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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    नीति आयोग की स्थापना के बाद से ही इसके कार्यों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (150 शब्द)

    19 Apr, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • नीति आयोग का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • नीति आयोग की अब तक की उपलब्धियों/कार्यों पर प्रकाश डालिये।
    • अपने कार्यों को सुचारु रूप से करने में इसके समक्ष आने वाली चुनौतियों को बताइये।
    • संतुलित निष्कर्ष दीजिये।

    पिछले छह दशकों के दौरान भारत कई आमूलचूल परिवर्तनों के दौर से गुज़रा है। ये परिवर्तन राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित हैं। इसी के समानांतर राष्ट्रीय विकास के लिये सरकार की भूमिका में भी अभूतपूर्ण परिवर्तन आए हैं। इन परिवर्तनों का लाभ उठाये जाने के लिये केंद्र सरकार ने योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफार्म़िग इंडिया) की स्थापना की, जो कि भारत के लोगों की आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिये प्रतिबद्ध है। नीति आयोग आधारभूत रूप में भारत सरकार एवं राज्य सरकारों के लिये एक थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है।

    • सहकारी संघवाद: इसने प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्रियों की संयुक्त भागीदारी से राज्यों को राष्ट्रीय नीति-निर्माण में सव्रिय भागीदारी निभाने का अवसर प्रदान किया है, जिससे नीतियों के समयबद्ध मात्रात्मक एवं गुणात्मक लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित की जा सकेगी।
    • प्रतिस्पर्धी संघवाद: नीति आयोग ने विभिन्न रिपोर्ट्स की सहायता से प्रतिस्पर्धी संघवाद की भावना को बढ़ाने के लिये विभिन्न कार्यक्षेत्रों में राज्यों को प्रदर्शन आधारित रैंकिंग प्रदान की है, जैसे- स्वास्थ्य सूचकांक एवं समग्र जल प्रबंधन सूचकांक आदि के द्वारा।
    • साझा राष्ट्रीय एजेंडा: नीति आयोग ने राज्यों की सव्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं एवं रणनीतियों हेतु साझा दृष्टिकोण विकसित करने में सहायता की है तथा राष्ट्र में एकता एवं अखंडता के आदर्शों को बढ़ावा दिया है।
    • ज्ञान एवं नवाचार हल: नीति आयोग ने एक नवीन विचारों के संग्रहण तथा नवीन विचारों के प्रोत्साहनकर्त्ता के रूप में कार्य किया है। साथ ही, इसने शोध एवं नवाचारों के माध्यम से संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग की सर्वोत्तम प्रथाओं के विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया है तथा सुशासन हेतु बेहतर प्रथाओं का विकास किया है। नीति आयोग ने देश भर के स्कूलों में नवाचार तंत्र को बेहतर बनाने के लिये तकरीबन 1,500 अटल टिंकरिंग लैब्स की स्थापना की है।
    • निगरानी एवं मूल्यांकन: यह वास्तविक समय पर विभिन्न मंत्रालयों के प्रदर्शनों से संबंधित आँकड़ों को संग्रहित कर उनका मूल्यांकन करता है, जिससे न सिर्फ कार्यान्वयन की कमियाँ पता चलती हैं, बल्कि सुधार हेतु आवश्यक दशाएँ भी उपलब्ध होती हैं।
    • कृषि क्षेत्र के विकास में उत्प्रेरक के रूप में: मॉडल एग्रीकल्चर लैंड लीजिंग एक्ट 2016, कृषि उत्पाद एवं पशुधन मार्केटिंग कमेटी (APLMC) अधिनियम, 2017 तथा कृषि बाज़ार एवं कृषक हितैषी रिफॉर्म सूचकांक आदि के माध्यम से।
    • हालाँकि, नीति आयोग के व्रियाकलापों के मार्ग में कई चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं-
    • स्वायत्तता: यह गंभीर चिंता का विषय है कि नीति आयोग स्वायत्त संस्था न होकर सरकार निर्देशित संस्था है, जो सिर्फ सरकारी परियोजनाओं का कार्यान्वयनकर्त्ता बनकर रह गया है।
    • अत्यधिक सदस्य संख्या: नीति आयोग में पूर्ववर्ती योजना आयोग की तुलना में सदस्यों की संख्या अत्यधिक है, जो कि मंत्रियों से लेकर राज्य के कार्यकारी प्रमुखों तक को शामिल करता है, जिससे मतभिन्नता एवं अनावश्यक देरी होती है।
    • सक्रिय कार्रवाई योग्य लक्ष्यों का अभाव: भारत आज भी रोज़गार सृजन, आर्थिक विकास जैसी कई चुनौतियों से गुज़र रहा है। नीति आयोग के पास अत्यधिक विस्तृत लक्ष्य होने के कारण उसके कार्यों में दीर्घकाल में दिशाहीनता दृष्टिगत होगी।
    • आकांक्षाएँ: जब पाँच दशक पुरानी एक संस्था को प्रतिस्थापित कर नई संस्था का निर्माण होता है तो लोगों की उससे आकांक्षाएँ बढ़ जाती हैं ऐसे में संस्था पर वास्तविक लक्ष्यों के लोकलुभावन कार्यव्रमों को चलाने का दबाव रहता है।

    इस प्रकार नीति आयोग को और अधिक सुदृढ़ एवं वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाए जाने की आवश्यकता है तथा इसमें विभिन्न लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये अधिक जवाबदेहिता एवं पारदर्शिता को बढ़ाए जाने की ज़रूरत है, तभी यह भारत का नवप्रवर्तन करने में सक्षम हो पाएगा।

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