क्या आप इस बात से सहमत हैं कि संसदीय विशेषाधिकारों के दुरुपयोग और इनके द्वारा व्यक्तिगत मौलिक अधिकारों में की जाने वाली कटौती के कारण इन्हें संहिताबद्ध करने की आवश्यकता है? (150 शब्द)
22 Mar, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण:
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संसदीय विशेषाधिकारों का चलन सर्वप्रथम इंग्लैंड की संसदीय प्रणाली से हुआ। जहाँ राजशाही के उत्पीड़न से सांसदों को बचाने के लिये विशेषाधिकारों की घोषणा की गई थी। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 105 सांसदों तथा अनुच्छेद 194 के तहत विधायकों को संसदीय विशेषाधिकार प्रदान किये गए हैं जो कि इन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा उनके विशेष दायित्वों को पूरा करने का अधिकार प्रदान करता है।
संसदीय विशेषाधिकार संबंधी विवाद
संवैधानिक विशेषाधिकारों के दुरुपयोग संबंधी प्रमुख उदाहरण है-
हालाँकि दुरुपयोग तथा लोकतांत्रिक मूल्यों के विरोधी होने के बावजूद संसदीय विशेषाधिकारों के संहिताकरण का संसद सदस्यों द्वारा विरोध किया जाता है। इसके पीछे मूल उद्देश्य न्यायिक जाँच से बचे रहना है। जिसके लिये वर्तमान समय में कोई विशेष विधि नहीं बनाई गई है।
वस्तुत: ये विशेषाधिकार ब्रिटिश औपनिवेशिक विरासत से लिये गए हैं जिन्हें स्वयं ब्रिटिश संसद से त्याग दिया गया है। अतीत के कृत्यों एवं संसद के सदस्यों के दुर्भावनापूर्ण वचनों से बचने के लिये विशेषाधिकारों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिये। वर्ष 1987 में ऑस्ट्रेलिया में भी विशेषाधिकारों को संहिताबद्ध किया गया है। यहाँ तक कि न्यायमूर्ति एम.एन. वेंकट चलैया आयोग ने भी विशेषाधिकारों के संहिताकरण का समर्थन करते हुए इनके दुरुपयोगों को सीमित करने की अनुशंसा की है।)