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प्रश्न :
उस नैतिकता अथवा नैतिक आदर्श जिसको आप अंगीकर करते हैं, से समझौता किये बिना क्या भावनात्मक बुद्धि अंतरात्मा के संकट की स्थिति से उबरने में मदद करती है? समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)
07 Apr, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में अपनी सोच एवं कृत्यों द्वारा दूसरों के व्यवहार को प्रभावित करता है और उनके व्यवहार से प्रभावित भी होता है। हमें परिवार, समाज एवं कार्य- स्थल पर नाना प्रकार की समस्याओं, दबावों एवं चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इनसे निपटने में भावनात्मक बुद्धिमत्ता कारगर है।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता से आशय उस समग्र समता से है, जो उसे उसकी विचार प्रक्रिया का उपयोग करते हुए अपने तथा दूसरों के संवेगों को जानने, समझने तथा प्राप्त सूचनाओं के अनुसार अपने चिंतन और व्यवहार में सामंजस्य स्थापित करते हुए वांछित अनुक्रिया करने में सक्षम बनाती है। वहीं अंतरात्मा के संकट से तात्पर्य एक ऐसी स्थिति से है, जब हम यह फैसला नहीं कर पाते हैं कि कौन - सा कृत्य सही है और कौन - सा गलत अर्थात् सही के रूप में किसी एक पक्ष को चुनना संभव नहीं हो पाता।
सरल शब्दों में कहें तो जब अंतरात्मा दो परस्पर विरोधी मूल्यों या विकल्पों में से किसी एक के पक्ष में ठोस निर्णय न ले सके। उदाहरण के लिये, लोक सेवकों द्वारा सरकारी आदेशों का पालन करने के लिये स्वेच्छा से सरकार के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर कराए जाते हैं, वे उन आदेशों का पालन करने के लिये बाध्य हैं, भले ही वे आदेश उनके अंतःकरण के खिलाफ हों ऐसी स्थिति में भावनात्मक बुद्धिमत्ता सहायक होती है, क्योंकि यह प्रशासनिक अधिकारी में सहयोग, समायोजन, संवेदनशीलता, अभिप्रेरणा, परानुभूति, संबंध प्रबंधन एवं नेतृत्त्व की भावना तथा क्षमता को विकसित करती है किंतु कभी - कभी कुछ ऐसी परिस्थितियाँ विद्यमान हो जाती हैं। जब जीवन - मृत्यु या बहुत ही मज़बूत नैतिक मूल्यों के बीच द्वंद्व उत्पन्न हो जाता है। ऐसी स्थिति में व्यापक हित को चुनने के लिये हमें कुछ समझौते करने पड़ते हैं या नैतिक मूल्यों को अनदेखा करना पड़ता है। ऐसी परिस्थिति में संभवतः भावनात्मक बुद्धिमत्ता सहायता करने में सक्षम न हो।
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