प्रश्न. ‘एक स्थिर, सुरक्षित एवं मैत्रीपूर्ण नेपाल भारत के लिये सुरक्षा एवं रणनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्त्वपूर्ण है।’ चर्चा कीजिये।(150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- प्रभावी भूमिका में भारत-नेपाल संबंधों के बारे में बताते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- नेपाल भारत के लिये सुरक्षा एवं रणनीतिक दृष्टिकोण से कैसे महत्त्वपूर्ण है, यह बताइये।
- भारत-नेपाल संबंधों में निहित समस्याओं का भी वर्णन कीजिये।
- आगे की राह बताइये।
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परिचय
नेपाल भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी है और सदियों से चले आ रहे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संपर्कों/संबंधों के कारण उसकी विदेश नीति में विशेष महत्त्व रखता है।वर्ष 1950 की ‘भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि’ दोनों देशों के बीच मौजूद विशेष संबंधों का आधार रही है।
भारत के लिये नेपाल का महत्त्व
- नेपाल, भारत के पाँच राज्यों- उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, सिक्किम एवं बिहार के साथ सीमा साझा करता है और इसीलिये वह भारत के लिये सांस्कृतिक तथा आर्थिक विनिमय का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है।
- नेपाल, भारत के साथ खुली सीमा साझा करता है और यदि दोनों देशों के मध्य संबंध अच्छे नहीं होंगे तो भारत के लिये अवैध प्रवासी, जाली मुद्रा, ड्रग और मानव तस्करी जैसे मुद्दे चिंता का विषय बन जाएंगे।
- कई नेपाली नागरिक भी भारतीय रक्षा बलों में तैनात हैं।
- कई हिंदू और बौद्ध तीर्थस्थल नेपाल में मौजूद हैं जिसके कारण नेपाल भारत के लिये सांस्कृतिक दृष्टि से भी काफी महत्त्वपूर्ण है।
- नेपाल का दक्षिण क्षेत्र भारत की उत्तरी सीमा से सटा है। भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता माना जाता है। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ नेपाल के मधेसी समुदाय का सांस्कृतिक एवं नृजातीय संबंध रहा है।
- दोनों देशों की सीमाओं पर यातायात को लेकर कभी कोई विशेष प्रतिबंध नहीं रहा। सामाजिक और आर्थिक विनिमय बिना किसी गतिरोध के चलता रहता है। भारत-नेपाल की सीमा खुली हुई है और आवागमन के लिये किसी पासपोर्ट या वीज़ा की ज़रूरत नहीं पड़ती है। यह उदाहरण कई मायनों में भारत-नेपाल की नज़दीकी को दर्शाता है।
- चीन नेपाल को अपने बढ़ते दक्षिण एशियाई फुटप्रिंट में एक महत्त्वपूर्ण तत्व की तरह देखता है और नेपाल उसके ‘बेल्ट एंड रोड पहल’ (BRI) का एक प्रमुख भागीदार भी है।
भारत-नेपाल संबंधों में व्याप्त समस्याएँ
- शांति और मित्रता संधि में निहित समस्याएँ: वर्ष 1950 में भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि पर हस्ताक्षर नेपाल द्वारा इस उद्देश्य से किये गए थे कि ब्रिटिश भारत के साथ उसके विशेष संबंध स्वतंत्र भारत के साथ भी जारी रहें और उन्हें भारत के साथ खुली सीमा तथा भारत में कार्य कर सकने के अधिकार का लाभ मिलता रहे। लेकिन वर्तमान में इसे एक असमान संबंध और एक भारतीय अधिरोपण के रूप में देखा जाता है।
- विमुद्रीकरण की अड़चन: नवंबर 2016 में भारत ने विमुद्रीकरण की घोषणा कर दी और उच्च मूल्य के करेंसी नोट (₹1,000 और ₹500) के रूप में 15.44 ट्रिलियन रुपए वापस ले लिये। इनमें से 15.3 ट्रिलियन रुपए की नए नोटों के रूप में अर्थव्यवस्था में वापसी भी हो गई है।
- नेपाल राष्ट्र बैंक (नेपाल का केंद्रीय बैंक) के पास 7 करोड़ भारतीय रुपए हैं और अनुमान है कि सार्वजनिक धारिता 500 करोड़ रुपए की है।
- क्षेत्र-संबंधी विवाद: वर्ष 2019 में नेपाल ने एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी करते हुए उत्तराखंड के कालापानी, लिंपियाधुरा एवं लिपुलेख पर और बिहार के पश्चिमी चंपारण ज़िले के सुस्ता क्षेत्र पर अपना दावा जताया।
नेपाल के साथ मतभेद दूर करने के उपाय
- क्षेत्रीय विवादों के लिये संवाद: आज आवश्यकता इस बात की है कि क्षेत्रीय राष्ट्रवाद के आक्रामक प्रदर्शन से बचा जाए और शांतिपूर्ण बातचीत के लिये आधार तैयार किया जाए जहाँ दोनों पक्ष संवेदनशीलता का प्रदर्शन करते हुए संभव समाधानों की तलाश करें। ‘नेवरवुड फर्स्ट’ की नीति के गंभीर अनुपालन के लिये भारत को एक संवेदनशील और उदार भागीदार बनने की ज़रूरत है ।
- नेपाल के प्रति संवेदनशीलता: भारत को लोगों के परस्पर-संपर्क, नौकरशाही संलग्नता के साथ-साथ राजनीतिक अंतःक्रिया के मामले में नेपाल के साथ अधिक सक्रिय रूप से संबद्ध होना चाहिये।
- भारत को नेपाल के आंतरिक मामलों से दूर रहने की नीति बनाए रखनी चाहिये, जबकि मित्रता की भावना की पुष्टि करते हुए अधिक समावेशी रुख प्रदर्शित करना चाहिये।
- आर्थिक संबंधों को मज़बूत करना: बिजली व्यापार समझौता ऐसा होना चाहिये कि भारत नेपाल के अंदर भरोसे का निर्माण कर सके। भारत में अधिकाधिक नवीकरणीय (सौर) ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन के बावजूद जलविद्युत ही एकमात्र स्रोत है जो भारत में चरम मांग की पूर्ति कर सकता है।
- भारत से निवेश: भारत और नेपाल के बीच हस्ताक्षरित ‘द्विपक्षीय निवेश संवर्द्धन और संरक्षण समझौते’ पर नेपाल की ओर से अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
- नेपाल में निजी क्षेत्र, विशेष रूप से व्यापार संघों की आड़ में कार्टेल, विदेशी निवेश के विरुद्ध कड़े संघर्ष चला रहे हैं।
- यह महत्त्वपूर्ण है कि नेपाल यह संदेश दे कि वह भारतीय निवेश का स्वागत करता है।