"शरणार्थियों को उस देश में वापस नहीं भेजा जाना चाहिये जहाँ उन्हें उत्पीड़न या मानवाधिकार उल्लंघन का सामना करना पड़ेगा"। खुले समाज और लोकतांत्रिक होने का दावा करने वाले किसी राष्ट्र के द्वारा नैतिक आयाम के उल्लंघन के संदर्भ में इस कथन का परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)
07 Apr, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नजब किसी क्षेत्र में कुछ मानव समुदायों के मानवाधिकारों का हनन होता है, उन्हें देश छोड़ने के लिये विभिन्न तरीकों से प्रताड़ित किया जाता है या जलवायु परिवर्तन के कारण, तो ऐसे लोग अन्य देशों में मज़बूरी में पलायन कर जाते हैं। उन देशों में इन लोगों को शरणार्थी कहा जाता; जैसे - यहूदी शरणार्थी, भारत में तिब्बती शरणार्थी बांग्लादेश के चकमा शरणार्थी, म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थी, अफगानी, अफ्रीकी शरणार्थी आदि।
UNHCR ( United Nations High Commissioner for Refugees ) के नए आँकड़े दर्शाते हैं कि जलवायु परिवर्तन से जुड़ी त्रासदियों से अफगानिस्तान से मध्य अमेरिका तक, सूखा, बाढ़ और चरम मौसम की अन्य घटनाएँ, उन लोगों को बुरी तरह प्रभावित कर रही हैं, जिनके पास उबरने और अनुकूलन के लिये साधन नहीं हैं। इसी वजह से वर्ष 2010 से अब तक, मौसम संबंधी आपात घटनाओं के कारण, औसतन हर वर्ष दो करोड़ से ज़्यादा लोगों को पलायन के लिये विवश होना पड़ा है।
सवाल यह है कि सभी मानव समूह अपने मूल देश से बहुत प्यार करते हैं और कोई भी अपने गृह राज्य, प्रदेश, गाँव देहात आदि को छोड़कर किसी अन्य प्रदेश में बसना नहीं चाहता है। इसके अलावा यदि शरणार्थियों को किसी दूसरे प्रदेश में बसा दिया जाए, तो भी वहाँ विभिन्न तरह की स्थानीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यानी स्थानीय संसाधनों का बँटवारा रोज़गार में हिस्सेदारी, स्थानीय लोगों से नस्लीय विवाद, इत्यादि जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। अत : कोई राष्ट्र कितना भी खुला क्यों न हो या लोकतांत्रिक होने का दावा करता हो, परंतु फिर भी वह शरणार्थियों को सदैव आने की इजाजत नहीं दे सकता, क्योंकि सबकी अपनी घरेलू सीमाएँ होती हैं, बाध्यताएँ होती हैं।
अतः यह कहना कि शरणार्थियों को उनके मूल देश में वापस नहीं भेजा जाना चाहिये, यह तर्कसंगत नहीं है, बल्कि उचित तो यही होगा कि विभिन्न लोकतांत्रिक देशों द्वारा ऐसे देशों (अफगानिस्तान, म्याँमार, बांग्लादेश आदि) की सरकारों पर दबाव बनाया जाना चाहिये ताकि वे अपने यहाँ ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न न होने दें जिससे शरणार्थी समस्याएँ उत्पन्न हो।