू.एस.एस. आर. से सैन्य मदद के लिये अपील की। सोवियत संघ की नेता निकिता ख्रुश्चेव ने क्यूबा को रूसी बेस में परिवर्तित करने का निर्णय लिया। हथियारों की स्थापना ने अमेरिका को पहली बार यू.एस.एस.आर. की मिसाइलों की सीमा के भीतर रखा तथा अमेरिकी मुख्य भूमि के शहरों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई, जिसे यू.एस.एस.आर. द्वारा खतरा हो सकता था। यह स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण हो गई और इससे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे परमाणु युद्ध आसन्न है। इस घटना को क्यूबाई मिसाइल संकट के रूप में जाना जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव द्वारा अपील किये जाने के बाद यह संकट समाप्त हो गया। यू.एस.एस.आर. ने मिसाइलों को वापस लेने और क्यूबा में प्रक्षेपण स्थलों को नष्ट करने पर सहमति व्यक्त की और बदले में अमेरिका ने क्यूबा पर फिर से आक्रमण नहीं करने के लिये सहमति व्यक्त की।
क्यूबा मिसाइल संकट के निम्नलिखित प्रमुख कारण थे:
केवल कुछ दिनों तक चलने के बावजूद क्यूबाई मिसाइल संकट के निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण परिणाम थे:
शीतयुद्ध के युग में क्यूबाई मिसाइल संकट एक महत्त्वपूर्ण घटना थी, जिसने विश्व को संयुक्त राज्य अमेरिका और यू.एस.एस.आर. की हथियार प्रतिद्वंद्विता से जनित संकट का एहसास कराया और यह विश्व को परमाणु युद्ध की भयावहता से सुरक्षित बनाने के आंदोलनों के लिये एक दिशा दी।