“गरीबी केवल आर्थिक अपर्याप्तता की स्थिति नहीं है; यह सामाजिक और राजनीतिक बहिष्कार भी है।" पुष्टि कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में गरीबी के मौजूदा आँकड़ों के साथ गरीबी को संक्षिप्त रूप में परिभाषित कीजिये।
- आर्थिक अपर्याप्तता, सामाजिक और राजनीतिक बहिष्कार के रूप में गरीबी पर चर्चा कीजिये।
- गरीबी को कम करने के लिये कुछ उपाय देते हुए निष्कर्ष लिखिये।
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संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गरीबी एक ऐसी स्थिति है, जो भोजन, सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता सुविधाओं, स्वास्थ्य, आवास, शिक्षा तथा सूचना सहित बुनियादी मानव आवश्यकताओं के गंभीर अभाव को संदर्भित करती है। यह न केवल आय पर निर्भर करता है, बल्कि सेवाओं तक पहुँच पर भी निर्भर करता है।
वर्ष 2019 के वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार, वर्ष 2006 और वर्ष 2016 के मध्य भारत ने 271 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। परंतु अभी भी, लगभग 28 प्रतिशत भारतीय जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे निवास कर रही है।
आर्थिक अपर्याप्तता के रूप में गरीबी:
- भारतीय समाज में धन के असमान वितरण की विशेषता को दर्शाता है। भारत की शीर्ष 1 प्रतिशत जनसंख्या के पास वर्तमान में कुल 73 प्रतिशत धन है, जबकि 67 करोड़ नागरिकों, जिसमें देश का सबसे गरीब वर्ग शामिल है, के धन में केवल 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। नतीजतन, समाज का गरीब और पिछड़े वर्ग बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं को वहन नहीं कर पा रहा है।
- आर्थिक रूप से भारत एक कृषि समाज है। अविकसित कृषि पर श्रम बल की अत्यधिक निर्भरता गरीबी के प्रमुख कारणों में से एक है।
- बेरोज़गारी, अत्यधिक मुद्रास्फीति, बुनियादी सुविधाओं में कमी के साथ-साथ असशक्त मांग भी गरीबी का एक प्रमुख कारण है।
सामाजिक और राजनीतिक बहिष्कार के रूप में गरीबी
- सामाजिक बहिष्करण में जातीयता, नस्ल, धर्म, लिंग, जाति, वंश, आयु, विकलांगता, एच.आई.वी. प्रवास या जहाँ वे निवास करते हैं, के आधार पर लोगों के कुछ समूहों से भेदभाव शामिल है।
- सार्वजनिक संस्थानों, जैसे कि विधायी प्रणाली या शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं, साथ ही घरेलू जैसे सामाजिक संस्थानों में भेदभाव निहित है। इससे उन्हें मूलभूत मानवीय आवश्यकताओं से वंचित किया जाता है जो कि गरीबी की मूल विशेषता है।
- यह उन्हें भौतिक रूप से प्रभावित करता है- उन्हें संसाधनों, बाज़ारों और सार्वजनिक सेवाओं तक पहुँच से वंचित करके उन्हें, स्वास्थ्य या शिक्षा के संदर्भ में गरीब बना देता है।
- प्राय: अल्पसंख्यक एवं मार्जिनल समूहों को राजनीतिक निर्णयन से बाहर रखा गया है। राजनीतिक निर्णय लेने में उनके बहिष्कार से लोगों की आजीविका, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सेवाओं तक पहुँच में कमी आई है।
चूँकि गरीबी एक बहुआयामी घटना है, अत: गरीबी के विभिन्न पहलुओं को दूर करने के लिये कुशल गरीब निवारण कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। इस संबंध में सरकार की निम्नलिखित कुछ पहल हैं:
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा इस प्रकार गारंटीकृत श्रम रोज़गार प्रदान करके घरों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से उनकी क्रय शक्ति में वृद्धि हुई है।
- वर्ष 2022 तक सभी के लिये आवास मिशन: सभी गरीबों को किफायती आवास उपलब्ध कराना।
- दीन दयाल अंत्योदय योजना: इसका एक घटक- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का लक्ष्य देश में 7 करोड़ ग्रामीण गरीब परिवारों, 2.5 लाख ग्राम पंचायतों तथा 6 लाख गांवों को स्व-प्रबंधित स्वयं सहायता समूहों (एस.एच.जी.) तथा संस्थानों के माध्यम से शामिल करना है और 8-10 वर्षों की अवधि में आजीविका के लिये समर्थन करना है।
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: गरीबी में कमी लाने की रणनीति के अंतर्गत सरकार ने 25 दिसंबर, 2000 को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पी.एम.जी.एस.वाई.) की शुरुआत की, क्योंकि ग्रामीण सड़कें देश के लगभग 80 प्रतिशत सड़क नेटवर्क का गठन करती हैं और यह गाँवों में रहने वाली आबादी के लिये एक जीवन रेखा है।
इन पहलों के साथ-साथ, गरीब वर्ग को सशक्त बनाने के लिये अधिक एवं बेहतर रोज़गार सृजित करना भी महत्त्वपूर्ण है ताकि वे अपनी अवश्यकताओं को पूरा करते रहें।