नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में प्रजनन दर में कमी लाने हेतु विभिन्न आर्थिक तथा सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    25 Apr, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • प्रजनन पद की व्याख्या कीजिये।
    • भारत में प्रजनन दर में कमी लाने में विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक चुनौतियों की व्याख्या कीजिये।
    • जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    प्रजनन किसी व्यक्ति या समूह के प्रजननीय प्रदर्शन को संदर्भित करता है। इसका अध्ययन जन्म के आँकड़ों द्वारा किया जा सकता है। अशोधित जन्म दर प्रजनन दर का एक महत्त्वपूर्ण मापक है, जिसमें केवल जीवित जन्मों अर्थात बच्चे जो जन्म ले चुके हों, को शामिल किया जाता है।

    भारत में प्रजनन दर में कमी लाने में बाधा उत्पन्न करने वाली निम्नलिखित विभिन्न सामाजिक-आर्थिक चुनौतियाँ हैं:

    • बौद्ध धर्म को छोड़कर भारत के सभी धर्मों में, उनके अनुयायियों के प्रजनन और जनसंख्या वृद्धि करने के आदेश शामिल हैं। इस प्रकार इस तथ्य पर आश्चर्य की बात नहीं है कि उच्च प्रजनन पर विश्वास देश में धर्मों तथा सामाजिक संस्थाओं द्वारा दृढ़ता से जोर दिया गया है, जिससे परिवार के आकार के बारे में उचित मानदंड बन गए हैं।
    • उच्च प्रजनन में योगदान देने वाला एक अन्य कारक विवाह संस्था की सार्वभौमिकता है। हिंदुओं में एक व्यक्ति से उसके जीवन (आश्रम) के विभिन्न चरणों से गुजरने की आशा की जाती है जिसमें प्रत्येक चरण से संबंधित कर्त्तव्यों का पालन करना शामिल है। विवाह इनमें से एक ऐसा कर्तव्य माना जाता है।
    • अब तक, भारत में प्रथा थी कि किशोर अवस्था में प्रवेश करने से पूर्व ही हिंदू लड़कियों का विवाह कर दिया जाए। अंतत: वे बहुत कम आयु से बच्चों को जन्म देना प्रारंभ तब तक करती हैं जब तक वे उस आयु तक नहीं पहुँचती हैं, जिसके पश्चात् वे जैविक रूप से बच्चों को जन्म देने में सक्षम नहीं होती हैं।
    • सभी पारंपरिक समाजों के समान, भारत में भी बच्चों को जन्म देने के लिये बहुत जोर दिया जाता है। एक महिला, जो बच्चों को जन्म नहीं देती है, को समाज में निम्न श्रेणी में रखा जाता है।
    • भारतीय संस्कृति में एक बच्चे (पुरुष) के लिये वरीयता अंतर्निहित है। भारतीय समाज में बेटों के लिये वरीयता इतनी अधिक है कि एक दंपति कई अवांछित बेटियाँ को जन्म देता है जब तक उसे कम से कम एक बेटा नहीं हो जाता है।
    • सामान्यत: बच्चों की संख्या को सीमित करने के लिये कोई आर्थिक प्रेरणा नहीं होती है, क्योंकि जैविक माता-पिता को अपने बच्चों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये आवश्यक नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि संयुक्त परिवार, संयुक्त रूप से इसमें जन्म लिये सभी बच्चों के लिये उत्तरदायी है।
    • जैसा कि भारत में अभी भी गरीबी दर उच्च स्तर पर है, विशेषत: ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार अधिक बच्चों को जन्म देने की प्रवृत्ति शामिल है, ताकि परिवार में अधिक आय अर्जित करने में सहायता मिले।
    • भारतीय समाज में व्याप्त निरक्षरता महिलाओं के मध्य भारत में उच्च प्रजनन दर के कारकों में से एक है।
    • इसके अतिरिक्त गर्भधारण नियंत्रण विधियों को व्यापक रूप से अपनाने की अनुपस्थिति भी भारतीय महिलाओं की उच्च प्रजनन दर हेतु उत्तरदायी है। इसके अलावा गर्भनिरोधक के विभिन्न विकल्पों के बारे में जन सामान्य में जागरूकता की कमी है।

    तीव्र जनसंख्या वृद्धि ने कृषि क्षेत्र एवं खाद्य आपूर्ति के वितरण, निम्न प्रति व्यक्ति आय, बेरोज़गारी दर में वृद्धि और निरक्षरता दर में वृद्धि के फलस्वरूप गंभीर समस्याओं को जन्म दिया है। इसने राष्ट्र के लोगों के मध्य जीवन स्तर में वृद्धि को बाधित है। साक्षरता में वृद्धि, जागरूकता पैदा करना और विभिन्न गर्भनिरोधक विकल्पों की पर्याप्त आपूर्ति प्रदान करना जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow