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प्रश्न :
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन (यू.एन.एफ.सी.सी.सी.) के सी.ओ.पी. के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई वचनबद्धताएँ क्या हैं?
20 Apr, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणउत्तर :
स्कॉटलैंड के ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मलेन (UNFCCC) के 26वें सत्र के प्रमुख परिणाम निम्नलिखित हैं-
पृथ्वी पर 85 प्रतिशत वनों की हिस्सेदारी वाले 105 देशों के नेताओं ने ‘ग्लासगो घोषणा’ पर हस्ताक्षर किये हैं। यह घोषणा वनों की कटाई और भूमि क्षरण को 2030 तक पूर्ण रूप से रोकने के लिये हस्ताक्षर करने वाले देशों को बाध्य करती है। यह ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के साथ-साथ समुदायों के वन आधारित अस्तित्व को बनाए रखने के लिये पोषित किया जाने वाला समझौता है, जिसमें दुनिया की 25 प्रतिशत आबादी शामिल है।
वनों की कटाई के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख उत्पादों के वैश्विक व्यापार में 75 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले 28 देशों ने एक नए वन, कृषि और उपभोक्ता वस्तु व्यापार (FACT) स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर किये हैं। FACT स्टेटमेंट स्थायी व्यापार देने और जंगलों पर दबाव कम करने के लिये छोटे किसानों के समर्थन और आपूर्ति शृंखला की पारदर्शिता में सुधार सहित सामान्य कार्यों को निर्धारित करता है। इसमें उत्पाद की वैश्विक शृंखला में वनों की कटाई को कम करना शामिल है। इसी को जारी रखते
हुए 30 वित्तीय संस्थानों ने भी, जिनकी कुल संपत्ति 8-7 खरब डॉलर से अधिक है, उत्पाद-संचालित वनों की कटाई में निवेश को समाप्त करने की सहमति प्रदान की है।
इन उद्देश्यों को संभव बनाने के लिये 2021&2025 के दौरान 19 अरब डॉलर की निजी और सार्वजनिक वित्त की उपलब्धता की प्रतिबद्धता प्रदर्शित की गई है। इसमें से 12 अरब डॉलर 12 देशों के सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों से और शेष 30 वित्तीय संस्थानों से उपलब्ध होंगे।
‘ग्लासगो ब्रेकथ्रू एजेंडा’ (Glasgow Breakthrough Agenda) को भारत सहित 42 देशों द्वारा अनुमोदित किया गया है। यह स्वच्छ ऊर्जा, सड़क परिवहन, इस्पात और हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और संवहनीय समाधानों के विकास और तैनाती में तेज़ी लाने के लिये एक सहकारी प्रयास है।
COP 26 में जलवायु कार्रवाई के लिये भारत की ओर से पाँच प्रतिबद्धताएँ प्रस्तुत की गईं, इनमें शामिल हैं :
- वर्ष 2030 तक भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट (GW) तक ले जाना।
- वर्ष 2030 तक भारत की 50% ऊर्जा आवश्यकताओं को अक्षय ऊर्जा के माध्यम से पूरा करना।
- वर्ष 2030 तक भारत की अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता (इन्टेंसिटी) में 45 प्रतिशत से अधिक की कमी करना।
- अब से लेकर वर्ष 2030 तक भारत के शुद्ध अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कटौती करना।
- वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करना।
निष्कर्षत: भारत जनभागीदारी के द्वारा सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और संबंधित विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय स्थापित करते हुए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर सकता है।
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