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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    क्या एक सफल सिविल सेवक बनने के लिये निष्पक्ष और गैर-पक्षपाती होना अनिवार्य गुण माना जाना चाहिये? दृष्टांतों सहित चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    14 Apr, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    एक सफल लोक सेवक बनने लिये निष्पक्ष और गैर - पक्षपाती होना आवश्यक है। निष्पक्षता और एक महत्त्वपूर्ण बुनियादी मूल्य है।

    निष्पक्षता का अर्थ है बिना किसी पूर्वाग्रह के निर्णय करना तथा सभी परिस्थितियों में तटस्थ रहकर जनहित में कार्य करना। गैर - पक्षपात (Non partisan) का अर्थ है किसी राजनीतिक दल विचारधारा का समर्थन न करना और न ही विरोध करना। लोकतंत्र में सरकारें आती और जाती रहती हैं, परंतु लोक सेवक स्थायी कार्यपालिका हैं। ऐसे में उन्हें किसी भी राजनीतिक दल की विचारधारा के प्रति अपनी निष्ठा नहीं रखनी चाहिये बल्कि निष्पक्ष रहकर अपने प्रशासनिक कर्त्तव्यों का निर्वहन करना चाहिये। चाहे वे सत्ताधारी दल के विचारों से सहमत हों या न हों, क्योंकि जनता के प्रति जवाबदेही सरकार की होती है।

    लोक सेवक के पास काफी प्रशासनिक अधिकार होते हैं, इसलिये लोग लोक सेवक पर विभिन्न तरीके से दबाव डालकर, रिश्वत आदि पेश कर अपना कार्य करवाने का प्रयास करते हैं। ऐसी परिस्थिति में लोक सेवकों को वस्तुनिष्ठ, सहिष्णु, निष्पक्ष एवं गैर - पक्षपाती होना बहुत ज़रूरी है ताकि वे सार्वजनिक वस्तुओं एवं सेवाओं का वितरण विध - विधान एवं प्रशासनिक दिश - निर्देशों के अनुसार सटीकता से कर सकें।

    यदि लोक सेवक ही भ्रष्ट तरीके से कार्य करने लगे, बुनियादी अवसरों एवं सेवाओं का आवंटन करने में पक्षपात करने लगे ( जैसा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरियों की भर्ती में भ्रष्टाचार, भाई - भतीजावाद देखा गया है ), तो पात्र व्यक्ति या समुदाय अपनी बुनियादी अवसरों एवं सेवाओं से वंचित हो सकते हैं। इससे प्रशासन की छवि बिगड़ती है, जो कि लोकतंत्र के सफल संचालन के लिये शुभ नहीं है अतः लोक सेवकों को इनसे बचना चाहिये। इसलिये अनेक लोगों के लिये कई पूर्व - नौकरशाह; जैसे - टी.एन. शेषन, किरण बेदी, वर्तमान में अशोक खेमका, आदि एक प्रतिमान हैं।

    अतः उपर्युक्त विवेचना से यह स्पष्ट है कि सफल लोक सेवक होने के लिये निष्पक्ष और गैर- पक्षपाती होना अनिवार्य है, लेकिन यही एकमात्र शर्त नहीं है। इनके साथ - साथ उनमें सत्यनिष्ठा, वस्तुनिष्ठता, समानुभूति, नवाचारी विनम्रता एवं धैर्य जैसे गुणों का होना भी अनिवार्य है।

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