प्रश्न. भारत में मानवाधिकारों की रक्षा और बढ़ावा देने में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की भूमिका का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)
29 Mar, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय
हल करने का दृष्टिकोण:
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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, एक सांविधिक निकाय है। इसका गठन वर्ष 1993 संसद में पारित मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत किया गया। यह आयोग मानवाधिकारों का प्रहरी है। जिसका उद्देश्य उन संस्थागत व्यवस्थाओं को मज़बूत करना, जिसके द्वारा मानवाधिकार के मुद्दों का पूर्ण रूप में समाधान किया जा सके, अधिकारों के अतिक्रमण को सरकार से स्वतंत्र रूप में इस तरह से देखना ताकि सरकार का ध्यान उसके द्वारा मानवाधिकारों की रक्षा की प्रतिबद्धता पर केंद्रित किया जा सके तथा इस दिशा में किये गए प्रयासों को पूर्ण व सशक्त बनाना है।
यह आयोग वर्ष 1991 के प्रथम अंतर्राष्ट्रीय वर्कशॉप ऑन नेशनल इंस्टीट्यूशनस फॉर द परमोशन एंड प्रोटेक्शन ऑफ ह्यूमन राइट्स (पेरिस प्रिंसपल्स) के सिद्धांतों के अनुरूप है।
मानवाधिकार आयोग निम्नलिखित प्रकार से मानवाधिकारों का संरक्षण एवं संवर्धन करता है-
हालाँकि निम्नलिखित कारणों से एन.एच.आर.सी. की आलोचना की होती है-
इस प्रकार देखें तो उपर्युक्त कमियों को दूर करने के लिये सरकार को एन.एच.आर.सी. के कर्मचारियों का एक स्वतंत्र वर्ग विकसित करना चाहिये तथा आयोग की कुछ शक्तियाँ उपलब्ध कराकर उसे संवैधानिक निकाय बनाना चाहिये ताकि भविष्य में यह नीति निरपेक्ष एवं मानवाधिकारों की रक्षा में महत्त्चवूर्ण भूमिका निभा सके।