वियना व्यवस्था के पतन का कारण मेटर्निक की इतिहास की प्रगतिशील धारा को रोकने का प्रयास था। टिप्पणी कीजिये।
24 Mar, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास
उत्तर की रूपरेखा:
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नेपोलियन को पराजित कर यूरोपीय राज्यों का एक सम्मेलन ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में हुआ जिसका उद्देश्य यूरोपीय मानचित्र को 1789 से पूर्व की दशा में लाना था, अर्थात् यूरोप को फ्राँसीसी क्रांति से पूर्व की दशा में लाना था। इस व्यवस्था के निर्माण में मेटर्निक की भूमिका महत्त्वपूर्ण थी। अतः 1815-48 तक का समय मेटर्निक युग के नाम से भी जाना जाता है।
मेटर्निक ऑस्ट्रिया का प्रधानमंत्री था और वह क्रांति का शत्रु था। वह क्रांति को ‘संक्रामक रोग’ समझता था। मेटर्निक का कहना था कि “शासन करो, किंतु परिवर्तन न होने दो।” इसने प्रगतिशीलता के विरुद्ध प्रतिक्रियावाद का समर्थन किया और अपने सिद्धांतों पर यूरोप को चलाने का प्रयास किया।
मेटर्निक राष्ट्रवाद, जनतंत्र, स्वतंत्रता का प्रबल विरोधी था। उसने गुप्तचर पुलिस व्यवस्था के माध्यम से जन गतिविधियों पर नियंत्रण लगाया। जहाँ कहीं भी यूरोप में इसकी नीति के विरुद्ध कार्य किया गया, वहाँ इसने हस्तक्षेप कर यथास्थिति कायम की। मेटर्निक ने कार्ल्सवाद की घोषणा के तहत कहा कि किसी भी तरह की स्वतंत्रता किसी को नहीं है। उसने पत्र-पत्रिकाओं पर प्रतिबंध लगाया, साथ ही छात्र एवं शिक्षकों पर प्रतिबंध लगाया कि वे राष्ट्रवादी भावना, जनतांत्रिक मूल्यों की शिक्षा नहीं दे सकते और छात्रों के सम्मेलन करने पर भी प्रतिबंध लगाया। इस तरह उसने जन भावनाओं पर लोहे का परदा डाल दिया। किंतु उसके ये प्रयास सफल नहीं रहें। आटोमन साम्राज्य (तुर्की साम्राज्य) के अंतर्गत रहने वाली विविध जनसंख्या राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता की भावना से युक्त होती रही। वस्तुतः प्रगतिशीलता की धारा तो पुनर्जागरण, प्रबोधन, अमेरिकी क्रांति, फ्राँस की क्रांति और औद्योगिक क्रांति से होते हुए यूरोप में तीव्र गति से बह रही थी। फलतः मानवतावाद, नागरिक अधिकार, जनतंत्र, राष्ट्रवाद जैसे विचार मेटर्निक के युग के दौरान भी उठते रहे।
1821 में नेपल्स में विद्रोह हुआ तो 1829 में यूनान स्वतंत्र हुआ। 1830 एवं 1848 में फ्राँस में राजतंत्र के विरुद्ध पुनः क्रांति हुई। इतना ही नहीं, औद्योगिक क्रांति के साथ ही मज़दूरों के हितों को लेकर समाजवादी विचारधारा लोकप्रिय हुई और मजदूरों की माँगों में वृद्धि हुई। फलतः उदारवादी शासन प्रणाली की मांग बढ़ी।
इस दृष्टि से मेटर्निक एक क्लांत (थकी हुई) एवं भीरू (डरी हुई) पीढ़ी के लिये थोड़े समय तक तो उपयुक्त व्यक्ति की भूमिका निभाता दिखाई देता है, किंतु वह प्रगतिशीलता की धारा को रोक नहीं पाता। यूनान की स्वतंत्रता, इटली एवं जर्मनी का एकीकरण वियना व्यवस्था के ध्वंस को दर्शाता है।