भूकंप संबंधित संकटों के लिये भारत की भेद्यता की विवेचना कीजिये। पिछले तीन दशकों में, भारत के विभिन्न भागों में भूकंप द्वारा उत्पन्न बड़ी आपदाओं के उदाहरण प्रमुख विशेषताओं के साथ दीजिये।
20 Apr, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आपदा प्रबंधनपृथ्वी की सतह पर अचानक होने वाले कंपन को भूकंप कहते हैं। यह सबसे ज़्यादा अपूर्वसोचनीय और विध्वंसक है। इसके खतरे सतह के टूटने, भूस्खलन, द्रवीकरण, विवर्तनिक विकृति, सुनामी आदि तक विस्तृत हो सकते हैं।
देश के वर्तमान सिस्मिक ज़ोन मैप के अनुसार भारत की भूमि का लगभग 59% हिस्सा सामान्य से गंभीर भूकंपीय खतरों के अधीन है। भारतीय प्लेट प्रति वर्ष उत्तर व उत्तर-पूर्व दिशा में 1 सेमी. खिसक रही है परंतु उत्तर में स्थित यूरेशियन प्लेट के अवरोध के परिणामस्वरूप हिमालय का तलहटी क्षेत्र भूकंप, द्रवीकरण और भूस्खलन की चपेट में है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह एक अंतर-प्लेट सीमा पर स्थित होने के कारण अक्सर विनाशकारी भूकंपों का अनुभव करते हैं। भारत की बढ़ती आबादी, व्यापक अवैज्ञानिक निर्माणों एवं अनियोजित शहरीकरण आदि ने भी भूकंप से जुड़े जोखिमों को बढ़ा दिया है।
पिछले तीन दशकों में भूकंप के कारण क्रमश: कई आपदाएँ हुईं; जैसे-1993 में लातूर और उस्मानाबाद में भूकंप आया, जिसमें अपेक्षाकृत उथली गहराई के कारण सतह की बड़ी क्षति हुई। 1999 में चमोली में थ्रस्ट फॉल्ट के कारण भूकंप आया। परिणामस्वरूप भूस्खलन, सतही जल प्रवाह में परिवर्तन, सतह का टूटना और कटी हुई घाटियों को देखा गया। 2001 में रिएक्टिवेटेड फॉल्ट के कारण भुज में भूकंप आया और जान-माल की भारी क्षति हुई। 2004 में हिंद महासागर में नीचे भूकंपीय गतिविधि के कारण सुनामी आई जिसने भारत के तटीय क्षेत्रों को प्रभावित किया।
अत: भूकंप जनित खतरों के प्रति सुभेद्यता के अनुरूप विकास योजनाएँ बनाने की आवश्यकता है, ताकि पर्यावरण संतुलन के साथ सतत विकास को बढ़ावा मिले और जान-माल की क्षति कम की जा सके।