भूस्खलन के विभिन्न कारणों और प्रभावों का वर्णन कीजिये। राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति के महत्त्वपूर्ण घटकों का उल्लेख कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
पर्वतीय ढालों या नदी तटों पर छोटी शिलाओं, मिट्टी या मलबे का अचानक खिसककर नीचे आना ही भूस्खलन है। यह एक प्राकृतिक घटना है जिसकी आवृत्ति मानवजनित कारणों से काफी बढ़ जाती है।
भूस्खलन के कारण निम्नलिखित हैं
- जलवायु परिवर्तन: वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण ग्लेशियरों के पिघलने और भारी वर्षा की घटनाओं की दर में वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप भूस्खलन का खतरा बढ़ता जा रहा है।
- भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट: हिमालय एक युवा पर्वत श्रृंखला होने के कारण एक सक्रिय अभिसरण क्षेत्र के ऊपर स्थित है जो भूकंप के लिये प्रवण है। वहीं ज्वालामुखी उद्भेदन से भी पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन बढ़ जाता है।
- नदियाँ: हिमालयी नदियाँ अपनी युवावस्था में हैं। एक खड़ी ढलान पर नदी के तेज प्रवाह के परिणामस्वरूप ऊर्ध्वाधर क्षरण और डाउन - कटिंग होती है।
- जनसंख्या का दबाव: बढ़ते जनसंख्या दबाव के कारण विकासात्मक गतिविधियों के लिये वनोन्मूलन, बांध निर्माण, पर्वतीय क्षेत्रों में होटल और अनियोजित बसावट आदि से भी भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है; जैसे उत्तराखंड में चार धाम परियोजना।
उपर्युक्त कारणों से भूस्खलन के प्रभाव व्यापक हो सकते हैं, जिनमें जीवन की हानि, आधारभूत ढाँचे का विनाश एवं प्राकृतिक संसाधनों की हानि आदि शामिल हैं। इससे नदियाँ गाद और अवशेषों से भरकर बाढ़ ला सकती हैं, जो भूमि, खड़ी फसलों, बीज, पशुधन और खाद्य भंडार को नष्ट करके किसानों की आजीविका को कुप्रभावित कर सकती है।
राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम प्रबंधन रणनीति के महत्त्वपूर्ण घटक निम्नलिखित हैं:
- भूस्खलन जोखिम क्षेत्र।
- भूस्खलन निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणाली।
- जागरूकता कार्यक्रम
- हितधारकों का प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण।
- पर्वतीय क्षेत्र विनियमों की तैयारी और नीतियाँ।
- भूस्खलन का स्थिरीकरण और शमन एवं भूस्खलन प्रबंधन (SPV का निर्माण)