“प्रत्येक कार्य की सफलता से पहले उसे सैकड़ों कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। जो दृढ़ निश्चयी हैं, वे देर-सबेर प्रकाश को देख पाएँगे।" - स्वामी विवेकानंद (150 शब्द)
उत्तर :
दृढ़ता अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करने के लिये किसी के प्रयासों को बनाए रखने की क्षमता है। दृढ़ता छोटे और बड़े मामलों में सफलता की कुंजी है, इसके संदर्भ में नीचे चर्चा की गई है-
- चलने के लिये सीखने में कई बार गिरना शामिल है, इससे पहले कि पहला कदम सीधे मुद्दे में रखा जाए।
- व्यस्कता में सत्यनिष्ठा, वर्षों की मूल्य भावना और बेईमानी के प्रलोभनों पर विजय प्राप्त करने से बनती है।
- आत्मज्ञान प्राप्त करने से पहले, गौतम बुद्ध ने खुद को सबसे गंभीर तपस्या, बौद्धिक प्रश्नों और वाद - विवाद के अधीन कर लिया।
- महात्मा गांधी के ' सत्य के साथ प्रयोग ' में अपरिपक्व उम्र में झूठ बोलना और चोरी करना शमिल थे। स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उनका दृष्टिकोण, चौरी - चौरा और भारत छोड़ो आंदोलन के विपरीत तरीकों से विकसित हुआ।
- स्वामी विवेकानंद स्वयं एक जिज्ञासु युवक थे, जो सभी हठधर्मिता पर सवाल उठाते थे। उनके खुले और असंतुष्ट मन ने उन्हें अपने भविष्य के गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस से मिलने के लिये प्रेरित किया और उन्होंने जीवन में अपने मिशन से मुलाकात की।
सफलता के मार्ग के हिस्से हैं- कठिनाइयाँ, परीक्षण, क्लेश जो दृढ़ रहते हैं, वे प्रकाश को देखते हैं, दृढ़ता का मार्ग छोड़ने वाले इस प्रकाश को कभी नहीं देख सकते हैं।